सीमान्त सुवीर
एडिलेड। किसी भी क्रिकेट पंडित ने यह तो नहीं सोचा होगा कि एडिलेड टेस्ट के लिए बनाई गई पिच 2 दिन में कुल 17 विकेटों की बलि ले लेगी और रन बनेंगे 441...! इसमें भी अचानक भारत हावी हो जाएगा और कंगारू बल्लेबाजों के पसीने छूट जाएंगे। 2 दिन का नाटकीय क्रिकेट घटनाक्रम इस ओर इशारा कर रहा है कि यदि टीम इंडिया 'तमीज' से खेले तो वह पहले टेस्ट को 'फतह' कर सकती है।
'तमीज' से खेलना यानी ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटरों की बदतमीजी (स्लेजिंग) को नजरअंदाज करके सुनियोजित रणनीति के साथ भारत छोटे-छोटे लक्ष्य को लेकर आगे बढ़ता है तो ऑस्ट्रेलिया को उसी की जमीं पर रौंद सकता है। इतिहास गवाह है कि जब भी ऑस्ट्रेलियाई टीम दबाव में आई है तो वह विरोधी टीम पर अपशब्दों के तीखे तीर चलाकर उसके खिलाड़ियों की एकाग्रता भंग करने के हरसंभव जतन करती है।
अब बात दूसरे दिन के घटनाप्रधान खेल की। पहले दिन भारत ने खेल का अंत 9 विकेट पर 250 रनों के स्कोर पर किया था और नाबाद बल्लेबाज मोहम्मद शमी (6) इसी स्कोर पर आउट हो गए। भारतीय तेज गेंदबाज ईशांत शर्मा ने विकेट की नमी का फायदा उठाया और पहले ही ओवर की तीसरी गेंद पर आरोन फिंच जैसे धाकड़ बल्लेबाज को बोल्ड मारकर अपने खतरनाक इरादे जाहिर कर दिए। तब न तो फिंच का खाता खुला था और न ही ऑस्ट्रेलिया का...।
क्रिकेट जिस अनिश्चितता के खेल के लिए जाना जाता है, उसकी शुरुआत भी यहीं से हुई, क्योंकि 127 के कुल स्कोर के आते-आते 6 कंगारू बल्लेबाज ड्रेसिंग रूम में लटके हुए चेहरे के साथ विराजमान हो चुके थे। अजीबोगरीब संयोग देखिए कि पहले दिन भारत ने भी अपने 6 विकेट 127 के ही कुल स्कोर पर गंवाए थे। भारत के शतकवीर चेतेश्वर पुजारा की तर्ज पर ट्रेविस हेड ने 6ठे नंबर पर उतरकर विकेटों के पतझड़ को थामा।
दूसरे दिन का खेल खत्म होने तक ऑस्ट्रेलिया का स्कोर था 7 विकेट खोकर 191 रन और वह भारत की पहली पारी से 69 रन पीछे है। पिच के हैरतअंगेज मिजाज को देखकर लगता है कि तीसरे दिन की सुबह ईशांत शर्मा फिर कमाल करके ऑस्ट्रेलिया को बड़ा स्कोर खड़ा करने से रोक सकते हैं।
एडिलेड में पड़ रही तेज गर्मी के कारण पिच का बर्ताव पढ़ने में बल्लेबाजों को नाकामी ही हाथ लग रही है। जैसे-जैसे सूरज के तेवर तीखे होते हैं, वैसे-वैसे गेंदबाजों को भी हावी होने का मौका मिलता चला जाता है। स्पिन के जादूगर रविचंद्रन का दूसरे दिन 38 रन देकर 3 विकेट लेना इस बात का सूचक है कि यह पिच तेज गेंदबाजों के साथ स्पिनरों का भाग्य भी खोलने का माद्दा रखती है यानी विकेट गर्मी के कारण टूट भी रहा है, जहां स्पिनरों को भी मदद मिल रही है।
तीसरे दिन का खेल दोनों टीमों के लिए निर्णायक साबित होगा। भारतीय बल्लेबाजों को पहला लक्ष्य कंगारू गेंदबाजों को नसीहत देने का रहेगा। पहली पारी में जो गलतियां कीं (ऑफ स्टंप से बाहर की गेंदों को छेड़खानी करने की) उससे दोहराना नहीं होगा, तभी वे बड़ा स्कोर करके मैच पर हावी हो सकते हैं। यही नहीं, मैच के चौथे दिन विकेट पूरी तरह टूट चुका होगा, ऐसे में अश्विन फिर से बड़ा कमाल करके टीम इंडिया को जीत का स्वाद चखा सकते हैं।