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क्या विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ने से बढ़ रही है मुद्रास्फीति?

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, रविवार, 27 अगस्त 2017 (15:50 IST)
मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक का विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ रहा है और यह 400 अरब डॉलर के आंकड़े के करीब है, पर इसके कारण तंत्र में नकदी बढ़ने से रिजर्व बैंक गवर्नर उर्जित पटेल के समक्ष स्थिति पेचीदी बन रही है और उनके लिए मुद्रास्फीति कम होने बाद भी नीतिगत ब्याज दर कम करना कठिन हो सकता है। ट्रेजरी अधिकारियों के अनुसार देश का विदेशी मुद्रा भंडार 400 अरब डॉलर के आंकड़े के करीब है। 
 
विश्लेषकों का मानना है कि यह सितंबर के पहले सप्ताह में 400 अरब डॉलर के ऊपर हो जाएगा। इससे अधिक वृहद आर्थिक स्थिरता आएगी, क्योंकि विदेशी मुद्रा भंडार 12 महीने के आयात के लिए पर्याप्त होगा लेकिन इससे मुद्रास्फीति कुछ बढ़ सकती है। 
 
जब पटेल ने गत वर्ष 5 सितंबर को गवर्नर का पदभार संभाला था, उस समय (2 सितंबर 2016) को विदेशी मुद्रा भंडार 367.76 अरब डॉलर था। पिछले 11 माह में विदेशी मुद्रा भंडार शुद्ध रूप से 25.84 अरब डॉलर बढ़ा है। इस साल 11 अगस्त को विदेशी मुद्रा भंडार 393.61 अरब डॉलर के स्तर पर था। 
 
पटेल ने 5 सितंबर 2016 को गवर्नर का पद संभाला था। इन 11 महीनों में इसमें 25.846 अरब डॉलर का इजाफा हुआ है। गत 11 अगस्त को विदेशी मुद्रा भंडार 393.612 अरब डॉलर था।
 
एक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक के ट्रेजरी प्रमुख ने कहा 
कि विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ रहा है, क्योंकि केंद्रीय बैंक बाजार में रुपए बेचकर डॉलर जुटा रहा है। तरलता पहले ही ज्यादा है उसमें और बढ़ोतरी होने से मुद्रास्फीतिक दबाव बढ़ सकता है। (भाषा) 

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