नई दिल्ली। रवनीत सिंह रिकी क्रिकेट अकादमी चलाते हैं और एयर इंडिया में काम करते हैं। मैच फिक्सिंग के स्टिंग ऑपरेशन के बाद बीसीसीआई से 5 साल के लिए निलंबित शलभ श्रीवास्तव को लोग भूल गए हैं।
अजितेश अर्गल ने अपने 10 प्रथम श्रेणी मैचों में से आखिरी मैच 2015 में खेला था। स्मित पटेल अपना प्रथम श्रेणी करियर बचाने की जद्दोजहद में भारत की सबसे कमजोर घरेलू टीम त्रिपुरा की तरफ से खेल रहे हैं। इन सभी में एक समानता है। ये सभी 2000, 2008 और 2012 की विश्व कप विजेता टीमों के सदस्य रहे हैं।
रिकी को विश्व कप 2000 में सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज आंका गया था। यह वही टूर्नामेंट था जिसने भारत को युवराज सिंह और मोहम्मद कैफ जैसे खिलाड़ी दिए थे। बाएं हाथ के तेज गेंदबाज श्रीवास्तव 2000 में सर्वाधिक विकेट लेने वाले गेंदबाजों में तीसरे स्थान पर थे।
विराट कोहली की अगुवाई वाली टीम 2008 में जब चैंपियन बनी थी तब अर्गल ने फाइनल में अच्छा प्रदर्शन किया था जबकि स्मित ने 2012 फाइनल में अर्द्धशतक जमाया था। लेकिन भारत की तरफ से खेलना तो दूर रिकी, स्मित, शलभ और अजितेश प्रथम श्रेणी स्तर पर भी अपना यह प्रदर्शन नहीं दोहरा पाए।
जब पूरा देश अंडर-19 विश्व कप की सफलता की मद में डूबा है तब उन्मुक्त चंद के इस टिप्पणी पर विचार करने की जरूरत है कि विराट कोहली की हर कहानी के अलावा उन्मुक्त चंद और शिखर धवन की कहानी भी होती है। पृथ्वी शॉ, शुभमान गिल, मनजोत कालरा, शुभम मावी या कमलेश नागरकोटी नि:संदेह प्रतिभाशाली हैं लेकिन यह कहना जल्दबाजी होगा कि इनमें से कितने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में नाम कमाते हैं?
पूर्व भारतीय सलामी बल्लेबाज आकाश चोपड़ा ने कहा कि कुछ आगे बढ़ेंगे लेकिन यह सच्चाई भी स्वीकार करनी होगी कि कई का करियर लंबा नहीं खिंच पाएगा। यह सच्चाई है लेकिन अभी वापस खेल पर ध्यान लगाना महत्वपूर्ण है। अगर इस टीम में से 2 या 3 बड़े खिलाड़ी बनते हैं तो यह अच्छा होगा।
चोपड़ा और पूर्व भारतीय विकेटकीपर दीप दासगुप्ता दोनों का मानना है कि भारत ये के अधिक दौरों और राहुल द्रविड़ के कोच होने से कुछ लड़के भविष्य के लिए तैयार रहेंगे। दासगुप्ता ने कहा कि भारत की इस टीम को अब इंग्लैंड दौरे पर जाना है तथा राहुल द्रविड़ के जुड़े होने से पृथ्वी, शुभमान, कमलेश और शिवम को परखने के लिए इस दौरे पर ले जाया जा सकता है। (भाषा)