मेलबर्न। ऑस्ट्रेलिया के महान स्पिनर शेन वॉर्न ने कहा कि 1993 में ‘शताब्दी की गेंद’ फेंकने के साथ मिली सफलता ने उन्हें दो हिस्सों में बांट दिया और परिणामों की परवाह किए बिना वर्तमान में जीने की उनकी आदत ने अक्सर उन्हें मुसीबत में डाला।
वॉर्न ने अपने करियर में कामयाबी और विवादों का समान रूप से सामना किया है। उन पर 2003 में डोपिंग के कारण 12 महीने का प्रतिबंध लगा और वह विश्व कप नहीं खेल सके थे। उन्होंने कहा कि 1993 में शताब्दी की गेंद डालने के बाद मिली सफलता ने उनके जीवन पर काफी असर डाला। उस गेंद पर उन्होंने माइक गेटिंग को बोल्ड किया था।
उन्होंने कहा, ‘मैं उस समय सिर्फ 23 साल का था। मुझे याद है कि लंदन में विंडमिल पब में जाता था। मैं मर्व ह्यूज के साथ जाता था और बाहर आने के बाद 25.30 फोटोग्राफर तस्वीरें लेने के लिए खड़े रहते थे। मेरे बारे में हर बात छप जाती थी।’ उन्होंने फॉक्स क्रिकेट पर एक कार्यक्रम में कहा कि वह विचलित हो जाते थे जब मीडिया उनके बारे में अक्सर झूठी खबरें छापता था।
उन्होंने कहा, ‘मैं हमेशा डरा रहता था। मैं वर्तमान में जीने में भरोसा करता था और परिणामों की परवाह नहीं करता था। इससे कई बार मैं मुसीबत में भी पड़ा। मैने वही किया जो मैं चाहता था और मुसीबतें मोल ली।’
वॉर्न ने कहा, ‘मैं अपने सारे फैसले पर फख्र नहीं करता। मैने कई गलत फैसले लिए लेकिन खुद के प्रति ईमानदार रहा। मैने अपने परिवार और बच्चों को शर्मिंदा किया लेकिन मैं खुद को बदल नहीं सकता। मैने गलतियां की लेकिन कई अच्छी बातें भी की। कई बार लोग सिर्फ गलतियां देखते हैं क्योंकि उससे सुर्खियां बनती हैं।’ (भाषा)