कराची। इंडियन सुपर लीग (ISL) ने फ्रेंचाइजी आधारित इस टूर्नामेंट के मैचों में विदेशी खिलाड़ियों के लिए तीन प्लस एक नियम को स्वीकृति दी। पांच विदेशी खिलाड़ियों के मौजूदा नियम में बदलाव से स्थानीय खिलाड़ियों का प्रतिनिधित्व बढ़ेगा। यह नियम 2021-22 में आईएसएल के आठवें सत्र के प्रतियोगिता नियमों का हिस्सा होगा।
यह फैसला फुटबॉल स्पोर्ट्स डेवलपमेंट लिमिटेड (FSDL) की बैठक में लिया गया जिसमें इसकी अध्यक्ष नीता अंबानी ने भी हिस्सा लिया। इस फैसले की सूचना सभी हितधारकों को दे दी गई है जिसमें क्लब और अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) भी शामिल है। नए नियम के अनुसार आईएसएल क्लब टीम में अधिकतम छह विदेशी खिलाड़ियों को अनुबंधित कर पाएंगे जिसमें एक अनिवार्य रूप से एशियाई मूल का खिलाड़ी होगा। मैच के दौरान चार विदेशी खिलाड़ियों को मैदान पर उतारने की स्वीकृति होगी।
विदेशी खिलाड़ियों से जुड़ा तीन प्लस एक का नियम एशियाई फुटबॉल परिसंघ के प्रतियोगिता नियमों का हिस्सा है। इस कदम से इस शीर्ष लीग में भारतीय खिलाड़ियों का प्रतिनिधित्व बढ़ने की उम्मीद है। आईएसएल क्लबों को अभी सात अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों को अनुबंधित करने की स्वीकृति है जिसमें से पांच को मैदान पर उतारा जा सकता है। आईएसएल को एशियाई फुटबॉल परिसंघ और फीफा ने 2019 में भारत की शीर्ष लीग का दर्जा दिया था।
आईएसएल अब एएफसी प्रतिस्पर्धी नियमों का हिस्सा है और भारतीय फुटबॉल में विदेशी खिलाड़ी नियमों में बदलाव भारतीय लीग के एशियाई फुटबॉल के अंतरराष्ट्रीय नियमों के अनुसार ढलने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। मई में एआईएफएफ की कार्यकारी समिति ने सर्वसम्मति से 2020-21 सत्र के लिए आईलीग में विदेशी खिलाड़ियों से जुड़े तीन (विदेशी खिलाड़ी) प्लस एक (एशियाई खिलाड़ी) नियम को स्वीकृति दी थी। (भाषा)