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साल 2016 : एफएमसीजी कंपनियों को उबरने की उम्मीद

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नई दिल्ली। इस साल बेहतर मानसून और सातवें वेतन आयोग के लागू होने से एफएमसीजी कंपनियों को अच्छे परिणामों की उम्मीद थी, लेकिन सरकार के साल के अंत में अचानक से लिए गए नोटबंदी के फैसले से आंशिक तौर पर इन कंपनियों को नुकसान पहुंचा है।

दो साल सूखे की वजह से मंदी रहने के बाद इस साल कंपनियों को ग्रामीणों की आय और सरकारी कर्मियों के वेतन बढ़ने से मांग बढ़ोतरी होने की उम्मीद थी।
 
नोटबंदी से प्रभावित रोजमर्रा की उपभोक्ता वस्तु (एफएमसीजी) क्षेत्र की कंपनियों ने आठ नवंबर के बाद के समय को बाजार में अस्थाई सुस्ती करार दिया है और उनका मानना है कि मजबूत मांग और उपभोग के चलते अगली तिमाही में मांग में बढ़ोतरी होनी चाहिए। 
 
अर्थव्यवस्था के अन्य हिस्सों की तरह यह क्षेत्र भी 2017 में वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) के लागू होने के बाद की व्यवस्था के लिए तैयार हो रहा है जिसके बारे में विशेषज्ञों का मानना है कि इससे कंपनियों को उच्च कर और अन्य बढ़ती लागत से राहत मिलेगी। 
 
अगला साल बेहतरी के साथ शुरू होने की उम्मीद रखते हुए मेरिको के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी सौगत गुप्ता ने कहा, हमें (वित्तवर्ष 2016-17 की) तीसरी तिमाही के मुकाबले चौथी तिमाही में अच्छी वृद्धि की उम्मीद है। हमने सुधार के कुछ संकेत पहले ही देखें हैं विशेषकर एकल आधुनिक व्यापार, शहरी, खुदरा और रसायन क्षेत्र में, लेकिन इसको पूरी तरह से स्थिर होने में समय लगेगा।
 
इसी प्रकार गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स के प्रबंध निदेशक विवेक गंभीर ने कहा, कुल मिलाकर एफएमसीजी क्षेत्र के लिए 2016 सुस्तीभरा साल रहा। कुछ सुधार हमने देखा, लेकिन मानसून के बाद इसमें मजबूत सुधार की उम्मीद थी लेकिन नोटबंदी के प्रभाव से यह भावनाएं पटरी से उतर गईं। 
 
आईटीसी के मुख्य परिचालन अधिकारी संजीव पुरी ने ग्राहकों, थोक विक्रेताओं, खुदरा विक्रेताओं, ब्रांड के मालिकों और विनिर्माताओं की परेशानियों के बारे में बातचीत की। उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में वृद्धि दर ठप है। ऐसी भी कई श्रेणियां, जिनकी बिक्री अच्छी होती है, वह भी मंदी के दौर से गुजर रही है। लघु अवधि में हमारे पास चुनौतियां हैं लेकिन भारत में स्वयं वृद्धि करने की कई दीर्घावधि संभावनाएं हैं, इसलिए हम आशान्वित हैं।
 
हालांकि पतंजलि आयुर्वेद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी आचार्य बालकृष्ण ने दावा किया, जब लोगों के सामने ऐसी स्थिति होती है तो वे केवल जरूरत की किफायती वस्तुएं ही खरीदते हैं। नोटबंदी से हमारी बिक्री पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है बल्कि इसमें हल्की वृद्धि ही दर्ज की गई है। (भाषा) 

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