Online Gaming Bill : लोकसभा में बुधवार को पेश किया गया ऑनलाइन गेमिंग संवर्धन एवं विनियमन विधेयक 2025 उन ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म्स के लिए खतरे की घंटी हो सकता है जो असली पैसे के लेनदेन पर चलते हैं। खासकर क्रिकेट जैसे खेलों में बड़ी स्पॉन्सरशिप डील्स करने वाले ऐप्स पर इसका सीधा असर पड़ सकता है। सरकार का मकसद है इस तेजी से बढ़ते ऑनलाइन गेमिंग सेक्टर को नियमों के दायरे में लाना। यह कदम भले ही फैंटेसी गेमिंग इंडस्ट्री के लिए मुश्किलें बढ़ा सकता है, लेकिन ई-स्पोर्ट्स के लिए यह एक सकारात्मक संकेत माना जा रहा है।
सरकार का कहना है कि इन रियल मनी गेम्स की वजह से सामाजिक समस्याएं बढ़ रही हैं, और इन्हें रोकने के लिए सख्त नियम जरूरी हैं।
क्या कहता है विधेयक?
इस नए विधेयक के तहत एक नियामक संस्था बनाई जाएगी जो चार तरह के गेमिंग क्षेत्रों को देखेगी:
1. ई-स्पोर्ट्स
2. एजुकेशनल गेमिंग
3. सोशल और कैजुअल गेमिंग
4. पैसे से जुड़ी गेमिंग (Online Money Gaming)
इसमें से ऑनलाइन मनी गेम्स पर प्रतिबंध लगाया जाएगा। प्रतिबंध अनुच्छेद के अनुसार: कोई भी व्यक्ति ऑनलाइन मनी गेम और ऑनलाइन मनी गेमिंग सेवा की पेशकश में सहायता, प्रोत्साहन, प्रेरित करने या अन्यथा इसमें शामिल नहीं होगा।
इसके अलावा बैंक और वित्तीय संस्थानों को भी इनसे दूर रहने को कहा गया है। इसमें कहा गया, कोई भी बैंक, वित्तीय संस्थान, या वित्तीय लेनदेन या धन के प्राधिकरण की सुविधा देने वाला कोई अन्य व्यक्ति किसी भी ऑनलाइन मनी गेमिंग सेवा के भुगतान के लिए धन के किसी भी लेनदेन या प्राधिकरण में संलग्न नहीं होगा, सहायता नहीं करेगा, प्रेरित नहीं करेगा या अन्यथा सुविधा नहीं देगा।
क्रिकेट और फैंटेसी ऐप्स को सबसे बड़ा झटका
क्रिकेट वह खेल है जिसमें रियल मनी गेमिंग का चलन सबसे ज्यादा है। ड्रीम11 फिलहाल भारतीय टीम का टाइटल स्पॉन्सर है और इसने इसके लिए करीब 358 करोड़ रुपए खर्च किए हैं। माई11 सर्कल ने IPL का फैंटेसी गेमिंग पार्टनर बनने के लिए 5 साल में 625 करोड़ रुपए की डील की है। इसके अलावा, कई पूर्व और वर्तमान क्रिकेटर इन ऐप्स के साथ बड़े विज्ञापन करार (endorsements) में जुड़े हुए हैं।
क्या होगा असर?
इस बिल से फैंटेसी गेमिंग इंडस्ट्री को बड़ा झटका लग सकता है, क्योंकि इसका रेवेन्यू मॉडल असली पैसे पर आधारित है। इससे न केवल ऐप्स की कमाई घटेगी, बल्कि क्रिकेट में आने वाला पैसा, खिलाड़ियों की स्पॉन्सरशिप, और लीग फ्रेंचाइज़ियों की आमदनी भी प्रभावित हो सकती है।
एक्सपर्ट्स क्या कहते हैं?
खेल कानून विशेषज्ञ विदुषपत सिंघानिया ने पीटीआई से कहा भारत में क्रिकेट बहुत बड़ा है और भारतीय क्रिकेट और उसकी संपत्तियों के लिए प्रायोजकों की कोई कमी नहीं होगी। हालांकि इस विधेयक के कारण व्यक्तिगत प्रायोजन बाजार सिकुड़ सकता है।
इसके अलावा प्रशंसकों की भागीदारी भी प्रभावित होगी। हालांकि, उन्होंने यह भी जोड़ा कि एक सब्सक्रिप्शन शुल्क होगा। मान लीजिए कि आप किसी गेमिंग ऐप के लिए 100 रुपए का भुगतान करते हैं और फैंटेसी गेमिंग में अपने कौशल को देखते हैं। लेकिन वास्तविक धन वाली गेमिंग इस विधेयक के अनुसार प्रतिबंधित है जिसमें पैसे देकर कमाई की जाती है।
ई-स्पोर्ट्स के लिए अच्छी खबर
जहां फैंटेसी गेमिंग इंडस्ट्री को नुकसान हो सकता है, वहीं ई-स्पोर्ट्स के लिए ये बिल एक सकारात्मक संकेत है।
ई-स्पोर्ट्स ने 2023 में हांग्झोउ एशियाई खेलों में डेब्यू किया था और 2027 में रियाद में पहला ई-स्पोर्ट्स ओलंपिक होने जा रहा है।
'नोडविन गेमिंग के सह-संस्थापक और प्रबंध निदेशक अक्षत राठी ने कहा:
ईस्पोर्ट्स को मान्यता देने और बढ़ावा देने का सरकार का इरादा एक उत्साहजनक कदम है। हालांकि इस दृष्टिकोण को वास्तव में साकार करने के लिए यह महत्वपूर्ण है कि विधेयक में प्रयुक्त शब्दावली विशेष रूप से ईस्पोर्ट्स, ऑनलाइन गेमिंग, ऑनलाइन सोशल गेमिंग और ऑनलाइन मनी गेमिंग के बीच के अंतर को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया जाए और समान रूप से समझा जाए।