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हांगकांग के 30 लाख लोगों को ब्रिटिश नागरिकता की पेशकश पर भड़का चीन

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DW

, शनिवार, 4 जुलाई 2020 (09:14 IST)
राजनीतिक उथल-पुथल से गुजर रहे हांगकांग के 30 लाख लोगों को ब्रिटेन ने अपनी नागरिकता देने का प्रस्ताव रखा है। चीन ने इस पर तीखी आपत्ति दर्ज कराई है। हांगकांग में चीन के नए सुरक्षा कानून का भारी विरोध हो रहा है। नागरिकता की पेशकश पर चीन ने ब्रिटेन को धमकी देते हुए कहा है कि वह भी इस तरह के कदम उठा सकता है। लंदन में चीनी दूतावास ने एक बयान जारी कर कहा है कि हांगकांग में रहने वाले सभी देशवासी चीनी नागरिक हैं।
दूतावास के बयान के अनुसार अगर ब्रिटिश पक्ष संबंधित नियमों में एकतरफा तौर पर बदलाव करेगा तो उससे न सिर्फ उसकी अपनी स्थिति और संकल्प कमजोर होंगे बल्कि अंतरराष्ट्रीय कानूनों और अंतरराष्ट्रीय संबंधों को परिभाषित करने वाले बुनियादी नियमों का भी उल्लंघन होगा। आगे बयान में कहा गया है कि हम इसका मजबूती से विरोध करते हैं और इसी तरह का जवाबी कदम उठाने का अधिकार सुरक्षित रखते हैं।
 
एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में चीन सरकार के प्रवक्ता ने ब्रिटेन के कदम की निंदा की और कहा कि वे हांगकांग पर किए अपने वादों को निभा नहीं रहे हैं। प्रवक्ता ने इस मुद्दे पर गंभीर परिणामों की चेतावनी दी है। चीन प्रशासित हांगकांग में तथाकथित नया सुरक्षा कानून लागू होने के बाद बुधवार को पुलिस ने सैकड़ों प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया। कुछ लोगों को तो झंडे फहराने और अलगाववादी प्रतीक दिखाने के लिए गिरफ्तार किया गया। हांगकांग में पिछले साल व्यापक आजादी समर्थक और लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शन हुए।
 
ब्रिटेन के विदेश मंत्री डोमिनिक राब ने वादा किया है कि ब्रिटेन हांगकांग के उन 30 लाख लोगों को नागरिकता की पेशकश करता है जिनके पास ब्रिटिश नेशनल ओवरसीज पासपोर्ट है या फिर वे इसे पाने के हकदार हैं।
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आजादी की ज्वाला
 
ब्रिटिश सरकार में मंत्री साइमन क्लार्क ने स्काई न्यूज के साथ बाचतीत में कहा कि हम हांगकांग के लोगों के साथ खड़े हैं। उन्होंने कहा कि आजादी की ज्वाला बहुत कीमती है और हांगकांग को छोड़ते वक्त हमने उनसे वादा किया था और उस वादे को पूरा करने के लिए जो कुछ भी संभव होगा, जो कुछ हमारी क्षमता में होगा, हम वह करेंगे।
 
हांगकांग में 1997 तक ब्रिटिश शासन था। 23 साल पहले ब्रिटेन ने इस वादे के साथ उसे चीन को सौंपा था कि इस शहर की न्यायिक और विधायी स्वायत्तता बनी रहेगी। आलोचकों का कहना है कि चीन इस वादे को अब तोड़ रहा है।
 
ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने कहा है कि उनका देश हांगकांग में रहने वाले उन लोगों को वीजा देने पर विचार कर रहा है, जो खुद को वहां खतरे में पाते हैं। इसके तुरंत बाद ही चीन के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर ऑस्ट्रेलिया से चीन के आंतरिक मामलों में दखल न देने को कहा।
इस बीच ताईवान ने अपने नागरिकों से कहा है कि जरूरी न हो तो वे हांगकांग जाने से बचें। हांगकांग में ताईवान के अस्थायी कंसुलेट के अधिकारियों ने कहा है कि नया सुरक्षा कानून लागू होने के पहले ही दिन हांगकांग के 180 निवासियों ने उनसे पूछा है कि ताईवान में उनका कानूनी दर्जा क्या है।
 
बुधवार को जिस दिन नया कानून लागू किया गया, उसी दिन हांगकांग के चीन को सौंपे जाने की वर्षगांठ भी थी। इस दौरान होने वाले प्रदर्शन आमतौर पर शांतिपूर्ण रहे। सिर्फ एक व्यक्ति को पुलिस अधिकारी पर चाकू से कथित तौर पर हमला करने के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया है।
 
ब्रिटिश मीडिया रिपोर्टों के अनुसार लंदन में चीनी दूतावास का बयान सामने आने के बाद चीनी राजदूत को विदेश मंत्रालय में तलब किया गया है। चीन का कहना है कि उसके अंदरुनी मामलों में ब्रिटेन को दखल नहीं देना चाहिए। ब्रिटेन ने इस साल जनवरी में यूरोपीय संघ से निकलने बाद चीन के रिश्ते मजबूत करने पर खासा जोर दिया है। (फ़ाइल चित्र)
 
एके/सीके (एएफपी, रॉयटर्स)

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