वेस्टइंडीज की महिला और पुरुष क्रिकेट टीम ने टी-20 वर्ल्ड कप खिताब जीतकर अपना दबदबा साबित किया। खिताबी जीत के बाद वेस्टइंडीज के कप्तान डैरेन सैमी ने अपने क्रिकेट बोर्ड की जमकर आलोचना की और यहां तक कहा कि हमारे पास यूनिफॉर्म नहीं थी।
वेस्टइंडीज के एक अन्य खिलाड़ी ड्वेन ब्रावो ने भी बोर्ड की आलोचना की। आईसीसी टी-20 विश्व कप जीतने वाली टीम के खिलाड़ी ब्रावो ने कहा कि वेस्टइंडीज का क्रिकेट सही हाथों में नहीं है। हमें डब्ल्यूआईसीबी के किसी भी अधिकारी या निदेशक की ओर से कोई कॉल नहीं आया। यह अच्छी बात नहीं है।
वेस्टइंडीज क्रिकेट बोर्ड (डब्ल्यूआईसीबी) और प्लेयर एसोसिएशन के बीच विवाद की खबर अक्सर सुनने में आती है, लेकिन क्या यह अजीब बात नहीं है कि यह विवाद किसी आईसीसी प्रतियोगिता से पहले होता है और बाद में फिर सामान्य हो जाता है। क्या वे आईसीसी प्रतियोगिता से पहले अपने बोर्ड पर दबाव बनाते हैं?
2015 के वर्ल्ड कप से पहले भी यही हुआ था। टीम को ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड में वर्ल्ड कप के लिए जैसे-तैसे राजी किया गया। खिलाड़ियों की नाराजगी का वही पुराना कारण था कि खिलाड़ियों को भुगतान नहीं हो रहा और उनका पारिश्रमिक बढ़ाना चाहिए।
वेस्टइंडीज खिलाड़ियों की इस तरह सार्वजनिक रूप से अपने ही बोर्ड की आलोचना करना सही है? डब्ल्यूआईसीबी की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं है।
किसी तरह कुछ द्वीप मिलकर वेस्टइंडीज के नाम से दुनियाभर में अपनी टीम को क्रिकेट खेलने के लिए भेजते हैं।
वेस्टइंडीज में बाहमास द्वीप, क्यूबा, जमैका, हैती, द डमोमिनीकन रिपब्लिक, प्यूर्तो रिको, यूनाइटेड स्टैट ऑफ वर्जिन आईलैंड, द लिवार्ड आइलैंड एंड विंडवार्ड आईलैंड, गुयाना, सुरीनाम, त्रिनिदाद और टोबैगो द्वीप शामिल हैं। इन सभी द्वीपों की आमदनी के स्रोत सीमित हैं।
वेस्टइंडीज क्रिकेट बोर्ड और प्लेयर एसोसिएशन का विवाद नया नहीं है, लेकिन इससे पहले कभी भी यह नहीं हुआ कि मैच के प्रेजेंटेशन सैरेेमनी से किसी कप्तान या खिलाड़ी ने अपने बोर्ड को यूं कोसा हो।
सैमी को यह नहीं भूलना चाहिए कि तमाम मुश्किल हालात के बाद भी बोर्ड ने टी-20 वर्ल्ड कप से पहले किसी तरह व्यवस्था करके दुबई में कैंप आयोजित करवाया। बोर्ड ने अपने स्तर पर प्रयास किए।
सेमीफाइनल में भारत के खिलाफ वेस्टइंडीज के सलामी बल्लेबाज फ्लेचर फिट नहीं थे। बोर्ड ने तुंरत ही लैंडल सिमंस को भारत के लिए रवाना किया और फिर सभी जानते हैं कि सिमंस की पारी की बदौलत वेस्टइडीज ने भारत को हराया और फाइनल में जगह बनाई।
सैमी और दूसरे खिलाड़ी अपने बोर्ड से कम पैसे मिलने की बात करते आए हैं, लेकिन यहां यह देखना होगा कि डब्ल्यूआईसीबी की आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं है और वह भारतीय क्रिकेट बोर्ड, इंग्लैंड क्रिकेट बोर्ड या ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट बोर्ड से आधा पैसा भी अपने खिलाड़ियों को नहीं दे सके।
सैमी और ब्रावो जैसे खिलाड़ी शायद दुनिया के धनाढ्य क्रिकेट बोर्डों से अपने बोर्ड की तुलना करते हुए अधिक धन पाने की उम्मीद करते हैं। जब यह उम्मीद पूरी नहीं होती है तो फिर सार्वजनिक रूप से इस तरह के बयान दिए जाते हैं।
जैसा कि ब्रावो ने एक इंटरव्यू में कहा कि खिताब जीतने के बाद उन्हें अपने किसी भी बोर्ड अधिकारी का एक फोन भी नहीं आया। अगर ऐसा है तो फिर यहां बोर्ड को भी अपने खिलाड़ियों का हौसला बढ़ाने के और प्रयास करने होंगे, लेकिन यह सवाल फिर भी बना रहेगा कि मैच की प्रेजेंटेशन सैरेमनी से अपने बोर्ड की आलोचना करना सही है?