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RBI ने व्यक्तियों तथा छोटे-मझोले उद्यमों के कर्ज के पुनर्गठन को मंजूरी दी

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, बुधवार, 5 मई 2021 (14:55 IST)
मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक ने कोविड-19 महामारी से त्रस्त व्यक्तियों तथा सूक्ष्म, लघु और मझौले उद्यमों (एमएसएमई) से वसूल नहीं हो पा रहे कर्जों के पुनर्गठन की छूट देने सहित अ​र्थव्यवस्था को इस संकट में संभालने के लिए बुधवार को कई नए कदमों की घोषणा की।

इन कदमों में कोविड-19 से संक्रमित लोगों के इलाज में काम आने वाली वस्तुओं और बुनियादी सुविधाओं की आपूर्ति बढ़ाने के लिए इनके कारोबार में लगी इकाइयों को बैंकों द्वारा 50,000 करोड़ रुपए के कर्ज की एक नई सुविधा भी शामिल है।  ​रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कोविड-19 की दूसरी लहर के बीच सुबह आनन-फानन में बुलाए गए संवाददाता सम्मेलन में इन कदमों की घोषणा की।

उन्होंने कहा कि 50 हजार रुपए के वित्त पोषण की यह सुविधा 31 मार्च 2022 तक खुली रहेगी। इसके तहत बैंक वैक्सीन विनिर्माताओं, वैक्सीन और चिकित्सा उपकरणों के आयातकों और आपूर्तिकर्ताओं, चिकित्सालयों, डिस्पेंसरी, ऑक्सीजन आपूर्तिकर्ताओं और वेंटिलेटर आयातकों को आसानी से कर्ज उपलब्ध कराएंगे। बैंक मरीजों को भी उपकरण आदि के आयात के लिए प्राथमिकता के आधार पर कर्ज दे सकेंगे।

उन्होंने बताया कि बैंकों द्वारा इस तरह के कर्ज को प्राथमिकता क्षेत्र के लिए ऋण की श्रेणी में रखकर शीघ्रता के कर्ज सुलभ करने को प्रोत्साहित किया जा रहा है। ऋण पुनर्गठन संबंधी घोषणा के तहत कुल 25 करोड़ रुपए तक के कर्ज वाली इकाइयों के बकायों के पुनर्गठन पर विचार किया जा सकेगा। यह सुविधा उन्हीं व्यक्तियों/ इकाइयों को मिलेगी जिन्होंने पहले किसी पुनर्गठन योजना का लाभ नहीं लिया है। इसमें 6 अगस्त 2020 को घोषित पहली समाधान व्यवस्था भी शामिल है।
 
इस नई समाधान-व्यवस्था 2.0 का लाभ उन्हीं व्यक्तियों/ इकाइयों को दिया जा सकेगा जिनके कर्ज खाते 31 मार्च 2021 तक अच्छे थे। कर्ज समाधान की इस नई व्यवस्था के तहत बैंकों को 30 सितंबर तक आवेदन दिया जा सकेगा। इसके 90 दिन के अंदर इस योजना को लागू करना होगा। रिजर्व बैंक ने लघु-ऋण बैंकों के लिए 10,000 करोड़ रुपए के विशेष दीर्घकालिक रेपो परिचालन की घोषणा भी की।

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दास ने कहा इसके तहत एमएसएमई इकाइयों को 10 लाख रुपए तक की सहायता को प्राथमिकता क्षेत्र के लिए कर्ज माना जाएगा। उन्होंने राज्य सरकारों के लिए ओवरड्राफ्ट के नियमों में कुछ ढील दिए जाने की घोषणा भी की। इससे सरकारों को अपनी नकदी के प्रवाह और बाजार कर्ज की र​णनीति को संभालने में सुविधा होगी। इस ढील के बाद राज्य एक तिमाही में 50 दिन तक ओवरड्राफ्ट पर रह सकते है। पहले ओवरड्राफ्ट की स्थिति अधिकतम 36 दिन ही हो सकती थी। (भाषा)

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