नई दिल्ली। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) की बोर्ड बैठक में राजस्व मामले पर अपनी जंग हारने से लगभग 1792 करोड़ रुपए का घाटा उठाना पड़ेगा।
बीसीसीआई को दुबई में हुई आईसीसी बोर्ड बैठक में सभी सदस्यों के बीच अकेले पड़ जाना पड़ा और बिग थ्री सदस्यों के दो अन्य बड़े बोर्डों इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया ने भी उसका साथ नहीं दिया। भारत को बिग थ्री के राजस्व मॉडल में 57 करोड़ डॉलर (3648 करोड़ रुपए) का राजस्व मिलता था, जो नये राजस्व मॉडल में घटकर 29.3 करोड़ डॉलर (1856 करोड़ रुपए) रह गया है।
आईसीसी में पैसे के खेल में दुनिया के सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड समझे जाने वाले बीसीसीआई को ही मात मिल गई। नए राजस्व मॉडल में बीसीसीआई के खजाने में खासी कमी आई है, जबकि खेल के साथ अन्य पूर्ण सदस्य देशों को एक समान पैसा मिलेगा।
बीसीसीआई ने राजस्व मामले का लगातार विरोध किया और पिछले एक सप्ताह तक भारत के विरोध तथा अन्य देशों को मनाने की कोशिशों के बावजूद शेष सदस्यों ने भारतीय बोर्ड का कोई साथ नहीं दिया। हालांकि इस बीच आईसीसी के चेयरमैन शशांक मनोहर ने बीसीसीआई को 10 करोड़ डॉलर अतिरिक्त देने की पेशकश की थी जिससे बीसीसीआई का राजस्व लगभग 40 करोड़ डॉलर पहुंच सकता था, लेकिन बीसीसीआई के प्रतिनिधि अमिताभ चौधरी ने इसे ठुकरा दिया था।
आईसीसी के नए राजस्व मॉडल के तहत बीसीसीआई को आठ साल के चक्र में 29.3 करोड़ डॉलर मिलेंगे जबकि इंग्लैंड को 14.3 करोड़ डॉलर और जिम्बाब्वे को 9.4 करोड़ डॉलर मिलेंगे। शेष सात पूर्ण सदस्य देशों को 13.2 करोड़ डॉलर दिए जाएंगे। एसोसिएट सदस्यों को कुल 28 करोड़ डॉलर दिए जाएंगे।
इंग्लैंड को पहले 15 करोड़ डॉलर मिलते थे जो अब मामूली घटकर 14.3 करोड़ डॉलर पहुंचे हैं। ऑस्ट्रेलिया की हिस्सेदारी लगभग पहले जितनी ही है, लेकिन अब ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका, पाकिस्तान, न्यूजीलैंड, श्रीलंका, बांग्लादेश और वेस्टइंडीज अब 13.12 करोड़ डॉलर के साथ एक बराबरी पर आ गए हैं।
इस परिवर्तन को 14-1 के बड़े अंतर से पारित किया गया। बीसीसीआई का इस प्रस्ताव के खिलाफ एकमात्र वोट रहा। मनोहर ने बैठक के बाद आईसीसी की एक विज्ञप्ति में कहा कि विश्व क्रिकेट के लिए यह एक बड़ा कदम है और मैं वार्षिक सम्मेलन के साथ इसका समापन करूंगा। मुझे विश्वास है कि हम वैश्विक रूप से खेल के विकास के लिए एक मजबूत आधारशिला रखेंगे, जिसका स्तंभ यह वित्तीय मॉडल और प्रशासनिक सुधार होगा। (वार्ता)