कोलम्बो:श्रीलंका के ख़िलाफ़ वनडे सीरीज़ भारतीय महिलाओं के लिए नई शुरुआत है। मिताली राज के संन्यास के बाद यह भारत की पहली सीरीज़ है। साल 2005 में मिताली राज ने भारतीय महिला क्रिकेट टीम की कमान संभाली थी।तब के बाद से अब हरमनप्रीत कौर स्थायी तौर पर कप्तानी संभालेंगी।टी20 सीरीज़ में 2-1 से जीत के बाद भारत वनडे सीरीज़ में भी जीत दर्ज करना चाहेगा।
हरमनप्रीत कौर अब सभी फ़ॉर्मेट की कप्तान हैं और वह इसको लेकर उत्साहित भी है। वनडे सीरीज़ से पहले प्रेस कॉन्फ़्रेंस में उन्होंने कहा, "जब मैं टीम का नेतृत्व करती हूं तो मुझे लगता है कि मैं खेल से अधिक जुड़ी हूं। इससे मुझे बहुत आत्मविश्वास मिलता है। कप्तानी मेरे अंदर नैसर्गिक है और जब आपका इसमें अनुभव बढ़ता जाता है तब आपके लिए चीज़ें और आसान होती जाती हैं। अब मेरे ऊपर कप्तानी का कोई अतिरिक्त दबाव नहीं होता है। अब मैं जो करना चाहती हूं, कर सकती हूं। मुक्त माहौल होने से खिलाड़ियों को भी अपना खेल सुधारने में मदद मिलती है। मैं उन्हें पूरी स्वतंत्रता देती हूं ताकि वे अपना सर्वश्रेष्ठ कर सकें।"
भारत को इस साल राष्ट्रमंडल खेल और अगले साल की शुरुआत में टी20 विश्व कप खेलना है। इसलिए हरमनप्रीत खिलाड़ियों की फ़िटनेस से कोई समझौता नहीं करना चाहती हैं।उन्होंने कहा, "एक कप्तान के रूप में मैं हमेशा कुछ लक्ष्य रखती हूं। फ़िटनेस इसमें सबसे प्रमुख है और मैं इस मामले में अपनी टीम के लिए एक उदाहरण बनना चाहती हूं। इसके अलावा मैं अपनी टीम की फ़ील्डिंग में भी सुधार देखना चाहती हूं।"
भारत के पास ऋषिकेश कानितकर के रूप में बल्लेबाज़ी कोच और रमेश पोवार के रूप में मुख्य कोच हैं, जो गेंदबाज़ी कोच का भी काम देखते हैं। वहीं विश्व कप के लिए टीम के साथ मानसिक स्वास्थ्य कोच मुग्धा बावरे को भी जोड़ा गया था, जो अब टीम के साथ नहीं हैं। हालांकि हरमनप्रीत इसकी ज़रूरत महसूस करती हैं।
उन्होंने कहा, "मुग्धा मैम ने विश्व कप के दौरान मेरी बहुत मदद की थी। वह बहुत मेहनत करती हैं और टीम में उनके जैसे लोगों की ज़रूरत है। फ़िलहाल वह टीम के साथ नहीं हैं लेकिन उम्मीद है कि हमें कोई ऐसा मिल सकेगा जो हमारे साथ लंबे दौरों पर यात्रा कर सके। कभी-कभी आपको ऐसे लोगों की ज़रूरत होती है, जो आपकी छोटी समस्याओं को भी सुन सकें। अगर आप मानसिक रूप से फ़िट हैं तो आप अपना खेल सुधार सकते हैं और मैदान पर अपना 100% दे सकते हैं।"(वार्ता)