नईदिल्ली। स्टीव स्मिथ और डेविड वॉर्नर पर गेंद से छेड़खानी प्रकरण के कारण लगाया गया प्रतिबंध 28 मार्च को खत्म हो रहा है। गौरतलब है कि टीम के कप्तान स्टीव स्मिथ और उप कप्तान डेविड वॉर्नर को सीधे दोषी ठहराया गया था और बेनक्राफ्ट के साथ इन दोनों पर भी एक साल का प्रतिबंध लगा था। कोच लीमैन ने बाद में ऑस्ट्रेलिया के अधिकांश सीनियर प्रबंधन के साथ पद छोड़ दिया था।
चयनकर्ताओं ने एक साल से एरोन फिंच को टीम की बागडोर सौंपी है। कप्तानी के बाद फिंच बल्लेबाजी में बेअसर साबित हुए हैं। पिछली 23 वनडे पारियों में सिर्फ एक बार 50 रन पार किए हैं। उस पर फिंच एक सलामी बल्लेबाज है उनके जल्दी आउट होने से टीम पर दबाव ज्यादा आ जाता है।
स्मिथ की अनुपस्थिती में तो उन्हें डरने की जरुरत नहीं थी । लेकिऩ क्या स्मिथ के वापस आने से उन पर गाज गिरेगी। ऐसा बिल्कुल मुमकिन है क्योंकि भले ही उनका नाम बड़ा है पर फिलहाल उनका फॉर्म खराब चल रहा है।
क्योंकि उनके अलावा किसी दूसरे का नाम दिखाई नहीं पड़ता। स्टीव स्मिथ पीटर हैंड्सकॉम्ब की जगह ले सकते थे लेकिन भारत के बनाम वह एक शतक और अर्धशतक लगा चुके हैं। हैंड्सकॉम्ब आड़े समय में विकेट कीपिंग भी कर सकते हैं। मैक्सवेल मैच जिताउ फॉर्म में चल रहे हैं, और उन से पार्ट टाइम ऑफ स्पिन गेंदबाजी भी करायी जा सकती है। मार्कस स्टॉइनिस का बल्ला भी इस सीरीज में बोला है और वह गेंदबाजी भी करते हैं ।
रही शॉन मार्श की बात तो वह डेविड वार्नर की जगह बाहर जाएंगे। फिंच के पक्ष में सिर्फ एक बात कही जा सकती है कि अगर फिंच विश्वकप 2019 की टीम में नहीं हुए तो दाएं और बाएं हाथ के सलामी बल्लेबाज की सुविधा कंगारू खो देंगे ।
गौरतलब है कि स्टीव स्मिथ न केवल दुनिया के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों में से एक हैं। पिछले 4 साल से वह ऑस्ट्रेलिया की कप्तानी संभाल रहे हैं। उनकी कप्तानी में ऑस्ट्रेलिया 51 वनडे मैचों में 25 बार विजयी साबित हुआ है।