Dharma Sangrah

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

फुटबॉल से कमाई में लैंगिक बराबरी का रास्ता दिखाता ब्राजील

Advertiesment
हमें फॉलो करें Football

DW

, सोमवार, 7 सितम्बर 2020 (07:56 IST)
रिपोर्ट ऋतिका पाण्डेय
 
ब्राजील अब उन देशों में शामिल हो गया है, जहां नेशनल टीम में खेलने वाली महिला फुटबॉलरों को पुरुषों के बराबर वेतन मिलेगा। खेलों में लैंगिक आधार पर भेदभाव का इतिहास रहा है लेकिन हाल के सालों में इसमें थोड़ा सुधार दिखा है।
 
महिला और पुरुषों की राष्ट्रीय फुटबॉल टीम के सभी खिलाड़ियों को बराबर वेतन दिए जाने की घोषणा कर ब्राजील विश्व के कुछ गिने-चुने देशों में शामिल हो गया है। अब तक केवल ऑस्ट्रेलिया, नॉर्वे और न्यूजीलैंड में ही ऐसा हुआ था। ब्राजील के राष्ट्रीय फुटबॉल एसोसिएशन (सीबीएफ) के अध्यक्ष रोजेरियो काबोक्लो ने यह घोषणा करते हुए कहा कि सीबीएफ ने महिला और पुरुष फुटबॉल टीमों के लिए इनाम की राशि और दूसरे भत्ते बराबर कर दिए हैं। इसका मतलब हुआ कि महिला खिलाड़ी भी पुरुष खिलाड़ियों जितना ही कमाएंगी। इस बराबरी की नीति पर जोर देते हुए काबोक्लो ने कहा कि लिंग के आधार पर कोई अंतर नहीं है, क्योंकि सीबीएफ पुरुषों और महिलाओं के साथ बराबरी का व्यवहार करता है।
 
इन बदलावों के बाद अब ब्राजील की महिला टीम की कम मशहूर खिलाड़ी भी देश की राष्ट्रीय टीम में खेलने वाले और अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त नेमार जूनियर, थिएगो सिल्वा, रोबेर्तो फर्मिंगो के बराबर वेतन पा सकेंगी। ब्राजील की पुरुष टीम देश को रिकॉर्ड 5 बार फुटबॉल का विश्व कप जिता चुकी है। वहीं महिला टीम भी खेल में बेहतरीन मानी जाती है लेकिन महिलाओं के कई दूसरे खेलों की तरह इन्हें न तो उतने विज्ञापन मिलते हैं, न ही प्रायोजक और न ही इनके खेलों को उतने दर्शक।
 
सन् 2007 में ब्राजील की महिला टीम ने विश्व कप का फाइनल खेला था और उसके पहले 2004 और 2008 में ओलंपिक खेलों के फाइनल में भी पहुंची थी। अगले साल टोकियो में होने वाले ओलंपिक मुकाबले और उसके बाद विश्व कप मुकाबले में ब्राजील की महिला फुटबॉल टीम खेलने वाली है और इस नए फैसले का मतलब हुआ कि इन सब मुकाबलों में वे पुरुष समकक्षों के बराबर ही पैसे भी कमाएंगी।
 
बाकी दुनिया और भारत के हालात
 
ब्राजील का यह फैसला एक अमेरिकी अदालत के उस निर्णय के कुछ ही महीने बाद आया है जिसमें जज ने अमेरिकी महिला टीम के बराबर कमाई वाले मुकदमे को खारिज कर दिया था। मौजूदा विश्व चैंपियन अमेरिकी महिला टीम ने इस फैसले के खिलाफ अपील की है। इधर यूरोप के सबसे मशहूर 16 फुटबॉल क्लबों के पास इस समय पुरुषों के अलावा महिला फुटबॉल टीम भी है। हाल ही में रियाल मैड्रिड भी एक छोटे से क्लब 'डेपोर्टिवो टाकोन' को खरीदकर इस सूची में जुड़ गया है। बड़े यूरोपीय क्लबों में अब केवल बोरूसिया डॉर्टमुंड ही रह गया है जिसकी कोई महिला टीम नहीं है।
 
ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन (एआईएफएफ) के महासचिव कुशाल दास ने भारत में फुटबॉल खिलाड़ियों के भुगतान के बारे में डीडब्ल्यू को बताया कि फेडरेशन पुरुष या महिला राष्ट्रीय टीम के खिलाड़ियों को कोई वेतन नहीं देता है। सैलरी वे क्लब देते हैं जिनके लिए वे खेलते हैं। उन्होंने कहा कि भारत में अभी ऐसी व्यवस्था है कि जब भी कोई कैंप आयोजित हो या टूर्नामेंट कराया जाए, तब एआईएफएफ विमान के खर्च से लेकर रहने, खाने और मेडिकल तक का पूरा खर्च उठाता है।
 
दास ने जानकारी दी कि इसके ऊपर से सभी खिलाड़ियों को दैनिक भत्ता मिलता है और सुविधाओं और दैनिक भत्ते के हिसाब से पुरुषों और महिलाओं में कोई फर्क नहीं है। मुकाबला जीतने पर मिलने वाला विनिंग बोनस खिलाड़ियों के प्रदर्शन और टूर्नामेंट के स्तर के हिसाब से होता है और इसमें भी महिला और पुरुष खिलाड़ियों में कोई भेदभाव नहीं किया जाता।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

ड्रग, ब्‍लैकमेलिंग, राजनीत‍ि और हरामखोर, आखिर कितने ‘हमाम’ के दरवाजे खोलोगे सुशांत सिंह राजपूत?