कोलकाता। देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने आरबीआई द्वारा स्वीकृत ऋण वापसी पर रोक की सुविधा का विस्तार नकदी की कमी से जूझ रहे एनबीएफसी क्षेत्र के लिए करने का फैसला किया है ताकि वे इस संकट से उबर सकें। बैंक के प्रबंध निदेशक दिनेश कुमार खारा ने गुरुवार को यह जानकारी दी।
रिजर्व बैंक ने बैंकों को तीन महीने- मार्च, अप्रैल और मई 2020 के दौरान सभी तरह के सावधि कर्जदारों से किस्त वापसी पर रोक लगाने की अनुमति दी है। खारा ने कहा कि एसबीआई ने आरबीआई द्वारा कर्ज वापसी किस्तों पर रोक की दी गई अनुमति का विस्तार एनबीएफसी क्षेत्र के लिए करने का फैसला किया है, जो नकदी की गंभीर समस्या से जूझ रहे हैं।
उन्होंने पीटीआई को बताया कि एसबीआई प्रत्येक गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) के नकदी बजट और ‘रोक’ की इस सुविधा का उन तक लाभ पहुंचाने की जरूरत की जांच-परख करने के बाद मामला दर मामला आधार पर निर्णय लेगा।
खारा ने कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए की नकदी प्रवाह में कोई फासला नहीं बने और संकट की इस स्थिति से उन्हें उबारने के लिए एसबीआई ने यह फैसला किया है। इससे पहले एसबीआई ने हर तरह के उधार लेने वालों को अधिकतम 200 करोड़ रुपए तक की सीमा के भीतर 10 प्रतिशत आपातकालीन कोविड आकस्मिक ऋण दिया था।
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने सोमवार को एनबीएफसी और म्यूचुअल फंडों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक के दौरान नकदी की स्थिति और एमएसएमई को अधिक कर्ज देने के प्रयासों की समीक्षा की। सरकार द्वारा लॉकडाउन प्रतिबंधों में ढील देने के बाद एनबीएफसी ने सोमवार से अपना कामकाज फिर शुरू किया।
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने सोमवार को एनबीएफसी और म्यूचुअल फंड के प्रतिनिधियों के साथ एक बैठक में नकदी की स्थिति की समीक्षा की थी। इसमें एमएसएमई क्षेत्र को कर्ज प्रवाह बढ़ाने पर भी विचार-विमर्श हुआ। (भाषा)