Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

एक कोशिश 'जियो और जीने दो' की तरफ

हमें फॉलो करें एक कोशिश 'जियो और जीने दो' की तरफ
, सोमवार, 6 नवंबर 2017 (11:27 IST)
मुंबई में चल रहा अहिंसा महोत्सव भले ही अधिक लोगों को अपने साथ ना जोड़ पाया हो लेकिन यह "अहिंसा परमो धर्म" के सूत्र से संचालित भारतीय संस्कृति को ही रेखांकित करता है।
 
जीवन में अहिंसा का पालन एक आदर्श विचार है जो बहुतों के लिए व्यवहारिक नही है। लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं जो अहिंसा को सिर्फ विचार ही नहीं बल्कि जीवन शैली मानते हैं। जीवन के हर पहलू को अहिंसा से शासित मानने वाले भारत ही नहीं बल्कि भारत के बाहर भी हैं।ऐसे ही लोग इन दिनों मुंबई में दूसरे अहिंसा महोत्सव में शामिल हो रहे हैं।
 
जियो और जीने दो
शरण और अहिंसा परमो धर्म ग्रुप द्वारा सयुंक्त रूप से आयोजित अहिंसा महोत्सव का लक्ष्य अहिंसा के विचार को प्रसारित कर जियो और जीने दो के विचार को प्रसारित करना है। जीवनशैली में अहिंसा और जियो और जीने दो के विचार को आत्मसात करना ही इस महोत्सव का उद्देश्य है। आयोजकों का मानना है कि इस सिद्धांत के पालन से विश्व कल्याण के लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। खासकर पशुओं के साथ होने वाली क्रूरता के प्रति लोगों को जागरूक किया जा रहा है।
 
आयोजक संस्था "शरण" की डॉ. नंदिनी शाह कहती हैं कि अहिंसा का सूत्र जीवन के हर क्षेत्र में उपयोगी हो सकता है। खानपान और पहनावा से लेकर विचारों में भी मौजूद हिंसा से मुक्त होकर मानव कल्याण के लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। डॉ. नंदिनी का कहना है, "इंसान अपने स्वार्थ में इतना डूब चुका है कि वह अन्य पशुओं और जीव जंतुओं के साथ क्रूरता करता है।" उनके अनुसार जाने अनजाने मनुष्यों द्वारा दुधारू पशुओं के जीवन अधिकार को कुचला जा रहा है। मांस या पशुओं के चमड़े से बने उत्पाद किस तरह अहिंसा के सिद्धांत के खिलाफ हैं, यह भी विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से समझाया जा रहा है।
 
वेगनिज्म पर जोर
मनुष्य का रहन सहन और खान पान कई जीवों की असमय मौत का कारण बनता है। महोत्सव के दौरान पूर्ण शाकाहार या वनस्पति जन्य आहार यानी वेगनिज्म पर जोर देकर दूध और मांस के सेवन से परहेज करने को प्रोत्साहित किया जा रहा है। मांसाहार से होने वाली पशुओं के प्रति क्रूरता को प्रभावी ढंग से समझा कर बता कर वेगनिज्म यानी वनस्पति जन्य आहार के स्वास्थ्य लाभ की जानकारी भी महोत्सव में शामिल लोगों को दी जा रही है।
 
पेशे से चिकित्सक और इस महोत्सव के आयोजन से जुड़ी डॉ. रूपा शाह कहती हैं कि मांस और दूध का सेवन ना केवल अहिंसा और जियो और जीने दो के सिद्धांत के खिलाफ है बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी ठीक नहीं है। डॉ. रूपा शाह के अनुसार "वनस्पति जन्य आहार मधुमेह और उच्च रक्तचाप को सामान्य रखने में सहायक होता है।"
 
अहिंसा की पाठशाला
अहिंसा एवं जियो और जीने दो जैसे विचारों से लोगों को जोड़ने के लिए अहिंसा की पाठशाला का आयोजन भी हो रहा है। फैशन शो, संगीत और फिल्मों के जरिये दैनिक जीवन में अहिंसा को अपनाने के लिए लोगों को प्रेरित किया जा रहा है। पशु क्रूरता के खिलाफ लोगों को जागरूक करने के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं। स्वस्थ जीवनशैली को अपनाने के लिए वनस्पति जन्य आहार पर जोर और पशुजन्य उत्पादों से दूर रहने की शिक्षा अहिंसा की पाठशाला के जरिये लोगों को दी जा रही है।
 
वनस्पति जन्य आहार के सहारे माउंट एवेरेस्ट की चढ़ाई पूरी करने वाले कुंतल जोइशेर का दावा है, "एवेरेस्ट की चढ़ाई के दौरान खानपान तो वनस्पति जन्य ही था और साथ ही उन्होंने पहनने में चमड़े और उलन का प्रयोग नहीं किया।" अब कुंतल जोइशेर अहिंसा का पाठ प्रतिभागियों को ट्रैकिंग के जरिये पढ़ा रहे हैं।
 
- विश्वरत्न श्रीवास्तव

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

विवेचना: बांग्लादेश के इतिहास का सबसे जघन्य हत्याकांड