नई दिल्ली। देश में पेट्रोल और डीजल के दाम चरम पर है। कई शहरों में पेट्रोल की कीमत 100 रुपए पार पहुंच गई है। कच्चे तेल के दामों में आई तेजी से इसके कम होने के आसार दूर-दूर तक नजर नहीं आ रहे हैं। इस वजह से महंगाई भी तेजी से बढ़ रही है। आवश्यक वस्तुओं के दाम से लेकर किराए तक खाने-पीने की वस्तुओं के दाम बढ़ने आम आदमी हलकान है।
इस बीच एसबीआई ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाकर आम आदमी को बड़ी राहत दी जा सकती है। अगर पेट्रोल डीजल को जीएसटी के दायरे में लाया जाता है तो देश में पेट्रोल के दाम घटकर 75 रुपए प्रति लीटर हो जाएंगे और डीजल भी मात्र 68 रुपए प्रति लिटर मिलने लगेगा। एसबीआई ने यह हिसाब क्रूड आइल की कीमत 60 रुपए और डॉलर की कीमत 73 रुपए मानकर लगाया है।
हालांकि सरकार के लिए यह फैसला आसान नहीं है। इससे केंद्र सरकार को 1 लाख करोड़ का घाटा होगा। साथ ही राज्य सरकार को भी राजस्व का नुकसान होगा। सरकार ने इस वर्ष के बजट में अपना खर्च 36 प्रतिशत बढ़ाया है जबकि आय 19 प्रतिशत घटी है। ऐसे में सरकार के लिए यह कदम उठाना बिलकुल भी आसान नहीं है।
फिलहाल पेट्रोल-डीजल पर अलग-अलग जगह अलग अलग दर से कर लगता है। फिर भी देश में पेट्रोलियम उत्पादों पर करीब 60 प्रतिशत कर लगता है। केंद्र सरकार की तरफ से लिए गए टैक्स में से 41 प्रतिशत हिस्सा राज्यों को जाता है। लेकिन जीएसटी के दायरे में आने से इस पर 28 प्रतिशत कर लगेगा।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पेट्रोल-डीजल की कीमत में कटौती को लेकर केंद्र और राज्य को साथ मिलकर बात करने और टैक्स में सामूहिक कटौती करने की बात की है। 27 मार्च से 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। ऐसे में सरकार टैक्स में कमी कर पेट्रोलियम पदार्थों के दाम घटा सकती है।
तेल उत्पादक देशों के समूह ओपेक प्लस द्वारा उत्पादन नहीं बढ़ाने के निर्णय के बाद दुनियाभर में कच्चे तेल के दाम तेजी से बढ़ रहे हैं।
विदेशी बाजारों में लंदन ब्रेंट क्रूड ऑयल 2.62 डॉलर प्रति बैरल बढ़कर 69.39 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया है। अगर सरकार ने जल्द ही कोई कदम नहीं उठाया तो आने वाले समय में लोगों की परेशानी और बढ़ जाएगी।