पाकिस्तान की एक महिला नेता अजमा बुखारी अपनी फर्जी वीडियो से परेशान हैं। उनका एक डीपफेक वीडियो बनाकर इंटरनेट पर अपलोड कर दिया गया। 48 साल की बुखारी कहती हैं, "जब यह बात मुझे पता चली, तो मैं टूट गई।" बुखारी, सबसे ज्यादा आबादी वाले प्रांत पंजाब में सूचना मंत्री हैं।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के उभार के बाद ऐसे वीडियो बनाना बहुत आसान हो गया है। दुनियाभर में कई मशहूर हस्तियों, खासतौर पर महिलाओं की डीपफेक सामग्रियां शेयर किए जाने के मामले सामने आ चुके हैं। डीपफेक (उस ऑडियो, वीडियो, फोटो) ऐसे कंटेंट को कहा जाता है, जिसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए छेड़छाड़ कर किसी के चेहरे पर दूसरे का चेहरा लगा दिया गया हो। डीपफेक तकनीक में वास्तविक फुटेज के ऑडियो और वीडियो से छेड़छाड़ की जाती है।
निशाने पर पाकिस्तान की महिला नेता
पाकिस्तान में मीडिया साक्षरता की स्थिति बहुत सेहतमंद नहीं है। पाकिस्तान के रूढ़िवादी और पितृसत्तात्मक समाज में जैसे-जैसे एआई का इस्तेमाल प्रचलित हो रहा है, महिला नेताओं की छवि को नुकसान पहुंचाने और कई बार तो उनसे राजनीतिक बदला लेने के लिए भी डीपफेक वीडियो भी आम हो रहे हैं।
अजमा बुखारी का मामला भी ऐसा ही है। पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) की नेता बुखारी नियमित रूप से टीवी पर नजर आती रही हैं। अब फर्जी वीडियो के सामने आने के बाद वह अचानक मीडिया से गायब हो गईं। सोशल मीडिया पर तेजी से शेयर हुए संबंधित वीडियो में बुखारी का चेहरा एक भारतीय अभिनेत्री के शरीर पर इस तरह जोड़ा गया कि वीडियो एक अश्लील यौन वीडियो बन गया।
बुखारी ने समाचार एजेंसी एएफपी से की गई बातचीत में कहा, "यह मेरे लिए बहुत परेशान करने वाला था, मैं निराश थी। मेरी बेटी ने मुझे गले लगाया और कहा, 'मां, आपको इससे लड़ना होगा।"
अजमा बुखारी ने हार नहीं मानी
शुरुआत में पीछे हटने के बाद अब वह लाहौर हाईकोर्ट में अपना केस आगे बढ़ा रही हैं और डीपफेक वीडियो को फैलाने वालों को जवाबदेह ठहराने की कोशिश कर रही हैं। वह कहती हैं, "जब मैं अदालत जाती हूं, तो मुझे लोगों को बार-बार याद दिलाना पड़ता है कि मेरा वह वीडियो फर्जी है।"
पाकिस्तान में इंटरनेट और सोशल मीडिया इस्तेमाल करने वालों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। एक निगरानी साइट "डेटा रिपोर्टल" के मुताबिक, जनवरी 2024 में लगभग 11 करोड़ पाकिस्तानी ऑनलाइन गतिविधियों में शामिल थे। यह संख्या 2023 की शुरुआत की तुलना में 2।4 करोड़ अधिक थी। पाकिस्तान में 4जी मोबाइल इंटरनेट सस्ता होना भी इस बढ़ोतरी का एक कारण है।
इस साल के चुनाव में डीपफेक, डिजिटल बहस के केंद्र में था। जेल में रहते हुए पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी ने एआई टूल्स का इस्तेमाल करते हुए उनके भाषण तैयार किए और वे सोशल मीडिया पर शेयर किए गए। जेल में रहते हुए भी इमरान खान ने एआई की मदद से चुनाव प्रचार किया।
पाकिस्तान की राजनीति में पुरुष नेताओं की आलोचना आमतौर पर भ्रष्टाचार, उनकी विचारधारा और जीवनचर्या जैसे पक्षों के लिए की जाती है। महिलाओं के संदर्भ में स्थितियां और अपेक्षाएं अलग हैं। यही फर्क डीपफेक के इस्तेमाल में भी दिखता है। यह महिलाओं को नीचा दिखाने, उनके चरित्र पर सवाल उठाने और छवि खराब करने उन्हें खारिज करने जैसे प्रयोजनों के लिए मुफीद और आसान जरिया बन रहा है।
डीपफेक से बदला लेने की कोशिश
अमेरिका स्थित एआई विशेषज्ञ हेनरी एजडर बताते हैं, "जब उनपर (महिलाओं, महिला हस्तियों) आरोप लगाया जाता है, तो कमोबेश हमेशा उनकी सेक्स लाइफ, निजी जीवन, चाहे वे अच्छी मां हों या अच्छी पत्नियां, इन्हीं पक्षों के इर्द-गिर्द घूमता है।" उन्होंने कहा, "इसके लिए डीपफेक एक बहुत ही हानिकारक हथियार है।"
कई रूढ़िवादी समाजों की तरह पाकिस्तानी में भी महिलाओं की इज्जत को परिवार और समाज के सम्मान के साथ जोड़कर देखा जाता है। 'ऑनर किलिंग' इस मानसिकता की एक बड़ी मिसाल है। हर साल सैकड़ों महिलाएं तथाकथित सम्मान के नाम पर अपने ही परिवारों या समुदायों द्वारा मार दी जाती हैं।
इसी साल अक्टूबर में समाचार एजेंसी एएफपी ने एक स्थानीय विधायक मीना मजीद के एक फेक वीडियो की पड़ताल की। इसमें वह बलूचिस्तान प्रांत के मुख्यमंत्री को गले लगाते हुए दिखाई दे रही हैं। सोशल मीडिया पर साझा किए गए वीडियो के एक कैप्शन में कहा गया, "बेशर्मी की कोई सीमा नहीं है, यह बलूच संस्कृति का अपमान है।"
पंजाब प्रांत की मुख्यमंत्री मरियम नवाज शरीफ के भी कई फर्जी वीडियो सोशल मीडिया पर साझा होते रहते हैं, जिनमें उन्हें विपक्षी नेताओं के साथ नाचते हुए दिखाया जाता है।
नहीं दिखता कानून का असर
गैर-लाभकारी संगठन मीडिया 'मैटर्स फॉर डेमोक्रेसी' के साथ काम कर रहीं सदफ खान बताती हैं कि इस तरह के डीपफेक का निशाना बनने पर महिलाओं की "छवि अनैतिक मानी जाती है और पूरे परिवार की इज्जत चली जाती है।" उन्होंने कहा, "इससे वे खतरे में पड़ सकती हैं।"
2016 में बुखारी की पीएमएल-एन सरकार ने "ऑनलाइन अपराध को रोकने" के लिए एक कानून पारित किया, जिसमें किसी व्यक्ति की सहमति के बिना उसकी तस्वीरें या वीडियो साझा करने पर रोक लगाई गई थी। इसमें "साइबर स्टॉकिंग" के खिलाफ भी प्रावधान थे।
पाकिस्तानी अधिकारियों ने इस साल फरवरी में हुए चुनावों में धांधली के आरोपों के बाद यूट्यूब और टिकटॉक को ब्लॉक कर दिया था। तभी से सोशल नेटवर्किंग साइट 'एक्स' पर भी प्रतिबंध लगा हुआ है। सोशल मीडिया पर मतदान के दौरान धांधली के आरोपों के बाद अधिकारियों ने यह कदम उठाया था।
पाकिस्तानी डिजिटल अधिकार कार्यकर्ता निघत दाद के मुताबिक, "इन साइटों को ब्लॉक करना असल में सरकार के लिए इन गंभीर समस्याओं के त्वरित समाधान से ज्यादा कुछ नहीं है।" उन्होंने कहा, "यह अन्य मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है, जो आपकी अभिव्यक्ति की आजादी और सूचना तक पहुंच से जुड़े हैं।"