Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

पूरे पूर्वोत्तर में कमल खिलाने में जुटी बीजेपी

हमें फॉलो करें पूरे पूर्वोत्तर में कमल खिलाने में जुटी बीजेपी
, सोमवार, 18 दिसंबर 2017 (10:05 IST)
गुजरात में मतदान के बाद बीजेपी ने अब पूर्वोत्तर पर ध्यान केंद्रित किया है। वहां तीन राज्यों त्रिपुरा, मिजोरम और मेघालय में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं।
 
तीनों राज्यों में विधानसभा चुनावों से पहले सांगठनिक ताकत का जायजा लेने के लिए अब संघ और बीजेपी के नेता इलाके के दौरे पर हैं। संघ प्रमुख मोहन भागवत जहां त्रिपुरा के पांच दिन के दौरे पर हैं, वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को मिजोरम और मेघालय का दौरा किया। मोदी ने इन दोनों राज्यों में जनसभाओं को संबोधित किया। मेघालय में तो उनकी जनसभा के जरिए ही बीजेपी के चुनाव अभियान की शुरुआत हो गई। इलाके के तीन राज्यों त्रिपुरा, नानालैंड और मेघालय में अगले साल फरवरी में विधानसभा चुनाव होने हैं जबकि मिजोरम विधानसभा चुनाव नवंबर में होंगे।
 
पूर्वोत्तर के तीन राज्यों-असम, अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर में पहले से ही बीजेपी सत्ता में है। अब वह बाकी राज्यों में भी सत्ता पर काबिज होकर विपक्षी राजनीतिक दलों का सूपड़ा साफ करना चाहती है। फिलहाल उसका सबसे ज्यादा ध्यान लेफ्ट फ्रंट के शासन वाले त्रिपुरा पर है। वहां बीते 25 साल से मानिक सरकार की अगुवाई में लेफ्ट फ्रंट सत्ता में है। बीजेपी ने वहां लेफ्ट के कथित आतंक, कानून और व्यवस्था की स्थिति और विकास को अपना प्रमुख चुनावी मुद्दा बनाया है। शनिवार को मोदी के पूर्वोत्तर दौरे के मौके पर तमाम अखबारों में छपे पूरे पेज के विज्ञापन में सरकार ने इलाके में जारी विकास योजनाओं का ब्योरा देते हुए अपनी उपलब्धियां गिनाई हैं।
 
त्रिपुरा के बीजेपी अध्यक्ष बिप्लब कुमार देब कहते हैं, "प्रधानमंत्री उज्जवला योजना के तहत 3।33 लाख महिलाओं को मुफ्त एलपीजी कनेक्शन मुहैया कराए गए हैं। एक परिवार में औसतन चार सदस्यों का हिसाब रखें तो राज्य के 25 लाख में से आधे वोटरों को इसका लाभ मिला है।" उनका दावा है कि राज्य के लोग बीजेपी के पक्ष में हैं और अगले चुनाव के बाद उनकी पार्टी ही राज्य में सरकार बनाएगी।
 
बीजेपी नेताओं का दावा है कि राज्य में महिलाओं के खिलाफ अत्याचार के मामलों में काफी तेजी आई है और यहां बेरोजगारी की दर देश में सबसे ज्यादा (20 फीसदी) है। देब दावा करते हैं कि राज्य की 67 फीसदी आबादी गरीबी रेखा से नीचे रह रही है। बीते विधानसभा चुनाव में बीजेपी को एक भी सीट नहीं मिली थी। लेकिन बाद में तृणमूल कांग्रेस और निर्दलीय विधायकों के पार्टी में शामिल होने की वजह से वह प्रमुख विपक्षी पार्टी बन गई है।
 
पार्टी अब की मघालय में भी सत्ता पर काबिज होने का सपना देख रही है। शनिवार को प्रधानमंत्री के दौरे के मौके पर कांग्रेस के कुछ विधायक पार्टी में शामिल हो गए। हालांकि बीते दिनों बीफ बैन के मुद्दे पर बीजेपी को इस ईसाई-बहुल राज्य में भारी विरोध का सामना करना पड़ा था। राज्य के दो नेताओं ने इस मुद्दे पर इस्तीफा भी दे दिया था। लेकिन स्थानीय बीजेपी नेताओं का दावा है कि यह स्थिति विपक्ष के कुप्रचार के चलते पैदा हुई थी और अब इस विवाद को सुलझा लिया गया है।
 
नेताओं के दौरे
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जहां शनिवार को मिजोरम और मेघालय का दौरा किया। मोदी ने मिजोरम के कोलासिब जिले में 60 मेगावाट क्षमता वाली एक पनबजिली परियोजना का उद्घाटन करने के बाद एक जनसभा को भी संबोधित किया। उन्होंने इलाके में विकास के प्रति केंद्र के संकल्प को दोहराते हुए अपनी सरकार की उपलब्धियां गिनाईं। प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष जीवी लूना कहते हैं, "प्रधानमंत्री के दौरे से पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं में भारी उत्साह है। इससे अगले साल नवंबर में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले पार्टी का मनोबल काफी बढ़ेगा।"
 
आइजल से शिलांग पहुंचे मोदी ने प्रदेश बीजेपी के नए मुख्यालय भवन के उद्घाटन के बाद पोलो ग्राउंड में एक रैली को संबोधित किया। उस रैली से ही राज्य में बीजेपी के चुनाव अभियान की औपचारिक शुरुआत हो गई। प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष शिबुन लिंग्दोह कहते हैं, "मोदी जी के दौरे को लेकर कार्यकर्ताओं में भारी उत्साह है। इससे हमारी चुनावी तैयारियों को बढ़ावा मिलेगा।"
 
दूसरी ओर, त्रिपुरा में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले बीजेपी और संघ के पैरों तले की जमीन मजबूत करने और जीत की रणनीति तैयार करने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत पांच दिनों के त्रिपुरा दौरे पर शुक्रवार को अगरतला पहुंचे। यहां संगठन के पदाधिकारियों के साथ अलग-अलग बैठकों में संगठन के कामकाज की समीक्षा करने और जमीनी हकीकत का जायजा लेने के अलावा व रविवार को एक रैली को भी संबोधित करेंगे। हालांकि संघ ने इसे एक रूटीन दौरा बताते हुए कहा है कि इसका विधानसभा चुनावों से कोई लेना-देना नहीं है।
 
संघ के प्रचारक मनोरंजन प्रधान बताते हैं, "सर-संघचालक भागवत संगठन के पदाधिकारियों के साथ बैठक में पूर्वोत्तर क्षेत्र में संगठन के कामकाज की समीक्षा करेंगे। कामकाज की सहूलियत के लिए सांगठनिक रूप से पूर्वोत्तर को चार प्रांतों में बांटा गया है। इनके नाम क्रमशः मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश, उत्तर असम व दक्षिण असम हैं।"
 
कितना अहम पूर्वोत्तर
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि बीजेपी पूर्वोत्तर के सभी सात राज्यों में अपना परचम फहराना चाहती है। बीते साल असम चुनावों में भारी जीत और फिर मणिपुर में सरकार के गठन से उसके हौसले बुलंद हैं। अब वह दो महीने बाद होने वाले चुनावों में त्रिपुरा के अलावा मेघालय व नागालैंड में अपने बूते सरकार का गठन करना चाहती है। नागालैंड में वह साझा सरकार का हिस्सा है। अपने बूते सरकार गठन की चाह में ही वह तमाम राज्यों में अकेले ही चुनाव मैदान में उतरने का मन बना रही है।
 
एक राजनीतिक विश्लेषक प्रोफेसर रंजीत देब बर्मन कहते हैं, "राजनीति की मुख्यधारा में भले इन राज्यों की कोई खास अहमियत नहीं हो। बावजूद इसके यहां जीत से बीजेपी को विपक्ष पर मनोवैज्ञानिक बढ़त तो मिलेगी ही, बीजेपी-शासित राज्यों की गिनती में भी इजाफा होगा।" ध्यान रहे कि तीनों राज्यों की विधानसभाओं में 60-60 सीटें ही हैं।
 
रिपोर्ट प्रभाकर, कोलकाता

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

गुजरात की 57 साल की राजनीति का इतिहास