Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

कप्तानी के इतिहास को अब दो हिस्सों में बांटा जाएगा- 'धोनी से पहले और धोनी के बाद'

हमें फॉलो करें कप्तानी के इतिहास को अब दो हिस्सों में बांटा जाएगा- 'धोनी से पहले और धोनी के बाद'
, शुक्रवार, 25 मार्च 2022 (12:29 IST)
नई दिल्ली: कमल हसन एक ऐसे फिल्मकार रहे जो अपनी ही फिल्म में नायक और निर्देशक से लेकर असंख्य भूमिका निभाते रहे। चेन्नई सुपर किंग्स में धोनी की भूमिका भी कुछ ऐसी ही है।

अगर चेन्नई सुपर किंग्स एक फिल्म है तो एमएस धोनी इसके पटकथा लेखक, निर्देशक और मुख्य नायक हैं जिसमें एन श्रीनिवासन एक शानदार निर्माता होंगे जिन्हें अपने इस धुरंधर पर पूरा भरोसा हैै।

लेकिन 14 वर्षों के बाद पहली बार धोनी के साथ ‘कप्तान’ शब्द नहीं जुड़ा होगा जिन्होंने नेतृत्वकर्ता की जिम्मेदारी छोड़ दी है जबकि कप्तानी उनकी पहचान का एक अभिन्न हिस्सा बन गयी थी।

कप्तानी में धोनी से पहले और धोनी के बाद का युग

चेन्नई सुपर किंग्स (सीएसके) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी कासी विश्वनाथन ने मीडिया में कहा कि यह धोनी का फैसला था और सभी को इसका सम्मान करना चाहिए।

कप्तानी के पद को अंतिम बार छोड़ने का समय इससे बेहतर नहीं हो सकता था और शायद अब से एक दशक बाद दो युग होंगे - बीडी (बिफोर धोनी) और एडी (आफ्टर धोनी) - धोनी से पहले और धोनी के बाद।

सार्वजनिक मौके पर केवल एक बार ही धोनी की आंखे नम दिखी थीं और वो 2018 में सीएसके की आईपीएल में वापसी के दौरान थी। वह भावुक हो गये थे और टीम के साथ उनका जुड़ाव साफ देखा जा सकता था।
webdunia

थाला नाम से रहे धोनी मशहूर
वह चेन्नई के ‘थाला’ हैं जो कभी भी गलत नहीं होता। वह टीम का ऐसा कप्तान है जिसे कभी हराया नहीं जा सकता और इसके पीछे कारण भी है क्योंकि कोई भी फ्रेंचाइजी 12 चरण में नौ बार आईपीएल के फाइनल तक नहीं पहुंची है (इसमें दो साल टीम को निलंबित भी किया गया था)।

इन दो चीजों पर आधारित थी धोनी की कप्तानी
धोनी की कप्तानी दो चीजों पर आधारित रही - व्यावहारिक ज्ञान और स्वाभाविक प्रवृति। व्यावारिक समझ यह कि कभी भी टी20 क्रिकेट के मैचों को पेचीदा नहीं बनाना। स्वाभाविक प्रवृति में इस बात की स्पष्टता कि कौन खिलाड़ी कुछ विशेष भूमिका निभा सकता है और वह उनसे क्या कराना चाहते हैं।

धोनी ने कभी भी आंकड़ों, लंबी टीम बैठकों और अन्य लुभावनी रणनीतियों पर भरोसा नहीं किया। इसलिये उन्होंने आजमाये हुए भरोसेमंद अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों पर विश्वास दिखाया और खुद ही कुछ घरेलू खिलाड़ियों को तैयार भी किया।

इनमें ड्वेन ब्रावो, फाफ डु प्लेसी हो या फिर जोश हेजलवुड या फिर सुरेश रैना, अंबाती रायुडू, रविंद्र जडेजा और रूतुराज गायकवाड़ शामिल हो। उन्हें विभिन्न भूमिकाओं के आधार पर चुना गया जिसमें वे साल दर साल प्रदर्शन करते रहें।

धोनी अगर लीग में कप्तानी के लिये तैयार रहते तो भी सीएसके प्रबंधन (विशेषकर एन श्रीनिवासन) को कोई दिक्कत नहीं होती जो उनकी बल्लेबाजी फॉर्म को लेकर भी चिंतित नहीं है जो पिछले छह वर्षों में फीकी हो रही है।
webdunia

चेन्नई को थाला ने रखा सबसे ऊपर

लेकिन धोनी के लिये सीएसके के हित से ज्यादा कुछ भी महत्वपूर्ण नहीं है और यह फैसला भावना में बहकर नहीं बल्कि व्यावहारिक चीजों को देखकर लिया गया है। कप्तानी भले ही रविंद्र जडेजा को सौंप दी गयी है जिन्होंने रणजी ट्राफी में कभी भी सौराष्ट्र की कप्तानी नहीं की है। लेकिन धोनी ने कप्तानी का पद छोड़ा है, पर ‘नेतृत्वकर्ता’ की भूमिका नहीं। जडेजा भले ही पद संभालें लेकिन जिम्मेदारी झारखंड के इस अनुभवी धुरंधर के हाथों में ही होगी।

धोनी को शायद महसूस हुआ होगा कि वह इस बार सभी मैच नहीं खेल पायेंगे, इसलिये उन्होंने लीग शुरू होने से दो दिन पहले यह फैसला किया।


Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

मेगा ऑक्शन के कारण मुंबई को नहीं मिलेगा घरेलू मैदान होने का फायदा, रोहित ने जाहिर की नाराजगी