नई दिल्ली। भारतीय क्रिकेट टीम के राष्ट्रीय चयनकर्ता एमएसके प्रसाद ने मौजूदा चयन समिति में शामिल पूर्व खिलाड़ियों के औसत अंतरराष्ट्रीय रिकॉर्ड पर आलोचकों द्वारा लगातार निशाना साधे जाने पर मंगलवार को कहा कि वह इस बात को नहीं मानते ‘अगर आपने अधिक मैच खेले हैं तो आपको ज्यादा ज्ञान होगा।'
प्रसाद ने एक विशेष साक्षात्कार में कई मुद्दों पर बेबाकी से अपनी राय रखी, जिसमें उन्हों अपने स्तर (महज 6 टेस्ट मैच खेलने का) पर उठ रहे सवालों का जवाब दिया। उन पर पूर्व महान बल्लेबाज गावस्कर ने कमजोर चयनकर्ता होने का आरोप लगाया है। चयन समिति में शामिल 5 सदस्यों को कुल 13 टेस्ट मैचों का अनुभव है। प्रसाद से बातचीत के अंश इस प्रकार हैं...
प्रश्न : चयन समिति के कद और अनुभव को लेकर काफी कुछ कहा जा रहा है। क्या इससे आप दु:खी हैं?
उत्तर : मैं आपको बता दूं कि चयन समिति में शामिल सभी सदस्यों ने विभिन्न प्रारूपों में भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व किया है, जो हमारी नियुक्ति के समय बुनियादी मानदंड था। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के अलावा हमने प्रथम श्रेणी के 477 मैच खेले हैं। अपने कार्यकाल के दौरान हम सबने मिलकर 200 से ज्यादा प्रथम श्रेणी मैच देखे हैं।’ क्या ये आंकड़े देखने के बाद आपको नहीं लगता कि एक खिलाड़ी और चयनकर्ता के तौर पर हम सही कौशल को पहचानने की क्षमता रखते हैं?
प्रश्न : आप लोगों ने मिलकर कुल 13 टेस्ट मैच खेले है, जिस पर लोग सवाल उठाते हैं।
उत्तर : अगर कोई हमारे कद और अंतरराष्ट्रीय अनुभव पर सवाल उठा रहा तो उसे इंग्लैंड एवं वेल्स क्रिकेट बोर्ड के मौजूद चयन समिति के अध्यक्ष एड स्मिथ को देखना चाहिए, जिन्होंने सिर्फ 1 टेस्ट मैच खेला है। क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया के मुख्य चयनकर्ता ट्रेवोर होन्स ने सिर्फ 7 टेस्ट मैच खेले हैं और वह बीच में 2 साल को छोड़कर पिछले डेढ़ दशक से मुख्य चयनकर्ता हैं।
हां, 128 टेस्ट और 244 एकदिवसीय मैच खेलने वाले मार्क वॉ उनके अधीन काम कर रहे हैं। दिग्गज ग्रेग चैपल को 87 टेस्ट और 74 एकदिवसीय का अनुभव है और वह ट्रेवर के अधीन काम कर रहे हैं।
जब उन देशों में कद और अंतरराष्ट्रीय अनुभव मुद्दा नहीं है तो तो हमारे देश में यह कैसे होगा? मैं यहां पर कहने की कोशिश कर रहा हूं कि हर काम के लिए अगल जरूरत होती है।
अगर अंतरराष्ट्रीय अनुभव का ही सवाल है तो हमारे चहेते राज सिंह डूंगरपुर कभी चयन समिति के अध्यक्ष नहीं होते क्योंकि उन्होंने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेला ही नहीं था। ऐसे में शायद सचिन तेंदुलकर जैसा हीरा 16 साल की उम्र में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलता ही नहीं।
अगर अंतरराष्ट्रीय अनुभव की बात है तो कई क्रिकेटर जिन्होंने प्रथम श्रेणी में बहुत मैच खेले है वह चयनकर्ता बनने के बारे में सोच ही नहीं सकते। ऐसे में चयन समिति के कद और अंतरराष्ट्रीय अनुभव पर टिप्पणी करना कहां तक सही और तर्कसंगत है, जब इस काम में वास्तव में प्रतिभा को दिखाने के लिए एक अलग विशेषज्ञता की जरूरत है।
प्रश्न : जब आपको ‘कमजोर’ कहा जाता है क्या तब आपको गुस्सा आता है?
उत्तर : यह काफी दुर्भाग्यशाली है। हम दिग्गज क्रिकेटरों को काफी सम्मान करते हैं। उनकी हर राय को सही अर्थों में लिया जाता है। उनके पास अपने दृष्टिकोण हैं। वास्तव में, इस तरह की टिप्पणियों से आहत होने के बजाय हम मजबूत, प्रतिबद्ध और एकजुट होते हैं।
प्रश्न : जब कोच रवि शास्त्री और कप्तान विराट कोहली से समिति का मतभेद होता है तो चीजें कैसे ठीक होती है?
उत्तर : रवि शास्त्री और विराट कोहली हमारे राष्ट्रीय टीम के कोच और कप्तान हैं। राहुल द्रविड़ के पास 'ए' टीम का जिम्मा है। उनकी अपनी भूमिका और जिम्मेदारियां है। चयन समिति की अपनी भूमिका और जिम्मेदारियां हैं।
हम रवि, विराट और राहुल के साथ मिलकर एकजुटता से काम करते हैं और इसे हावी होने की तरह नहीं लिया जाना चाहिए। कई बार ऐसा होता है जब हमारे विचार नहीं मिलते, यह लोगों के सामने नहीं आता। चारदीवारी के अंदर जो होता है वह वहीं तक रहता है। अंत में हम वहीं करते हैं तो भारतीय टीम, देशहित में होता हैं।
यह एक गलत धारणा है कि लोग सोचते हैं कि जिन खिलाड़ियों ने अधिक क्रिकेट खेला है उनके पास अधिक ज्ञान या अधिक शक्ति है और वे किसी पर भी हावी हो सकते हैं लेकिन यह सही नहीं है। अगर ऐसा होता तो पूरी कोचिंग इकाई, चयन समिति और दूसरे जरूरी विभागों में ऐसे लोग होते जिन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर के मैचों का अनुभव है। मुझे नहीं लगता यह सही है।
प्रश्न : चयन समिति के पिछले 3 साल के कार्यकाल का आकलन आप कैसे करते हैं?
उत्तर : हमारी समिति ने घरेलू क्रिकेट से प्रतिभा खोजने के लिए पूरे देश का दौरा किया है और हमने एक व्यवस्थित तरीके से योग्य खिलाड़ियों को भारत 'ए' और फिर वरिष्ठ टीमों में जगह दी है।
1 : हमारी टेस्ट टीम ने 13 टेस्ट श्रृंखलाओं में से 11 में जीत दर्ज की और हम पिछले 3 वर्षों से आईसीसी की नंबर एक टेस्ट टीम बने।
2 : एकदिवसीय में 80-85 प्रतिशत सफलता हासिल की है। विश्व कप में सेमीफाइनल मैच गंवाने से पहले तक हम रैंकिंग में नंबर एक टीम थे। हम चैम्पियन्स ट्राफी के फाइनल में पहुंचे। हमने दो बार एशिया कप (2016, 2018) का खिताब अपने नाम किया।
3 : भारत 'ए' ने इस दौरान 11 श्रृंखलाओं में भाग लिया और सभी में हम जीते इसमें से चार श्रृंखला चतुष्कोणीय थी। भारत ए ने 9 में से 8 टेस्ट श्रृंख्लाओं में जीत दर्ज की।
4 : हमने लगभग 35 नए खिलाड़ियों को तैयार किया है और उन्हें तीनों प्रारूपों में भारतीय टीमों में शामिल किया है और हमने खेल के सभी विभागों में पर्याप्त बेंच स्ट्रेंथ विकसित की है। हमने अगली समिति के लिए एक उत्कृष्ट खिलाड़ियों की सूची तैयार की है।