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नारायण मूर्ति का 4 महीने का पोता बना करोड़पति, दादा ने गिफ्ट किए 240 करोड़ के शेयर

इंफोसिस में एकाग्र मूर्ति की 0.04 प्रतिशत हिस्सेदारी

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वेबदुनिया न्यूज डेस्क

, मंगलवार, 19 मार्च 2024 (09:51 IST)
Narayan Murthy infosys shares : इंफोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति ने अपने 4 माह के पोते एकाग्र रोहन मूर्ति को 240 करोड़ रुपए से ज्यादा के शेयर तोहफे में दिए हैं। इस गिफ्ट में बच्चे को करोड़पतियों की लिस्ट में ला खड़ा किया।
मीडिया खबरों के अनुसार, एकाग्र के पास इंफोसिस के 15 लाख शेयर हैं, जो कंपनी में 0.04 प्रतिशत हिस्सेदारी के बराबर है। फाइलिंग से ये भी पता चला है कि लेन-देन ऑफ-मार्केट किया गया था।
 
पोते को शेयर दान में देने के बाद इंफोसिस में नारायण मूर्ति की हिस्सेदारी 0.36 प्रतिश रह गई। उनके पास अब कंपनी के करीब 1.51 करोड़ शेयर हैं।
 
उल्लेखनीय है कि 20 अगस्त 1946 को कर्नाटक के मैसूर में जन्में नारायण मूर्ति ने साल 1981 में इंफोसिस की स्थापना की थी। कंपनी को मार्च 1999 में नैस्डैक में सूचीबद्ध किया गया था।
 
रोहन मूर्ति और अपर्णा कृष्णन के बेटे एकाग्र का जन्म नवंबर 2023 में हुआ था। वो नारायण और सुधा मूर्ति का तीसरा पोता है।
 
नारायण मूर्ति से जुड़ी 10 खास बातें
1. नारायणमूर्ति ने इलेक्ट्रिकल इन्जीनियरिंग की डिग्री मैसूर विश्वविद्यालय से प्राप्त की एवं बाद में IIT, खड़गपुर से कम्प्यूटर साइंस की पढ़ाई पूरी की।
 
2. आई.आई.टी. में पढ़े विद्यार्थियों को उत्कृष्ट माना जाता है। इस बात पर उन्होंने एक बार कहा था कि आपने किसी भी संस्थान से शिक्षा प्राप्त की है इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। आप अपने कठिन परिश्रम से अपने पूरे जीवन को बदल सकते हैं।
 
3 प्रारंभ में उन्होंने एक कंपनी शुरू की जिसका नाम सॉफ्टरोनिक्स था, जो कि डेढ़ साल में ही असफल हो गई। तब वे पुणे में पटनी कंप्यूटर प्रणाली में शामिल हुए।
 
4. उन्होंने बाद में फिर से वर्ष 1981 में अपने 6 अन्य साथियों के साथ अपना व्यवसाय इंफोसिस नाम से पुणे के एक अपार्टमेंट से शुरू किया था। सन 1983 में कंपनी का मुख्यालय पुणे से बेंगलुरु में स्थानांतरित हो गया।
 
5. उस दौर में नारायणमूर्ति अपनी पत्नी के साथ एक कमरे के मकान में रहते थे। इंफोसिस की स्थापना के लिए उन्होंने अपनी पत्नी से 10000 रुपए उधार लिए थे।
 
6. सन 1981 से लेकर सन 2002 तक मूर्ती कंपनी के CEO रहे और अपने नेतृत्व में उन्होंने एक छोटीसी सॉफ्टवेयर कंपनी को दुनिया की बड़ी कंपनियों के समकक्ष खड़ा कर दिया। मुंबई के एक अपार्टमेंट में शुरू हुई कंपनी आज कहां है यह पूरी ‍दुनिया जानती है।
 
7. वर्ष 1991 में उदारीकरण की शुरुआत के साथ उनकी कंपनी इंफोसिस के दिन अचानक से बदल गए। सभी साथियों की कड़ी मेहनत रंग लाई और 1991 में इांफोसिस पब्लिक लिमिटेड कम्पनी में बदल गई। 1999 में वो स्वर्णिम अवसर आया और इंफोसिस ने इतिहास रचा, जब कंपनी के शेयर अमेरिकी शेयर बाजार NASDAQ में रजिस्टर हुए।
 
8. नारायण मूर्ति की उपलब्धियों को देखते हुए ‘बिजनेस वीक’ ने वर्ष 1998, 1999 एवं 2000 में लगातार उन्हें ‘द स्टार्स ऑफ एशिया’ की सूची में शामिल किया। वर्ष 1996-97 में उन्होंने ‘जे.आर.डी. टाटा कारपोरेट लीडरशिप अवार्ड’ प्राप्त किया।
 
9. भारत सरकार ने सन 2000 में उन्हें ‘पदमश्री’ से अलंकृत किया। सन 2004 में ‘टाइम’ पत्रिका ने उन्हें भविष्य की टेक्नोलॉजी को आकार देने में मदद करने वाले ग्लोबल टेक इनफ्लूएशिअन्स की 10 अग्रणी लोगों की सूची में शामिल किया और 2005 में उन्हें विश्व का 8वां बेहतरीन प्रबंधक चुना गया। 2008 में भारत सरकार द्वारा उन्हें पद्म विभूषण अवार्ड दिया गया। सन 2008 में ही फ्रांस सरकार ने भी उन्हें ‘ऑफिसर ऑफ द लीजन ऑफ ऑनर’ से सम्मानित किया।
 
10. नारायण मूर्ति आज भी सरलता एवं सादगीपूर्व जीवन जिते हैं। नारायणमूर्ति का सारा परिवार आज भी दिखावटी खर्चे का विरोधी है। नारायणमूर्ति के बच्चों रोहन मूर्ति और अक्षता मूर्ति को भी स्वयं के द्वारा किए गए व्यय का हिसाब रखना होता है। हालांकि उनकी लड़की अक्षता मूर्ति का विवाह हो चुका है।
Edited by : Nrapendra Gupta 

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