सहम गया शेयर बाजार, अलर्ट मोड पर निवेशक, कैसा रहेगा जुलाई का तीसरा हफ्ता?
ट्रंप टैरिफ से TCS के रिजल्ट तक हर तरफ से निराश हुए निवेशक, 5 दिन में 932 अंक गिरा सेंसेक्स, निफ्टी में भी 311 अंक की गिरावट
Share market review: 9 माह का शीर्ष स्तर छूने के बाद जुलाई के पहला 2 हफ्ते भारतीय शेयर बाजारों के लिए कुछ खास नहीं रहा। टैरिफ पर भारत का अमेरिका से समझौता नहीं होने, वैश्विक बाजारों के कमजोर रुझान और मुनाफा वसूली के चलते स्थानीय शेयर बाजार लाल निशान में रहे। जानिए आने वाले हफ्ते में कैसा रहेगा मार्केट ट्रैंड और क्या करें निवेशक?
कैसी रही सेंसेक्स और निफ्टी की चाल : हफ्ते के पहले दिन 7 जुलाई को भारतीय शेयर बाजार फ्लैट ही रहे। सेंसेक्स में 9.61 की मामूली तेजी आई थी और निफ्टी स्थिर बंद हुआ। 8 जुलाई को बाजार बंद होने से पहले आईटी और बैंक के शेयरों में लेवाली के चलते शेयर बाजार में कुछ बढ़त दिखाई दी। सेंसेक्स 270.01 अंक की तेजी के साथ 83,712.51 पर पहुंच गया तो निफ्टी भी 61.20 अंक की बढ़त के साथ 25,522.50 अंक पर बंद हुआ। इसके बाद हफ्ते के आखिरी 3 दिन बाजार लाल निशान में ही रहे। 9 जुलाई को सेंसेक्स 176 और निफ्टी में 46.4 अंकों की गिरावट रही।
10 जुलाई को भी सेंसेक्स और निफ्टी क्रमश: 345.8 और 46.4 अंकों की गिरावट के साथ बंद हुए। 11 जुलाई को बाजार में भारी गिरावट आई। सेंसेक्स 689.81 अंक टूटकर 82,500.47 और एनएसई निफ्टी 205.40 अंक की गिरावट के साथ 25,149.85 अंक पर जा पहुंचा। साप्ताहिक आधार पर बीएसई सेंसेक्स में 932.42 अंक यानी 1.11 प्रतिशत की गिरावट देखी गई जबकि एनएसई निफ्टी में 311.15 अंक यानी 1.22 प्रतिशत की नरमी रही।
इन फैक्टर्स ने बदली बाजार की चाल : ट्रंप द्वारा कई देशों पर टैरिफ की दरें घोषित करने, भारत के साथ टैरिफ डील पर अनिश्चितता, ब्रिक्स देशों पर 10 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ, वैश्विक शेयर बाजारों से सकारात्मक रुझान नहीं मिलने से पूरे हफ्ते भारतीय शेयर बाजारों में बिकवाली का दबाव रहा। निवेशकों ने कंपनियों के तिमाही नतीजों से पहले सतर्क रुख अपनाया। देश की सबसे बड़ी आईटी सेवा कंपनी टीसीएस ने जून तिमाही में शुद्ध लाभ छह प्रतिशत बढ़कर 12,760 करोड़ रुपए हो जाने की सूचना दी। तिमाही के दौरान राजस्व 1.3 प्रतिशत बढ़कर 63,437 करोड़ रुपए हो गया। हालांकि इस परिणाम ने निवेशकों को निराश ही किया। आईटी, वाहन शेयरों में बिकवाली ने भी बाजार पर दबाव बढ़ाया।
कैसा रहेगा अगला हफ्ता : टैरिफ को लेकर ट्रंप की सख्ती से इस हफ्ते भी भारतीय शेयर बाजार पर दबाव बना रह सकता है। अगर भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड डील पर सहमति बन जाती है तो इसकी शर्ते बाजार की दिशा तय करेगी। वहीं अन्य देशों की तरह ट्रंप दबाव बनाने के लिए भारत को भी टैरिफ संबंधी पत्र भेजते हैं तो बाजार में गिरावट की स्थिति बन सकती है। वैश्विक बाजारों के रुख के साथ ही कंपनियों के तिमाही परिणाम भी सेंसेक्स और निफ्टी की चाल तय करेंगे।
F&O में 91 प्रतिशत व्यक्तिगत निवेशकों ने पैसा गंवाया: सेबी द्वारा जारी एक रिपोर्ट में कहा गया कि इक्विटी शेयर वायदा एवं विकल्प खंड में वित्त वर्ष 2024-25 में लगभग 91 प्रतिशत व्यक्तिगत कारोबारियों को घाटा हुआ। वित्त वर्ष 2023-24 में भी इसी तरह का रुझान देखा गया था। अध्ययन के अनुसार, व्यक्तिगत कारोबारियों का शुद्ध घाटा वित्त वर्ष 2024-25 में 41 प्रतिशत बढ़कर 1,05,603 करोड़ रुपए हो गया जो एक साल पहले 74,812 करोड़ रुपए था। इसके साथ ही, वायदा और विकल्प खंड में कारोबार करने वाले व्यक्तिगत निवेशकों की संख्या में पिछले वर्ष की तुलना में 20 प्रतिशत की कमी आई है। हालांकि, यह 2 साल पहले की तुलना में 24 प्रतिशत अधिक है।
BSE और NSE की सेबी को चेतावनी : प्रमुख शेयर बाजारों बीएसई और एनएसई ने निवेशकों को अपंजीकृत ऑनलाइन बॉन्ड मंच प्रदाताओं (ओबीपीपी) के साथ लेनदेन को लेकर शुक्रवार को आगाह किया। इन मंचों की बढ़ती लोकप्रियता के बीच निवेशकों को सतर्क रहने की सलाह दी गई है। ये मंच बॉन्ड जैसे निश्चित-आय वाले विभिन्न साधनों तक आसान पहुंच प्रदान करते हैं।
दोनों शेयर बाजारों ने एक संयुक्त बयान में कहा कि निवेशक किसी भी ऑनलाइन बॉन्ड मंच के जरिये निवेश करने से पहले कई प्रमुख कारकों पर विचार करें। इनमें बॉन्ड की क्रेडिट रेटिंग, जारीकर्ता का पुनर्भुगतान रिकॉर्ड, निवेश साधन की तरलता, निपटान समय-सीमा और कर संबंधी प्रभाव शामिल हैं। इसके अलावा, निवेशकों को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि ये मंच बाजार नियामक सेबी के साथ एक ऑनलाइन बॉन्ड मंच प्रदाता के रूप में पंजीकृत हैं।
जेन स्ट्रीट मामले पर सियासत : जेन स्ट्रीट मामले की वजह से शेयर बाजार को लेकर सियासी पारा भी गर्म रहा। राहुल गांधी ने एक्स पर पोस्ट कर कहा कि मैंने 2024 में साफ कहा था कि F&O बाजार 'बड़े खिलाड़ियों' का खेल बन चुका है, और छोटे निवेशकों की जेब लगातार कट रही है। अब सेबी खुद मान रहा है कि जेन स्ट्रीट ने हजारों करोड़ रुपए की हेरफेर की। उन्होंने सवाल किया कि सेबी इतने समय तक चुप क्यों रहा, क्या मोदी सरकार किसी के इशारे पर आंखें मूंदे बैठी थी और कितने बड़े शार्क अब भी खुदरा निवेशकों को नुकसान पहुंचा रहे हैं?
इस पर भाजपा आईटी सेल के अमित मालवीय ने पलटवार करते हुए कहा कि सेबी द्वारा एक वैश्विक संस्था पर प्रतिबंध लगाने की कार्रवाई स्पष्ट सबूत है कि छोटे निवेशकों की सुरक्षा के लिए कड़ी नियामक कार्रवाई की जा रही है जिसे गांधी सनसनीखेज बनाने की कोशिश कर रहे हैं। यदि सेबी चुप रहती तो कोई जांच नहीं होती, कोई प्रतिबंध नहीं होता, और कोई सुर्खियां नहीं बनती, उनका पूरा आरोप वहीं ध्वस्त हो जाता है। यह मोदी सरकार के सुधार ही हैं, जिन्होंने सेबी को पहले से कहीं अधिक पारदर्शी, सतर्क और स्वतंत्र बनाया है।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट : फिन एस्ट्रोलॉजर और शेयर बाजार एक्सपर्ट नितिन भंडारी ने कहा कि पिछला हफ्ता शेयर बाजार के लिए निगेटिव रहा। उन्होंने कहा कि करंट साइकिल (7 अप्रैल से 30 जुलाई) में बाजार ने बॉटम को छुआ। यहां से बाजार 2 से 5 हफ्ते तक नीचे जा सकता है। इस दौरान निफ्टी 23700 से 24325 का बॉटम छू सकता है। उन्होंने कहा कि 13 जुलाई को शनि ग्रह वक्री हो रहा है। इससे भी शेयर बाजार में अनिश्चितता का माहौल बन सकता है।
भंडारी ने बताया कि टैरिफ पर ट्रंप को ज्यादा रिस्पॉन्स नहीं मिल रहा है। मात्र 2 ही देशों से उनकी डील हुई है। इससे भी अनिश्चितता बढ़ रह है। उन्होंने कहा कि शेयर बाजार फ्यूचर एक्सपेंक्टेशन पर काम करता है। अगर किसी कंपनी का रिजल्ट बाजार की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरता है तो निवेशक भी उस कंपनी के शेयरों को ज्यादा रिस्पांस नहीं देते। ऐसा ही कुछ टीसीएस के साथ भी हुआ। चुंकी टीसीएस आईटी सेक्टर में मार्केट लीडर है इसलिए इस सेक्टर की कंपनियों को भी इसका खामियाजा उठाना पड़ा। बहरहाल आने वाले हफ्ते में भी कंपनियों के र्क्वाटर रिजल्ट्स बाजार को प्रभावित करेंगे। हर कंपनी खुद के फंडेमेंटल्स पर ही आगे बढ़ेगी।
अस्वीकरण : यह लेख केवल सूचना के उद्देश्य से है। यह कोई निवेश सलाह नहीं है। किसी भी निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श जरूर लें।