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हारकर जो जीते उसे 'युवराज सिंह' कहते हैं

हमें फॉलो करें हारकर जो जीते उसे 'युवराज सिंह' कहते हैं
, सोमवार, 12 दिसंबर 2016 (18:30 IST)
नई दिल्ली। हाल ही में परिणय सूत्र में बंधे भारतीय क्रिकेट टीम के ऑलराउंडर और 2011 विश्व कप के हीरो युवराज सिंह सोमवार को 35 साल के हो गए। 12 दिसंबर 1981 को चंडीगढ़ में जन्मे युवराज टीम में 12 नंबर की ही जर्सी पहनकर खेलते हैं। युवराज के जन्मदिन पर कई हस्तियों ने उन्हें बधाई दी है। मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर ने 2011 के विश्व कप की जीत को याद करते हुए कहा कि ड्रेसिंग रूम से लेकर स्टेडियम तक खचाखच भरा हुआ था। जीत और हार हमने एकसाथ देखे हैं। जन्मदिन मुबारक युवी। 
हरभजन सिंह ने युवराज को बधाई देते हुए कहा कि जन्मदिन मुबारक वीरे। खूब मजे करो। आपका साल अच्छा हो। ऑलराउंडर हार्दिक पांड्या ने ट्वीट कर कहा कि जन्मनदिन मुबारक हो बड़े भाई और चैंपियन। आपसे बहुत कुछ सीखने को मिला। 
 
वर्ष 2000 में केन्या के खिलाफ वनडे क्रिकेट में पदार्पण करने वाले युवराज ने 293 एकदिवसीय मैचों में 36.37 के औसत से 8,329 रन बनाए हैं जिसमें 51 अर्द्धशतक और 13 शतक शामिल हैं। वनडे में उनका सर्वोच्च स्कोर 139 है। युवी ने वर्ष 2003 में न्यूजीलैंड के खिलाफ मोहाली में टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण किया था। उन्होंने 40 टेस्टों में 33.92 के औसत से 1,900 रन बनाए हैं। इसमें 3 शतक और 11 अर्द्धशतक शामिल है। 
 
सिक्सर किंग युवराज ने 2007 में डरबन में स्कॉटलैंड के खिलाफ ट्वंटी-20 में पदार्पण किया था। उन्होंने 2007 के ही ट्वंटी-20 विश्व कप में इंग्लैंड के तेज गेंदबाज स्टुअर्ट ब्रॉड की 6 गेंदों पर लगातार 6 छक्के लगाए थे, जो एक विश्व रिकॉर्ड हैं। युवी ने 55 ट्वंटी-20 मैचों में 29.7 के औसत से 1,134 रन बनाए हैं। इसमें नाबाद 77 उनका सर्वोच्च स्कोर है। युवी अपने ऑलराउंड प्रदर्शन की बदौलत 2007 के ट्वंटी-20 विश्व कप और 2011 के विश्व कप में 'मैन ऑफ द टूर्नामेंट' रह चुके हैं।
 
युवराज ने 1997-98 में ओडिशा के खिलाफ अपना पहला प्रथम श्रेणी मैच खेला, हालांकि इस मैच में युवराज कोई रन नहीं बना सके। इसके बाद अंडर-19 विश्व कप 2000 में उनके शानदार प्रदर्शन के लिए उन्हें 'मैन ऑफ द सीरीज' चुना गया। 
 
2011 विश्व कप के दौरान युवराज सिंह कैंसर जैसी गंभीर बीमारी की गिरफ्त में आए लेकिन उन्होंने अपनी बीमारी को छुपाकर विश्व कप में हिस्सा लिया और अपने ऑलराउंडर खेल की बदौलत भारत को विश्व विजेता बनाया। इसके बाद युवराज सिंह को कैंसर के इलाज के लिए बोस्टन जाना पड़ा, जहां उन्होंने इस गंभीर बीमारी से लड़ाई लड़ी। 1 साल से ज्यादा समय तक कैंसर की जंग में युवराज को अंत में जीत मिली। (वार्ता)

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