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टेस्ट में बेस्ट किंग कोहली ने लिया लाल गेंद की क्रिकेट से संन्यास

स्टार बल्लेबाज विराट कोहली ने टेस्ट क्रिकेट से संन्यास की घोषणा की

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WD Sports Desk

, सोमवार, 12 मई 2025 (12:34 IST)
भारत के सफलतम टेस्ट कप्तान और पिछले एक दशक से भारतीय बल्लेबाजी की धुरी रहे विराट कोहली ने सोमवार को टेस्ट क्रिकेट से संन्यास की घोषणा की जिससे टी20 के दौर में भी पारंपरिक क्रिकेट के संकटमोचकों में शुमार इस महान खिलाड़ी के इस प्रारूप में सुनहरे कैरियर पर विराम लग गया।छत्तीस वर्षीय कोहली ने पिछले साल ही टी20 अंतरराष्ट्रीय से संन्यास ले लिया था। अब वह सिर्फ एक दिवसीय क्रिकेट खेलेंगे।

उन्होंने भारत के लिए 123 टेस्ट मैच खेले हैं जिसमें उन्होंने 46.85 के औसत से 30 शतकों की मदद से 9230 रन बनाए हैं। जब टी20 क्रिकेट वैश्विक स्तर पर सुर्खियों में था, तब वह टेस्ट प्रारूप को बचाने की मुहिम में सबसे आगे थे।

कोहली ने स्वीकार किया कि यह फैसला करना आसान नहीं था जिससे खेल के लंबे प्रारूप में उनके भविष्य को लेकर अटकलों का दौर खत्म हो गया। अटकलों का दौर साल के शुरू में ऑस्ट्रेलिया के दौरे के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद शुरू हुआ।

कोहली ने अपने इंस्टाग्राम पेज पर घोषणा की, ‘‘मैं खेल के लिए, जिन लोगों के साथ मैदान में खेला और हर उस व्यक्ति के लिए दिल में आभार लेकर जा रहा हूं जिसने मुझे इस खेल के दौरान खेलते हुए देखा है। ’’

वर्ष 2011 में पदार्पण करने के बाद से कोहली ने भारत को इस प्रारूप में दुनिया की नंबर एक टीम बनाया और 2018-19 में ऑस्ट्रेलिया में ऐतिहासिक श्रृंखला जीत दिलाई। उनकी कप्तानी में भारत ने 68 में से 40 टेस्ट जीते और वह दक्षिण अफ्रीका के ग्रीम स्मिथ, आस्ट्रेलिया के रिकी पोंटिंग और स्टीव वॉ के बाद सबसे सफल टेस्ट कप्तान रहे।

पिछले साल कैरेबियाई देश में भारत की टी20 विश्व कप जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के बाद उन्होंने टी20 अंतरराष्ट्रीय से संन्यास ले लिया था जिससे अब वह सिर्फ वनडे में खेलेंगे।

उन्होंने कहा, ‘‘टेस्ट क्रिकेट में पहली बार 14 साल पहले ‘बैगी ब्लू’ पहनी थी। सच कहूं तो मैंने कभी नहीं सोचा था कि यह प्रारूप मुझे किस सफर पर ले जाएगा। इसने मेरी परीक्षा ली, मुझे गढा और मुझे ऐसे सबक सिखाए, जिन्हें मैं जीवन भर अपने साथ रखूंगा। ’’

इस मेगास्टार का आखिरी टेस्ट ऑस्ट्रेलिया दौरा था जो काफी निराशाजनक रहा था जिसमें उन्होंने सिर्फ एक शतक बनाया था। इस तरह उनके करियर का अंत 10,000 रन के आंकड़े से कम रहा जिसे एक समय औपचारिकता माना जा रहा था।

दाएं हाथ के इस बल्लेबाज ने सात दोहरे शतकों के साथ इस प्रारूप के दिग्गज के रूप में अपनी पहचान बनाई जो किसी भारतीय खिलाड़ी के लिए सबसे अधिक है। वह महान बल्लेबाज सुनील गावस्कर (4), सचिन तेंदुलकर (6), वीरेंद्र सहवाग (6) और राहुल द्रविड़ (5) से काफी आगे है।

ऐसे समय में जब टी20 लीग अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में काफी लोकप्रिय और सबसे ज्यादा देखी जाने वाली लीग बन गईं हैं तब कोहली के जादू ने प्रशंसकों को टेस्ट क्रिकेट से जोड़े रखने में अहम भूमिका निभाई।यह बात सर विव रिचर्ड्स ने भी स्वीकार की जिनके साथ अक्सर उनकी शैली और आक्रामकता की तुलना की जाती थी। हालांकि पिछले कुछ वर्षों में कोहली यह आक्रामकता कम कर दी थी।



कोहली ने क्रिकेट के इस प्रारूप के लिए अपने विदाई नोट में लिखा, ‘‘सफेद कपड़ों में खेलना अंदरूनी रूप से बहुत ही व्यक्तिगत होता है। शांति से मेहनत करना, लंबे दिन, छोटे-छोटे पल जिन्हें कोई नहीं देखता लेकिन ये पल हमेशा आपके साथ रहते हैं। ’’

उन्होंने कहा, ‘‘जब मैं खेल के इस प्रारूप से दूर जा रहा हूं तो यह आसान नहीं है। लेकिन यह सही लगता है। मैंने इसे अपना सबकुछ दिया है और इसने मुझे उम्मीदों से कहीं अधिक दिया है। मैं हमेशा अपने टेस्ट करियर को मुस्कुराते हुए देखूंगा। ’’

उनके संन्यास के साथ ही टेस्ट प्रारूप से भारतीय दिग्गज खिलाड़ियों का बाहर होना जारी है। रविचंद्रन अश्विन (दिसंबर में) और रोहित शर्मा (पिछले सप्ताह) भी इस प्रारूप से संन्यास ले चुके हैं।

वनडे में कोहली के 2027 से पहले संन्यास लेने की उम्मीद नहीं है। हाल में उन्होंने चैंपियंस ट्रॉफी के दौरान काफी अच्छा प्रदर्शन किया जिसमें उन्होंने चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान के खिलाफ नाबाद शतक जड़ा और सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 84 रन बनाए। भारत ने ट्रॉफी जीती जिससे उनके 302 मैच के वनडे करियर में एक और शानदार अध्याय जुड़ गया।भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) ने पिछले दशक के अपने सबसे बड़े स्टार की प्रशंसा करते हुए कहा कि उनकी ‘‘विरासत हमेशा कायम रहेगी। ’’

बोर्ड ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘टीम इंडिया में उनके योगदान को हमेशा संजोकर रखा जाएगा। ’’कोहली ने 2016 से 2018 तक टेस्ट मैचों में शानदार प्रदर्शन किया और लगातार दो वर्षों तक 75 से अधिक औसत बनाए तथा इन तीन वर्षों में अपने 30 में से 14 शतक बनाए।

पिछले चार वर्षों में उनकी फॉर्म में गिरावट आई और दक्षिण अफ्रीका में श्रृंखला गंवाने के बाद 2022 में उन्होंने कप्तानी से इस्तीफा दे दिया।बाद में उन्होंने कहा कि कप्तानी की भूमिका और इसके कारण सुर्खियों में आने का उन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा और उन्होंने मानसिक रूप से ‘खुश’ रहने के लिए कप्तानी छोड़ दी।(भाषा)

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