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नीतिश रेड्डी: एक मध्यमवर्गीय परिवार के बलिदान की मिसाल

हमें फॉलो करें नीतिश रेड्डी: एक मध्यमवर्गीय परिवार के बलिदान की मिसाल

WD Sports Desk

, रविवार, 29 दिसंबर 2024 (15:48 IST)
Nitish Reddy Inspiring Story : नीतिश रेड्डी को 21 वर्ष के किसी भी अन्य युवा की तरह अपने टैटू बहुत पसंद हैं जो उन्हें उन तमाम कठिनाइयों की याद दिलाते हैं जो उनके परिवार ने उनके क्रिकेट खेलने के सपने को पूरा करने के लिए पिछले 10 वर्षों में सहन की हैं। रेड्डी के लिए क्रिकेटर बनना पसंद और मजबूरी दोनों थी। वह अपने माता-पिता के लिए कुछ करना चाहते थे, जिन्होंने अपने बेटे के भारत की तरफ से खेलने के सपने को पूरा करने के लिए काफी कड़ी मेहनत की।
 
इस मध्यमवर्गीय परिवार ने रेड्डी को ऊंची उड़ान भरने की खुली छूट दी। इसके लिए उन्होंने अपनी आमदनी का बड़ा हिस्सा बेटे के सपने को पूरा करने पर लगाने का दाव खेला लेकिन अब उन्हें इसका कोई गिला नहीं है।


रेड्डी को इस साल जब भारतीय टीम में चुना गया था तो उन्होंने तब पीटीआई से कहा था,‘‘मैं उन लोगों की आंखों में अपने पिता के लिए सम्मान देखना चाहता हूं जिन्होंने मेरी प्रतिभा पर विश्वास करने के लिए उनका मजाक उड़ाया था।’’

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रेड्डी ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ यहां चौथे टेस्ट मैच में अपने करियर का पहला शतक पूरा करने के बाद ‘सालार’ शैली में इसका जश्न मनाया। यह उनका अपने पिता मुत्याला के प्रति सम्मान था जो भारतीय टीम के डग आउट के पीछे से अपने बेटे को यह बेहतरीन पारी खेलते हुए देख रहे थे।

यह सफर सिर्फ रेड्डी का ही नहीं बल्कि उनके पिता के बलिदान और इस विश्वास का भी था कि उनका बेटा खास है।
 
जब रेड्डी 12 साल के थे तब उनके पिता ने उनका सपना पूरा करने के लिए हिंदुस्तान जिंक से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) ले ली थी। उन्होंने उदयपुर छोड़ने का भी फैसला किया क्योंकि वह जानते थे कि इस शहर में उनके बेटे को क्रिकेटर के रूप में उत्कृष्टता हासिल करने में मदद करने के लिए सुविधाएं और कोचिंग नहीं थी।

उन्होंने ‘माइक्रो फाइनेंसिंग’ का अपना व्यवसाय शुरू करने के लिए 20 लाख रूपए का निवेश किया। लेकिन उनके जिन दोस्तों ने उनसे ऋण लिया था उन्होंने उसे कभी वापस नहीं किया जिससे उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ा।
 
रेड्डी ने उस समय कहा था, ‘‘मैं 12 साल की उम्र में भी सब कुछ समझता था। यह एक वादा था जो मैंने खुद से किया था कि केवल एक चीज मेरे पिता की प्रतिष्ठा को बचा सकती है और वह है भारत की तरफ से खेलना।’’
 
यह वह समय था जब वह साल में सिर्फ एक बल्ला खरीद पाते थे (उस समय एक अच्छे अनुभवी इंग्लिश विलो की कीमत लगभग 15,000 थी। अब अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों के लिए यह 50 हजार के करीब है)।
 
उनके पिता मुत्याला पर भावनाओं का ज्वार हावी था। मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड के बाहर पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा,‘‘मैं आपको बता नहीं सकता कि मैं कितना खुश हूं।'विराट (कोहली) सर ने उसे कड़ी मेहनत करने के लिए कहा है।’’
 
रेड्डी को कुछ साल पहले भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) ने सर्वश्रेष्ठ अंडर-16 क्रिकेटर चुना था और उन्होंने बेंगलुरु में वार्षिक पुरस्कार समारोह में भाग लिया था।
 
उस समारोह में पूरी भारतीय टीम मौजूद थी और तब यह 14 वर्षीय खिलाड़ी कोहली और उनकी पत्नी अनुष्का के साथ सेल्फी लेने के लिए बेताब था, जो होटल के लिफ्ट के पास इंतजार कर रहे थे।

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कोहली जल्दी में थे लेकिन उन्होंने इस युवा खिलाड़ी की दिल की बात सुनी और यह युवा रेड्डी के लिए एक यादगार पल बन गया। अब अच्छे प्रदर्शन के लिए उनके आदर्श द्वारा सराहना पाना उनके लिए एक अविस्मरणीय स्मृति है।
 
रेड्डी का परिवार विशाखापत्तनम में अपनी अत्याधुनिक अकादमी में दाखिला लेने के लिए आंध्र क्रिकेट संघ के पूर्व प्रमुख एमएसके प्रसाद का भी आभार व्यक्त करता है।
 
रेड्डी को 2023 में भारत की इमर्जिंग एशिया कप टीम में चुना गया लेकिन कुछ मैच खेलने के बाद उन्हें बाहर कर दिया गया। इससे उन्हें एहसास हुआ कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ने के लिए उन्हें कुछ अलग हटकर करने की जरूरत है।
 
रेड्डी ने कहा, ‘‘मैंने नेट पर अधिक समय बिताना शुरू कर दिया और कुछ साइड आर्म विशेषज्ञों (थ्रोडाउन) की भी सेवाएं ली और एक महीने तक अभ्यास किया। इस साल IPL में इस अभ्यास का काफी फायदा मिला और अब मैं लंबे छक्के लगा सकता था।’’
 
रेड्डी को पर्थ में अपना पहला टेस्ट मैच खेलने का मौका मिला जहां उन्होंने दो शानदार पारियां खेल कर अपनी काबिलियत का शानदार नमूना पेश किया और इसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा। वह अब भारत के ऑस्ट्रेलिया के वर्तमान दौरे की खोज बन गए हैं। (भाषा)

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