मेलबर्न में खेले गए दूसरे (बॉक्सिगं डे) टेस्ट में अजिंक्य रहाणे ने अपने करियर का बारहवां और कप्तान के रूप में अपना पहला शतक बनाया। रहाणे का कप्तान के रूप में यह तीसरा टेस्ट रहा और यह शतक ऐसे समय आया है जब भारत को इसकी सख्त जरूरत थी।
32 वर्षीय रहाणे ने ऐसी विषम परिस्थितियों में एक योद्धा की तरह मोर्चा संभाल कर शतकीय पारी खेली। रहाणे ने पैट कमिंस पर चौका लगाकर अपना शतक पूरा किया।
रहाणे को हालांकि अपने शतक में दो जीवनदान भी मिले लेकिन इन्हें छोड़ दिया जाए तो इस शतक को विदेशी जमीन पर भारत के बेहतरीन शतकों में शुमार किया जाएगा।
दूसरे दिन एक छोर से मोर्चा संभालने वाले रहाणे तीसरे दिन का खेल शुरु होने कुछ देर बाद ही रन आउट होकर अपना विकेट गंवा बैठे। रहाणे ने 223 गेंदों में 12 चौकों की मदद से 112 रन बनाए।
यही नहीं दूसरी पारी में कप्तान अजिंक्य रहाणे ने नाबाद 40 गेंदो में 27 रन बनाकर भारत को जीत की मंजिल पर पहुंचा दिया। इसमें कोई दो राय नहीं है कि रहाणे ही इस टेस्ट मैच के सर्वाधिक सफल बल्लेबाज रहे।
यह ही कारण रहा कि उन्हें मैन ऑफ द मैच का पुरुस्कार से नावाजा गया। यह ही नहीं उन्हें क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया द्वारा मुलाग मेडल दिया गया।क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने टेस्ट शुरु होने से पहले ही इसकी घोषणा कर दी थी।
इस मेडल का नाम पूर्व ऑस्ट्रेलियाई कप्तान जॉनी मुलाग के नाम पर रखा जो 152 साल पहले विदेशी दौरा करने वाली राष्ट्रीय टीम के पहले कप्तान थे। यह मैडल पाने वाले अजिंक्य रहाणे दुनिया के पहले खिलाड़ी बन गए हैं।