RBI के रेपो दर में कटौती को लेकर क्या बोले विशेषज्ञ
विशेषज्ञों ने कहा है कि इससे ब्याज दरों पर लंबे समय से प्रतीक्षित राहत मिलेगी और आर्थिक वृद्धि को समर्थन मिलेगा।
repo rate cut: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के रेपो दर (repo rate) में 0.25 प्रतिशत की कटौती करने पर विशेषज्ञों ने कहा है कि इससे ब्याज दरों पर लंबे समय से प्रतीक्षित राहत मिलेगी और आर्थिक वृद्धि को समर्थन मिलेगा। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने शुक्रवार को सुस्त पड़ रही अर्थव्यवस्था को गति देने के मकसद से लगभग 5 साल बाद प्रमुख नीतिगत दर रेपो को 0.25 प्रतिशत घटाकर 6.25 प्रतिशत कर दिया।
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उन्होंने कहा कि भविष्य में एमपीसी का कदम घरेलू मुद्रास्फीति की स्थिति पर निर्भर करेगा। आनंद राठी समूह के मुख्य अर्थशास्त्री और कार्यकारी निदेशक सुजान हाजरा ने कहा कि हमारी उम्मीदों के अनुरूप आरबीआई ने घरेलू वृद्धि को गति देने के लिए नीतिगत दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती की है, क्योंकि सकल (हेडलाइन) मुद्रास्फीति धीरे-धीरे अपने लक्ष्य सीमा की ओर बढ़ रही है।
रेपो दर को घटाने का निर्णय स्वागतयोग्य : श्रीराम जनरल इंश्योरेंस के कार्यकारी निदेशक और मुख्य निवेश अधिकारी अश्विनी धनावत ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा रेपो दर को 0.25 प्रतिशत घटाने का निर्णय स्वागत योग्य और अपेक्षित कदम है।
उन्होंने कहा कि चूंकि सरकार राजकोषीय समेकन के लिए प्रयासरत है जिसका लक्ष्य चालू वर्ष के लिए राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 4.8 प्रतिशत और 2025-26 में घटाकर 4.4 प्रतिशत करना है, इसलिए दर में यह कटौती निवेश के लिए अनुकूल वातावरण को बढ़ावा देने तथा उपभोक्ता विश्वास को बढ़ाने के लिए एक सक्रिय दृष्टिकोण को दर्शाती है।
भारतीय वाहन विनिर्माताओं के संघ सियाम के अध्यक्ष और टाटा पैसेंजर व्हीकल्स लिमिटेड एवं टाटा पैसेंजर इलेक्ट्रिक मोबिलिटी लिमिटेड के प्रबंध निदेशक शैलेश चंद्रा ने कहा कि हाल ही में पेश बजट में व्यक्तिगत आयकर में छूट के तुरंत बाद इस समय दरों में कमी से निश्चित रूप से वाहन क्षेत्र पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि इससे वित्तपोषण लागत कम होने से पहुंच बढ़ेगी जिससे पूरे बाजार में सकारात्मक धारणा पैदा होगी।
उन्होंने कहा कि बैंकों द्वारा ब्याज दर में कटौती का लाभ दिए जाने पर उद्योग के लिए पूंजीगत लागत कम हो जाएगी। चड्ढा ने कहा कि ऐसे समय में जब वैश्विक स्तर पर प्रतिकूल परिस्थितियां बनी हुई हैं, बाहरी चुनौतियों से निपटने के लिए घरेलू उद्योग को समर्थन देने की आवश्यकता है।(भाषा)
Edited by: Ravindra Gupta