Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

आसिया बीबी: एक गिलास पानी के लिए मौत की सजा

हमें फॉलो करें आसिया बीबी: एक गिलास पानी के लिए मौत की सजा
, गुरुवार, 11 अक्टूबर 2018 (11:38 IST)
पाकिस्तान में 2010 से आसिया बीबी नाम की एक ईसाई महिला मौत के दरवाजे पर खड़ी है। पानी के गिलास से शुरू हुआ झगड़ा, ईशनिंदा का जानलेवा अपराध बन गया।
 
 
खेत से कोर्ट तक
2009 में पंजाब के शेखपुरा जिले में रहने वाली आसिया बीबी मुस्लिम महिलाओं के साथ खेत में काम कर रही थी। इस दौरान उसने पानी पीने की कोशिश की। मुस्लिम महिलाएं इस पर नाराज हुईं, उन्होंने कहा कि आसिया बीबी मुसलमान नहीं हैं, लिहाजा वह पानी का गिलास नहीं छू सकती। इस बात पर तकरार शुरू हुई। बाद में मुस्लिम महिलाओं ने स्थानीय उलेमा से शिकायत करते हुए कहा कि आसिया बीबी ने पैंगबर मोहम्मद का अपमान किया।
 
 
भीड़ का हमला
स्थानीय मीडिया के मुताबिक खेत में हुई तकरार के बाद भीड़ ने आसिया बीबी के घर पर हमला कर दिया। आसिया बीबी और उनके परिवारजनों को पीटा गया। पुलिस ने आसिया बीबी को बचाया और मामले की जांच करते हुए हिरासत में ले लिया। बाद में उन पर ईशनिंदा की धारा लगाई गई। 95 फीसदी मुस्लिम आबादी वाले पाकिस्तान में ईशनिंदा बेहद संवेदनशील मामला है।
 
 
ईशनिंदा का विवादित कानून
1980 के दशक में सैन्य तानाशाह जनरल जिया उल हक ने पाकिस्तान में ईशनिंदा कानून लागू किया। मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का आरोप है कि ईशनिंदा की आड़ में ईसाइयों, हिन्दुओं और अहमदी मुसलमानों को अक्सर फंसाया जाता है। छोटे मोटे विवादों या आपसी मनमुटाव के मामले में भी इस कानून का दुरुपयोग किया जाता है।
 
 
पाकिस्तान राज्य बनाम बीबी
2010 में निचली अदालत ने आसिया बीबी को ईशनिंदा का दोषी ठहराया। आसिया बीबी के वकील ने अदालत में दलील दी कि यह मामला आपसी मतभेदों का है, लेकिन कोर्ट ने यह दलील नहीं मानी। आसिया बीबी को मौत की सजा सुनाई। तब से आसिया बीवी के पति आशिक मसीह (तस्वीर में दाएं) लगातार अपनी पत्नी और पांच बच्चों की मां को बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
 
 
मददगारों की हत्या
2010 में पाकिस्तानी पंजाब के तत्कालीन गवर्नर सलमान तासीर ने आसिया बीबी की मदद करने की कोशिश की। तासीर ईशनिंदा कानून में सुधार की मांग कर रहे थे। कट्टरपंथी तासीर से नाराज हो गए। जनवरी 2011 में अंगरक्षक मुमताज कादरी ने तासीर की हत्या कर दी। मार्च 2011 में ईशनिंदा के एक और आलोचक और तत्कालीन अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री शहबाज भट्टी की भी इस्लामाबाद में हत्या कर दी गई।
 
 
हत्याओं का जश्न
तासीर के हत्यारे मुमताज कादरी को पाकिस्तान की कट्टरपंथी ताकतों ने हीरो जैसा बना दिया। जेल जाते वक्त कादरी पर फूल बरसाए गए। 2016 में कादरी को फांसी पर चढ़ाए जाने के बाद कादरी के नाम पर एक मजार भी बनाई गई।
 
 
न्यायपालिका में भी डर
ईशनिंदा कानून के आलोचकों की हत्या के बाद कई वकीलों ने आसिया बीबी का केस लड़ने से मना कर दिया। 2014 में लाहौर हाई कोर्ट ने निचली अदालत का फैसला बरकरार रखा। इसके खिलाफ परिवार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की। सर्वोच्च अदालत में इस केस पर सुनवाई 2016 में होनी थी, लेकिन सुनवाई से ठीक पहले एक जज ने निजी कारणों का हवाला देकर बेंच का हिस्सा बनने से इनकार कर दिया।
 
 
ईशनिंदा कानून के पीड़ित
अक्टूबर 2018 में पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने आसिया बीबी की सजा से जुड़ा फैसला सुरक्षित रख लिया। इस मामले को लेकर पाकिस्तान पर काफी दबाव है। अमेरिकी सेंटर फॉर लॉ एंड जस्टिस के मुताबिक सिर्फ 2016 में ही पाकिस्तान में कम से 40 लोगों को ईशनिंदा कानून के तहत मौत या उम्र कैद की सजा सुनाई गई। कई लोगों को भीड़ ने मार डाला।
 
 
अल्पसंख्यकों पर निशाना
ईसाई, हिन्दू, सिक्ख और अहमदी पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदाय का हिस्सा हैं। इस समुदाय का आरोप है कि पाकिस्तान में उनके साथ न्यायिक और सामाजिक भेदभाव होता रहता है। बीते बरसों में सिर्फ ईशनिंदा के आरोपों के चलते कई ईसाइयों और हिन्दुओं की हत्याएं हुईं।
 
 
कट्टरपंथियों की धमकी
पाकिस्तान की कट्टरपंथी इस्लामी ताकतें पहले ही धमकी दे चुकी हैं कि आसिया बीबी पर किसी किस्म की नरमी नहीं दिखाई जानी चाहिए। तहरीक ए लबैक का रुख तो खासा धमकी भरा है। ईसाई समुदाय को लगता है कि अगर आसिया बीबी की सजा में बदलाव किया गया तो कट्टरपंथी हिंसा पर उतर आएंगे।
 
 
बीबी को अंतरराष्ट्रीय मदद
मानवाधिकार संगठन और पश्चिमी देशों की सरकारों ने आसिया बीबी के मामले में निष्पक्ष सुनवाई की मांग की है। 2015 में बीबी की बेटी पोप फ्रांसिस से भी मिलीं। अमेरिकन सेंटर फॉर लॉ एंड जस्टिस ने बीबी की सजा की आलोचना करते हुए इस्लामाबाद से अल्पसंख्यक समुदाय की रक्षा करने की अपील की है।

 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

पेशाब पीना क्या वाक़ई सेहत के लिए अच्छा होता है?