नई दिल्ली। पूर्व भारतीय बल्लेबाज आकाश चोपड़ा का मानना है कि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) ने स्टीवन स्मिथ को सजा दे दी थी लेकिन उसके बाद क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया (सीए) ने स्मिथ, डेविड वॉर्नर और कैमरन बेनक्रॉफ्ट को जो सजा दी, वह बहुत कड़ी थी।
पूर्व टेस्ट ओपनर और अब कमेंटेटर आकाश गुरुवार को यहां आईपीएल विजेता ट्रॉफी के टाटा मोटर्स शोरूम में फैंस के लिए लाए जाने के अवसर पर बातचीत कर रहे थे। टाटा नेक्सन आईपीएल का आधिकारिक पार्टनर है। करीब 1 घंटे तक इंतजार के बाद आकाश जब शोरूम पहुंचे तो उनसे पहला सवाल ही बॉल टैम्परिंग के मुद्दे पर था।
आकाश ने साफ शब्दों में कहा कि 12 महीने का प्रतिबंध एक कड़ी सजा है। नियम अनुसार आईसीसी ने अपनी सजा सुना दी थी लेकिन इसके बाद सीए ने जो फैसला लिया वह बहुत ही कड़ा फैसला था। मुझे लगता है कि यह मामला ऑस्ट्रेलिया के लिए नैतिकता से जुड़ा मामला बन गया था और जब ऐसी स्थिति आ जाती है, तो सजा कोई भी हो सकती है, वह आजीवन प्रतिबंध भी हो सकती है।
पूर्व बल्लेबाज ने कहा कि ऐसा नहीं है कि बॉल टैम्परिंग पहली बार हुई है। पहले भी कई बार ऐसे मामले सामने आए लेकिन उनमें इतनी बड़ी सजा नहीं सुनाई गई। शाहिद अफरीदी पर 2 वनडे का बैन लगा था। राहुल द्रविड़ पर 50 फीसदी फीस जुर्माना हुआ था लेकिन यहां तो 12 महीने का ही प्रतिबंध लगा दिया गया है।
आकाश ने साथ ही कहा कि यह भी अजीब बात है कि 3 बल्लेबाज टैम्परिंग कर रहे थे और गेंदबाजों को कुछ पता ही नहीं था। 3 बल्लेबाजों का बॉल टैम्परिंग करना ऐसा है, मानो दिन को रात कहा जा रहा हो। इस प्रकरण के बाद ऑस्ट्रेलियन क्रिकेट को उथल- पुथल के दौर से गुजरना होगा और स्मिथ फिर कभी कप्तान नहीं बन पाएंगे।
इस मामले को 'ब्रेन फेड' कहे जाने पर आकाश ने कहा कि बिलकुल सही बात है, यह ब्रेन फेड जैसी स्थिति थी जब मैदान में 35 कैमरे लगे हों तो आप ऐसी बेवकूफाना हरकत कैसे कर सकते हैं? क्या यह आपको पता नहीं था कि कैमरों की नजर आपकी हर एक हरकत पर है?
स्मिथ और वॉर्नर के बाहर होने का आईपीएल पर कोई असर पड़ने के सवाल पर आकाश ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि इससे आईपीएल का आकर्षण कम होगा। किसी के होने या न होने से इस टूर्नामेंट पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा बल्कि दूसरे खिलाड़ियों को उनकी जगह मौका मिलेगा।
बीसीसीआई के इन दोनों खिलाड़ियों को आईपीएल से बाहर करने के फैसले पर आकाश ने कहा कि भारतीय बोर्ड ने पहले सीए के फैसले का इंतजार किया और उसके बाद जाकर इन्हें आईपीएल से बाहर किया। बीसीसीआई की ऐसी किसी भी हरकत को न बर्दाश्त करने की स्पष्ट नीति है। (वार्ता)