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रहाणे ने खोला सबसे बड़ा राज

हमें फॉलो करें रहाणे ने खोला सबसे बड़ा राज
नई दिल्ली , शनिवार, 15 जुलाई 2017 (17:11 IST)
नई दिल्ली। मार्च में भारत का टेस्ट कप्तान होना और जून में 12वें खिलाड़ी की भूमिका निभाना कभी आसान नहीं होता,  लेकिन अजिंक्य रहाणे टीम को समर्पित खिलाड़ी हैं जिनका मानना है कि जब कोई भारत की जर्सी पहनता है तो उसे अपनी असुरक्षा और अहं को दूर रखना पड़ता है।
 
धर्मशाला में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ चौथे टेस्ट में रहाणे भारत के कप्तान थे और भारत ने यह टेस्ट जीतकर  टेस्ट श्रृंखला अपने नाम की थी। चैंपियंस ट्रॉफी में हालांकि उन्हें एक भी मैच खेलने को नहीं मिला और उन्हें  12वें खिलाड़ी की भूमिका निभानी पड़ी।
 
रहाणे कहा कि अगर मैं टेस्ट टीम में उप कप्तान हूं तो इसका मतलब यह नहीं कि मैं एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैचों में 12वें खिलाड़ी की अपनी भूमिका नहीं निभाऊंगा। जब आप अपने देश का प्रतिनिधित्व कर रहे होते हैं तो आपको वही करना होता है जो काम आपको सौंपा जाता है। जब मैं चैंपियंस ट्रॉफी के दौरान ड्रिंक्स लेकर जा रहा था तो मुझे अहं से जुड़ी कोई समस्या नहीं थी। मैं ऐसा ही व्यक्ति हूं। 
 
दाएं हाथ के इस बल्लेबाजी ने वेस्टइंडीज में भारत की एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय टीम में सफल वापसी करते हुए पांच मैचों में एक शतक और तीन अर्द्धशतक की बदौलत 67.20 की औसत से 336 रन बनाए। उन्होंने कहा कि वेस्टइंडीज के खिलाफ श्रृंखला मेरे लिए विशेष थी, जो मैंने निरंतरता दिखाई उसके कारण। यह 
 
श्रृंखला मेरे एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय करियर के लिए महत्वपूर्ण थी और लगभग सभी मैचों में रन बनाना  संतोषजनक अहसास है। मुझे अपनी बल्लेबाजी के विभिन्न पक्षों को दिखाने का मौका मिला।  रहाणे के अनुसार खेल के तकनीकी पहलुओं में बदलाव से अधिक जरूरी मानसिक तौर पर बदलाव करना है। रहाणे के अनुसार वेस्टइंडीज में खेली गई पारियां विशेष थीं, क्योंकि वहां की पिच बल्लेबाजी के लिए पूरी तरह से अनुकूल नहीं थी और पोर्ट ऑफ स्पेन तथा एंटीगा की पिचों पर काफी परेशानी हो रही थी। (भाषा) 

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