बतौर प्रधानमंत्री पहली बार भारत का दौरा कर रहे बोरिस जॉनसन ने गुरुवार को अपने दौरे के पहले दिनगुजरात के अहमदाबाद की यात्रा की। अहमदाबाद में उन्होंने कहा, "दुनिया इस वक्त एकाधिकारवादी सत्ताओं से बड़ा खतरा झेल रही है। वे लोग लोकतंत्र का अपमान कर रहे हैं और संप्रभुता को रौंद रहे हैं। यूके की भारत के साथ साझीदारी इस समुद्री तूफान के बीच प्रकाश स्तंभ बन सकती है।”
उन्होंने कहा कि भारत और यूके की साझेदारी उन विषयों पर होगी, जो दोनों देशों के लिए फायदेमंद हैं, जिनमें जलवायु परिवर्तन से लेकर रक्षा तक शामिल है "जो हमारे भविष्य के लिए महत्वपूर्ण हैं।” ब्रिटेन और अमेरिका समेत पश्चिमी देश चाहते हैं कि भारत रूस के खिलाफ कड़ा रुख अपनाए और उससे व्यापारिक संबंध कम करे। लेकिन भारत कह चुका है कि रूस से व्यापार जारी रखेगा।
अमेरिका जैसा रुतबा
जॉनसन की टीम की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि शुक्रवार को भारत और ब्रिटेन के प्रधानमंत्रियों के बीच विभिन्न विषयों पर बातचीत होगी। बयान में कहा गया कि जॉनसन "भारत में डिजाइन किए गए और बनाए गए नए लड़ाकू विमानों के बारे में बात करेंगे जिसके लिए ब्रिटिश ज्ञान-विज्ञान से मदद की जाएगी।”
ब्रिटेन भारत के लिए मुक्त निर्यात लाइसेंस भी देगा, जिससे भारत को रक्षा उपकरणों की सप्लाई में लगने वाला वक्त कम हो जाएगा। फिलहाल यूरोपीय संघ और अमेरिका को ही यह लाइसेंस मिला हुआ है।
ब्रिटिश प्रधानमंत्री कार्यालय ने कहा कि जॉनसन दोनों देशों के बीच मुक्त व्यापार समझौते को लेकर भी जोर लगाएंगे। ब्रेक्जिट के बाद ब्रिटेन को इस समझौते से खासी उम्मीद है। ब्रिटेन को उम्मीद है कि यह समझौता 2035 तक उसके सालाना व्यापार को बढ़ाकर 36।5 अरब डॉलर तक ले जा सकता है। पिछले साल मई में दोनों देशों ने भारत द्वारा ब्रिटेन में 53 करोड़ पाउंड यानी करीब 53 अरब रुपयों के निवेश का एलान किया था। जॉनसन की इस यात्रा पर साइंस, तकनीक और स्वास्थ्य क्षेत्रों में और कई समझौतों का एलान हो सकता है।
यूक्रेन का साया
भारत ने यूक्रेन पर हमले को लेकर अपने पुराने मित्र देश रूस की आलोचना नहीं की है। रूस के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र में लाए गए तीनों प्रस्तावों पर मतदान के दौरान भी उसने गैरहाजिर रहने का फैसला किया, जिसे रूस का साथ देने के रूप में देखा गया। अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा था कि क्वॉड देशों में एक भारत ही है जो रूस के खिलाफ कदम उठाने को लेकर संदिग्ध है। हालांकि, भारत सरकार ने दोनों पक्षों से फौरन हिंसा रोकने और बातचीत से विवाद सुलझाने की अपील की है।
पिछले दिनों भारत दौरे पर गईं ब्रिटिश विदेश मंत्री लिज ट्रस के के सामने ही भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रूस पर पश्चिमी नीतियों की आलोचना की थी। ट्रस की मौजूदगी में भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि रूस पर प्रतिबंधों की बात करना "एक अभियान जैसा" लगता है, जबकि यूरोप रूस से युद्ध के पहले की तुलना में ज्यादा तेल खरीद रहा है।
ब्रिटिश विदेश मंत्री ने बार-बार रूस की आक्रामकता की बात की, लेकिन जयशंकर ने अपने संबोधन में रूस का नाम नहीं लिया। दोनों नेता इंडिया-यूके स्ट्रैटिजिक फ्यूचर्स फोरम' में बोल रहे थे, जिसे इंडियन काउंसिल ऑफ वर्ल्ड अफेयर्स एंड पॉलिसी एक्सचेंज' ने आयोजित किया था। इस सम्मेलन के बाद दोनों नेताओं के बीच द्विपक्षीय बैठक भी हुई।
उससे पहले ब्रिटेन की व्यापार मंत्री ऐन-मरी ट्रेवेलयान ने कहा था कि रूस पर भारत के रुख को लेकर उनका देश बहुत निराश है। भारत के साथ व्यापार वार्ताओं के दूसरे दौर के समापन से पहले ट्रेवेलयान ने यह बात कही। जब ब्रिटिश मंत्री ट्रेवेलयान से पूछा गया कि रूस को लेकर भारत के रूख का मुक्त व्यापार समझौते से संबंधित बातचीत पर असर पड़ेगा या नहीं, तो उन्होंने उम्मीद जताई कि भारत अपना रूख बदल लेगा। ट्रेवेलयान ने कहा, "हम बहुत निराश हैं लेकिन हम अपने भारतीय साझीदारों के साथ काम करना जारी रखेंगे और उम्मीद करेंगे कि उनके विचार बदलें।"
रिपोर्टः विवेक कुमार (रॉयटर्स)