Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

बिना लक्षणों वाले कोरोना पॉजिटिव में भी होते हैं उतने ही वायरस

हमें फॉलो करें बिना लक्षणों वाले कोरोना पॉजिटिव में भी होते हैं उतने ही वायरस
, सोमवार, 10 अगस्त 2020 (12:43 IST)
जिन लोगों में कोरोनावायरस होने के बावजूद बीमारी के कोई लक्षण नहीं दिखते, उनमें भी 'वायरल लोड' कम नहीं होता। एक स्टडी से पता चला है कि ऐसे लोगों के नाक, गले और फेफड़ों में लक्षण वाले मरीजों के बराबर ही वायरस होते हैं।
 
दक्षिण कोरिया के 'जामा इंटरनल मेडिसिन' में छपी एक स्टडी से साबित होता है कि बिना लक्षणों वाले कोरोना पॉजिटिव लोगों से भी वायरस फैल सकता है। कोविड-19 के संक्रमण को लेकर अब तक स्वास्थ्य विशेषज्ञ इसकी केवल संभावना जताते आए हैं। ऐसा तब होता है, जब कोई व्यक्ति बिना किसी कोरोना मरीज के संपर्क में आए हुए ही संक्रमित पाया जाता है।
दक्षिण कोरिया के सूनचुंगह्यांग यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ मेडिसिन के रिसर्चरों की एक टीम का नेतृत्व करने वाली सिऑन्जे ली बताती हैं कि उन्होंने 6 मार्च से 26 मार्च के बीच एक आइसोलेशन सेंटर में रखे गए 303 लोगों से लिए गए स्वॉब के सैंपल का विश्लेषण किया। इसके पास के एक शहर में अचानक कोरोना के बहुत सारे मामले सामने आए थे। इस समूह में सभी लोग 22 से 36 साल की उम्र के बीच थे और दो-तिहाई महिलाएं थीं। इस समूह के सैंपलों की जांच से पता चला कि 193 में कोरोना के लक्षण दिख रहे थे जबकि बाकी 110 में बिलकुल नहीं।
webdunia
स्टडी को आगे बढ़ाने पर देखा गया कि जिन लोगों में शुरू में कोई लक्षण नहीं दिखे थे, उनमें से 30 फीसदी यानी 89 लोगों में कभी भी कोई लक्षण नजर नहीं आया। रिसर्चरों का कहना है कि इससे समझा जा सकता है कि असल में कितनी बड़ी आबादी में कोरोना का संक्रमण होते हुए भी कभी कोई लक्षण नहीं दिखेगा। अभी भी विश्वभर में इसे लेकर काफी अनिश्तितता है कि जिन लोगों में पॉजिटिव होने के बावजूद कोई लक्षण नहीं दिख रहे हैं, क्या वे 'प्री-सिम्टमैटिक' हैं या 'ए-सिम्टमैटिक'।  
 
इस स्टडी के लिए उन बिना लक्षण वाले लोगों के सैंपल आगे चलकर भी नियमित तौर पर लिए जाते रहे। 8 दिन आइसोलेशन में रहने के बाद के उनके सैंपलों में वायरस की उतनी ही मात्रा मिली जितनी लक्षण वाले मरीजों में थी। खासकर नाक से लेकर गले और फेफड़ों में कोरोनावायरस के जेनेटिक पदार्थ की समान मात्रा थी। इन लोगों के टेस्ट निगेटिव आने में औसत रूप से थोड़ा कम समय लगा। जहां लक्षण वाले मरीजों को निगेटिव होने में औसतन 19.5 दिन लगे वहीं बिना लक्षण वालों का औसत करीब 17 दिन रहा।
 
स्टडी के लेखक कहते हैं कि उनकी स्टडी से यह तो साबित होता है कि 'ए-सिम्टमैटिक' लोगों में कोरोनावायरस का जेनेटिक पदार्थ मौजूद है। लेकिन इससे यह साबित नहीं होता कि उन लोगों के कारण वायरस और लोगों में भी फैलता है। इसकी पुष्टि करने के लिए ऐसे लोगों पर और लंबे समय तक नजर रखने और उनके संपर्क में आने वालों की भी जांच करने की जरूरत होगी।
 
आरपी/एए (एएफपी)

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

आज का इतिहास : भारतीय एवं विश्व इतिहास में 10 अगस्त की प्रमुख घटनाएं