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महेन्द्र सिंह धोनी कप्तानी छोड़ने के मूड में नहीं

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, मंगलवार, 7 जून 2016 (20:46 IST)
नई दिल्ली। टीम इंडिया के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने जिम्बाब्वे दौरे पर जाने से पहले साफ कर दिया है कि उनका कप्तानी छोड़ने का कोई इरादा नहीं है। उन्होंने कहा कि मैं खेल का लुत्फ उठा रहा हूं और जब तक मर्जी होगी, तब तक खेलता रहूंगा। उन्होंने कहा कि यदि मुझे कप्तानी से हटाना है तो यह काम भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड का है, मेरा नहीं। 
बतौर कप्तान धोनी के लिए यह पहला जिम्बाब्वे दौरा है। इससे पहले वे विकेटकीपर-बल्लेबाज के रूप में जिम्बाब्बे में दो मैच वहां खेल चुके हैं, लेकिन 2007 में कप्तान बनने के बाद से लेकर आज तक धोनी ने जिम्बाब्वेमें कप्तानी नहीं की।
 
महेन्द्र सिंह धोनी ने 191 वनडे में कप्तानी, लेकिन जिम्बाब्वेमें एक भी नहीं। सभी टेस्ट खेलने वाले देशों में कप्तानी, लेकिन कभी जिम्बाब्वे में टेस्ट कप्तानी नहीं की। 
 
टीम इंडिया के सबसे सफल कप्तानों में शुमार धोनी ने 9 साल में तकरीबन हर क्रिकेट खेलने वाले देश के दौरे किए। एक बार नहीं बल्कि 2-2, 3-3 बार लेकिन 2007 से आज तक करीब 200 वनडे मुकाबलों में कप्तानी कर चुके धोनी ने आज तक जिम्बाब्वे की जमीन पर कप्तान के रूप में कभी पैर नहीं रखा।
 
हालांकि धोनी ने खिलाड़ी के तौर पर 2 मैच खेले हैं। और दोनों में टीम जीती है। भले ही धोनी ने दौरे पर कप्तानी नहीं की, लेकिन जिम्बाब्वेमें अपने पहले दौरे पर साल 2005 में वो टीम इंडिया के टॉप 3 बल्लेबाजों में शामिल हुए लेकिन उस दौरे की कामयाबी के बावजूद धोनी सुपर स्टार नहीं बने थे।
 
12 साल बाद धोनी अब पूरी तरह बदल चुके हैं। न वो लंबे बाल रहे और न ही युवा जोश। टेस्ट से संन्यास लेने के बाद अब सिर्फ वनडे और टी20 ही बचे हैं। टीम इंडिया अगले 9 महीनों में 17 टेस्ट मैच खेलेगी, जिसमें कोहली कप्तानी होंगे जबकि इस दौरान धोनी वन-डे और टी-20 मिलाकर भी 17 मैचों में कप्तानी का मौका न मिले।
 
धोनी के लिए सबसे बड़ी विंडबना ये है कि अगर टीम जीतती है और वो जमकर रन बनाते हैं तो कहा जाएगा कि कौन सा तीर मार लिया, लेकिन अगर सीरीज गंवाई और निजी फॉर्म भी खराब रहा तो ये जिब्बावे का ये दौरा उनके लिए कप्तान के तौर पर करियर की आखिरी सीरीज भी साबित हो सकता है।

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