नई दिल्ली। तेल और गैस क्षेत्र की देश की सबसे बड़ी सरकारी कंपनी तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) गत सप्ताह देश की तीसरी सबसे बड़ी तेल शोधक एवं विपणन कंपनी एचपीसीएल के साथ अधिग्रहण का करार करने के बाद गेल इंडिया लिमिटेड को अधिगृहित करने के करीब है।
ओएनजीसी ने गत 20 जनवरी को आधिकारिक रूप से एचपीसीएल की 51.11 प्रतिशत शेयर खरीद के लिए करार किया था। अधिग्रहण प्रक्रिया को लेकर एचपीसीएल प्रबंधन को कुछ संशय था लेकिन गेल प्रबंधन ओएनजीसी के साथ विलय के पक्ष में है। गेल में सरकार की 54.89 प्रतिशत हिस्सेदारी है जो करीब 46,700 करोड़ रुपए की है।
तेल एवं गैस क्षेत्र में अधिग्रहण का उद्देश्य देश में एक बड़ी तेल कंपनी बनाना है। चालू वित्त वर्ष के बजट भाषण में वित्तमंत्री अरुण जेटली ने इस बाबत घोषणा की थी। सूत्रों के मुताबिक, दो अन्य कंपनियों इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन और भारत पेट्रोलियम भी गेल के अधिग्रहण की इच्छुक थीं, लेकिल गेल प्रबंधन ने इनके बजाय ओएनजीसी को तरजीह दी है।
गेल ने दूसरे विकल्प के रूप में ऑयल इंडिया लिमिटेड (ओआईएल) का चयन किया है। ऑयल में सरकार की 66.13 प्रतिशत हिस्सेदारी है, जिसका बाजार मूल्य करीब 18 हजार करोड़ रुपए है। गेल का मानना है कि ओएनजीसी के साथ उसका विलय तेल एवं गैस क्षेत्र के लिए अधिक फायदेमंद है, क्योंकि इससे तेल उत्पादक और परिवहन तथा विपणन नेटवर्क एक मंच पर आएंगे।
इंडियन ऑयल कॉर्प और भारत पेट्रोलियम ने गेल के साथ अपने अधिग्रहण को लेकर अलग-अलग तर्क दिए हैं। इंडियन ऑयल कॉर्प अपनी क्षमता बढ़ाने के लिए या तो अन्य तेल शोधक कंपनी या गेल जैसी कंपनी का अधिग्रहण करना चाहती है।
भारत पेट्रोलियम ने हाल में पेट्रोलियम मंत्रालय को लिखे पत्र में कहा है कि अधिग्रहण के लिए गेल उसका पहला विकल्प है। सूत्रों का कहना है कि सरकार ने अभी अन्य सरकारी कंपनियों के प्रस्तावों पर कोई निर्णय नहीं लिया है। (वार्ता)