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अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंचे अमेरिका के परमाणु हथियार

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DW

, बुधवार, 6 अक्टूबर 2021 (21:31 IST)
पिछले 2 साल से अमेरिका के परमाणु हथियार कम हो गए हैं। हालांकि यह कमी बहुत मामूली है। 4 साल में पहली बार अमेरिका ने ये आंकड़े प्रकाशित किए हैं। अमेरिका ने 4 साल बाद पहली बार बताया है कि उसके पास कितने परमाणु हथियार हैं। पिछले राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इन आंकड़ों को सार्वजनिक करने पर रोक लगा दी थी। बाइडेन प्रशासन ने यह रोक हटाते हुए पहली बार ये आंकड़े प्रकाशित किए हैं।

5 अक्टूबर को जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक 30 सितंबर 2020 को अमेरिका के पास सक्रिय और निष्क्रिय सब मिलाकर 3,750 परमाणु हथियार थे। यह संख्या 2018 से 55 जबकि 2019 से 72 कम है। यह संख्या इस मायने में भी अहम है कि 1967 के बाद यह अमेरिका के परमाणु हथियारों की सबसे कम संख्या है। 1967 में जब शीतयुद्ध अपने चरम पर था, तब अमेरिका के पास 31,255 परमाणु हथियार थे।

रूस के साथ बेहतर संबंधों की खातिर
बाइडेन सरकार रूस के साथ परमाणु हथियारों के नियंत्रण को लेकर गंभीर बातचीत शुरू करने की कोशिश में है। पिछले प्रशासन के दौरान यह वार्ता ठंडे बस्ते में चली गई थी। इसी साल अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने जब स्विट्जरलैंड में रूस के राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन से मुलाकात की थी तो इस मसले पर काफी चर्चा हुई थी।

डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका को रूस के साथ हुई इंटरमीडिएट-रेंज न्यूकलियर फोर्सेस (INF) संधि से अलग कर लिया था और ईरान के साथ हुई परमाणु संधि भी तोड़ दी थी। इसी के साथ रूस के साथ हुई न्यू स्टार्ट ट्रीटी को आगे बढ़ाने की बात भी अधर में छोड़ दी गई थी। न्यू स्टार्ट ट्रीटी 5 फरवरी को खत्म हो रही थी और इसके आगे बढ़ने की संभावनाओं पर तब पानी फिर गया जब ट्रंप सरकार ने इस बारे में कोई बात नहीं की।

बाइडेन ने इसी साल जून में यूरोप दौरा किया तो पुतिन से मुलाकात की। तब न्यू स्टार्ट ट्रीटी पर भी बातचीत हुई थी। ताजा आंकड़े जारी करते हुए अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को कहा, परमाणु अप्रसार और निरस्त्रीकरण की कोशिशों के लिए देश के परमाणु भंडार पर पारदर्शिता बढ़ाना जरूरी है।

न्यू स्टार्ट समझौते से आगे
न्यू स्टार्ट ट्रीटी नाम का यह समझौता तय करता है कि अमेरिका और मॉस्को कितने-कितने परमाणु हथियार रख सकते हैं। इस संधि के होने के बाद से दोनों देश लगातार अपने परमाणु हथियार कम करते रहे थे। ट्रंप ने कहा कि वह एक नया समझौता चाहते हैं जिसमें चीन भी शामिल हो। हालांकि चीन के पास रूस और अमेरिका की तुलना में बहुत कम परमाणु हथियार हैं। बाइडेन सरकार ने पिछले साल सत्ता में आने के बाद संधि को पांच साल के लिए बढ़ाने का प्रस्ताव रखा, जिस पर व्लादीमीर पुतिन ने भी सहमति जताई।

इस समझौते के तहत दोनों देश अधिकतम 1,550 परमाणु हथियार ही तैनात कर सकते हैं। पिछले हफ्ते ही अमेरिका और रूस के कूटनीतिज्ञों के बीच जेनेवा में एक बातचीत शुरू हुई है जिसका मकसद न्यू स्टार्ट ट्रीटी का विकल्प खोजना है। इस विकल्प में पारंपरिक हथियारों को शामिल करने की भी चर्चा है। अमेरिका के एक अधिकारी ने कहा कि चर्चा काफी उपयोगी रही। दोनों पक्षों ने कहा कि इस मुद्दे पर बात होना ही एक सकारात्मक कदम है।

दुनियाभर में कितने हथियार
स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टिट्यूट दुनियाभर में परमाणु हथियारों की संख्या पर नजर रखता है। उसके मुताबिक जनवरी 2021 तक अमेरिका के पास 5,550 परमाणु हथियार थे। हालांकि इनमें वे परमाणु हथियार नहीं हैं जिन्हें रिटायर कर दिया गया है।

SIPRI के मुताबिक रूस के पास 6,255 परमाणु हथियार हैं। इनके मुकाबले चीन में 350, ब्रिटेन में 255 और फ्रांस में 290 परमाणु हथियार हैं। परमाणु हथियार रखने वाले अन्य देशों में भारत के अलावा पाकिस्तान और उत्तर कोरिया भी हैं जिनके पास सिप्री के मुताबिक कुल मिलाकर 460 परमाणु हथियार हैं।
- वीके/एए (एएफपी)

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