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पाक कप्तान के मामू की चाहत, भारत पड़ोसी मुल्क को धूल चटाए और जीते एशिया कप

हमें फॉलो करें पाक कप्तान के मामू की चाहत, भारत पड़ोसी मुल्क को धूल चटाए और जीते एशिया कप
, मंगलवार, 18 सितम्बर 2018 (22:58 IST)
इटावा। पाकिस्तान के कप्तान सरफराज अहमद के मामू की दिली तमन्ना है कि भारत न सिर्फ पड़ोसी मुल्क को धूल चटाए बल्कि बाकी के भी मुकाबले जीतकर एशिया का सरताज बने। भारत और पाकिस्तान के बीच बुधवार को दुबई में एशिया कप का हाई वोल्टेज मैच खेला जाएगा। मैच से पहले सरफराज ने अपनी टीम की जीत का दावा किया है। 
 
 
भारत में रह रहे उनके मामू महबूब हसन को भी भांजे से अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद है हालांकि जीत की दुआ वह सिर्फ भारतीय टीम के लिए कर रहे है। हांगकांग के खिलाफ एकतरफा जीत के बाद सरफराज ने कहा था कि उनकी टीम को एशिया कप की प्रबल दावेदार भारतीय टीम को हराना है हालांकि मुकाबले से पहले टीम को खेल के हर विभाग में काफी सुधार करना पड़ेगा। 
     
उत्तर प्रदेश में इटावा के निवासी हसन यहां कृषि इंजीनियरिंग कालेज में वरिष्ठ लिपिक के पद पर कार्यरत हैं। उन्होने मंगलवार को कहा कि उनकी चाहत यही है, भारतीय टीम विजेता बने यही वो अल्लाह से दुआ भी करते है। हसन ने दावे से कहा कि पाकिस्तान के खिलाफ खेले जाने वाले मैच में भारतीय टीम की ही जीत होगी। इसका कारण है कि भारतीय टीम पाकिस्तान के मुकाबले बेहद संतुलित टीम है और पिछले कुछ अरसे से अच्छा प्रदर्शन कर रही है।
      
उन्होंने कहा, पाकिस्तान टीम का कप्तान उनका भांजा बहुत अच्छा खिलाड़ी है। वह अच्छा खेलता है। मेरी दुआ है कि वह कल भी अच्छा खेले। लेकिन जीत की दुआ तो हम भारत की टीम की ही करते हैं। सरफराज की मामी समर फातमा का कहना है कि उनकी मांजा बेहद ही शरारती है, जो आए दिन फोन करके पूरा घर का हाल चाल तो लेता साथ ही साथ ही अपने बारे में भी बखूबी बताता है। 
 
हसन ने कहा कि मुल्क सबसे बड़ा होता है और हिंदुस्तान मेरा मुल्क है। सरफराज की आलोचना करने वाले पूर्व पाकिस्तानी क्रिकेट कप्तानों पर मामा हसन बेहद खफा नजर आए। उनका कहना है कि उनके भांजे की काबिलियत पूर्व क्रिकेटरों को हजम नहीं हो रही है। वे सिर्फ राजनीति कर रहे हैं।
 
उन्होंने बताया कि सरफराज से उनकी आखिरी मुलाकात मई 2015 में उस समय हुई थी, जब वह उसकी शादी में पाकिस्तान गए थे। वह यह भी कहने से नहीं चूके कि पाकिस्तान हमारे मुल्क जैसा कभी नहीं हो सकता, हमारे मुल्क के समान कभी नहीं हो सकता। हसन के मुताबिक़ पकिस्तान में अब भी मोहाजिरों (हिंदुस्तान से गए मुसलमान) से दूरी रखी जाती है और उनको घृणा की नजर से देखा जाता है।
 
मामू ने कहा कि 2015 में 19 मई को वह सरफ़राज़ की शादी में कराची गए थे। उस वक्त भी सरफ़राज़ के मोहाजिर होने की बात पाकिस्तानी मीडिया ने उठाई थी। सरफराज, महबूब हसन की पाकिस्तान के कराची शहर में रहने वाली बहन अकीला बानो का बेटा है। 
  
असल में महबूब हसन उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले के दिलेरगंज कुंडा के मूलरूप से रहने वाले हैं लेकिन 1995 में हसन की नौकरी इटावा में लग जाने से पूरा परिवार यहीं रह रहा है। बकौल हसन 1991 में उनकी शादी के दौरान करीब चार साल का सरफराज हिंदुस्तान आया था। 
 
सरफराज की मां अकीला बानो एक दफा 2010 में इटावा के डॉ. भीमराव अंबेडकर कृषि इंजीनियरिंग कालेज आ चुकी है लेकिन वीसा नियमावली के मुताबिक उन्हें सिर्फ कुंडा में ही रूकने की अनुमति थी इसलिए वह आकर जल्द ही चली गई थी। 
      
सरफराज बचपन से ही क्रिकेट का दीवाना था। वह स्कूल में पढ़ाई करने के बजाय ग्राउंड में खेलता था। कई बार टीचर उसकी शिकायत लेकर घर आए। उसे घरवालों ने बहुत समझाया कि मेहनत से पढ़ाई करो लेकिन उस पर कोई असर नहीं हुआ। उसके दादा एजुकेशन बोर्ड के चेयरमैन थे। एक दिन उन्होंने सरफराज के पिता शकील अहमद से कहा कि अगर ये (सरफराज) क्रिकेट खेलना चाहता है तो इसे खेलने से मत रोको। उस दिन के बाद से सरफराज को खेलने से किसी ने नहीं रोका। सरफराज के बड़े भाई ने घर के बिजनेस में अपने पिता का हाथ बंटाना शुरू कर दिया।
     
हसन ने कहा, 'मेरी जब भी सरफराज से बात होती है तो वह कहता है कि मामू, अगर बड़े भैया ने साथ नहीं दिया होता तो मैं क्रिकेटर नहीं बन पाता। पाकिस्तान की अंडर-19 टीम के लिए चयन होने के बाद सरफराज ने फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। क्रिकेट के प्रति उसके समर्पण और जुनून को देखकर पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस ने उसे अपने यहां नौकरी दी।'
 

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