Gold Price in India : भारत सहित दुनियाभर में इस समय सोने की चमक फिकी पड़ती दिखाई दे रही है। मई में अहमदाबाद में 10 ग्राम सोने की कीमत 63500 रुपए तक पहुंच गई थी। फिलहाल यहां सोना 57,210 रुपए प्रति 10 ग्राम है। पिछले 5 माह में सोना 6 हजार रुपए से ज्यादा सस्ता हो चुका है। यही नहीं चांदी के दाम भी तेजी से कम हो रहे हैं।
क्यों फिकी पड़ रही है सोने की चमक: बताया जा रहा है कि अमेरिकी फेड की ओर से ब्याज दरों में बढ़ोतरी की आशंका है। सोने की कीमत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तय होती है। इस कारण सोने और चांदी की कीमतों पर दबाव दिखाई दे रहा है। परंतु इसका सकारात्मक पक्ष है कि दाम कम होने की वजह से सोने की मांग बढ़ेगी और इसकी कीमत भी बढ़ेगी।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट : कमोडिटी मार्केट एक्सपर्ट सागर अग्रवाल ने बताया कि 5 माह में सोना 6 हजार रुपए तक गिर चुका है। फिलहाल 2023 में यह सबसे न्यूनतम स्तर पर है। इसके और गिरकर 56,000 हजार तक जाने की संभावना है। अमेरिका समाचार यूक्रेन को युद्ध के लिए फंड दे रहा है। इस वजह से अमेरिका पर कर्ज और उसका ब्याज बढ़ रहा है। इस वजह से सभी मेटल्स पर दबाव बन रहा है।
उन्होंने कहा कि 56,000 के स्तर पर निवेश के लिए बेहतर अवसर है। आने वाले समय में अच्छा प्रॉफिट निकाल सकते हैं। जल्द ही बाजार में बूम दिखाई देगा और दिसंबर तक अच्छा रिटर्न मिलने की संभावना है।
क्या कहती है फाइनेंशियल एस्ट्रोलॉजी : फाइनेंशियल एस्ट्रोलॉजर नितिन भंडारी ने कहा कि यह समय सोना खरीदने के लिए उपयुक्त है। अमेरिकी बाजार में बनी स्थितियों की वजह से भारत में सोने के दाम कम हुए हैं। यह अपने नियर बाय बॉटम में है। वेस्टर्न एस्ट्रोलॉजी ट्रॉपिकल राशि चक्र के अनुसार, 12 अक्टूबर की सुबह मंगल वृश्चिक राशि में आएगा। फिलहाल यह तुला में है। जब भी मंगल तुला राशि में रहता है तो सोने के दाम कम होते हैं और वृश्चिक में जाने से इसके दाम बढ़ना तय है।
100 साल में सोने ने दिया कितना रिटर्न : 1923 में 10 ग्राम सोने की कीमत मात्र 18.35 रुपए प्रति 10 ग्राम (तोला) थी। अगर उस समय आपके पूर्वजों ने मात्र 10 ग्राम भी सोना खरीदकर सहेज लिया होता तो आज आपको इसके 57,000 रुपए से ज्यादा मिलते। 1933 में पहली बार यह 24 रुपए के पार पहुंचा। 1942 में इसकी कीमत 44 रुपए प्रति 10 ग्राम हो गई। 1947 में यह 88 रुपए पर पहुंच गया और 1960 में पहली बार गोल्ड 100 रुपए प्रति 10 ग्राम के पार पहुंचा। 1974 में सोना ने 500 रुपए स्तर को पार किया तो 1980 में यह 1000 के पार पहुंच गया। इसी वर्ष यह कुलांचें भरता हुआ 1330 रुपए प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गया। 1996 में सोने की कीमत 5160 रुपए प्रति 10 ग्राम थी। 2007 में सोना पहली बार 10 हजारी हुआ 2011 में सोना 26 हजारी हुआ। जुलाई 2020 में सोना पहली बार 50,000 पर पहुंचा था। मार्च 2023 में सोना 60 हजार के पार पहुंच गया।
फेस्टिव सीजन में बढ़ेगी मांग : भारत में त्योहारी सीजन में सोने की मांग बेहद बढ़ जाती है। नवरात्रि से लेकर दीपावली तक बड़ी संख्या में लोग सोने के गहने, सिक्के आदि खरीदते हैं। महिलाएं पहनने के लिए आभूषण खरीदती है तो कई लोग पूजा में रखने और गिफ्ट में देने के लिए सोने के सिक्के आदि खरीदते हैं। सिक्के खरीदने के एक उद्देश्य निवेश भी होता है। गहनों के मामले में सोना हमेशा से ही महिलाओं की पहली पंसद रहा है। त्योहारी सीजन के बाद शादी-ब्याह के सीजन में देश में सोने की मांग काफी बढ़ जाती है।
क्यों कहा जाता है डेड एसेट : वित्त बाजार में इसे डेड एसेट माना जाता है। क्योंकि इसमें निवेश पर ना तो कोई ब्याज मिलता है और ना ही डिविडेंड। इसके बावजूद भी कई विशेषज्ञ इसे निवेशकों के पोर्टफलियो का अनिवार्य अंग मानते हैं। महिलाएं भी इसे मुश्किल समय का साथी मानती है। हर भारतीय परिवार में महिलाओं के पास सोने का कम से कम एक गहना तो होता ही है।
क्यों आसान नहीं सोना खरीदना : साल 1947 में प्रति व्यक्ति की सालाना आय 274 रुपए थी। इस तरह औसतन उसे हर माह उसे 22.83 रुपए मिलते थे। वहीं 1 तोला सोने की कीमत 88.62 रुपए थी, जिसके लिए उसे करीब 4 माह की तनख्वाह खर्च करना पड़ती। वर्ष 2023 के बजट में प्रति व्यक्ति आय 1.97 लाख रुपए प्रति वर्ष बताई गई है। फिलहाल देश में सोने की कीमत 57,000 रुपए प्रति 10 ग्राम से अधिक है। इस तरह अभी भी 10 ग्राम सोना खरीदने के लिए औसतन एक सामान्य व्यक्ति को 3 माह से ज्यादा कमाई खर्च करना होती है।