-विवेक कुमार
क्या वेपिंग (Vaping) धूम्रपान से बेहतर है? ऐसे समय में जब वेपिंग बढ़ रही है और अलग-अलग देश इसे लेकर अलग-अलग नीतियां बना रहे हैं तो यह सवाल धूम्रपान (smoking) के समर्थक और विरोधी दोनों ही तबकों के बीच पूछा जा रहा है। इसी महीने ऑस्ट्रेलिया के स्वास्थ्य मंत्री मार्क बटलर (Mark Butler) ने वेपिंग को लेकर नीति में बड़े बदलाव का ऐलान किया।
उन्होंने कहा कि वेपिंग को अवैध ही रखा जाएगा और इसकी लोगों तक पहुंच और सख्त की जाएगी। नीति के पीछे दो मकसद बताए जा रहे हैं। एक तो यह कि युवाओं को वेपिंग से दूर रखा जा सके क्योंकि ऐसे डर बढ़े हैं कि स्कूली बच्चे वेपिंग की ओर आकर्षित हो रहे हैं। दूसरा वेपिंग को डॉक्टर की प्रेस्क्रिप्शन के जरिये ही उपलब्ध कराये जाने की बात हो रही है।
उधर ब्रिटेन ने भी पिछले महीने वेपिंग से जुड़ी अपनी नीति में बदलाव किया था। वह धूम्रपान करने वाले 10 लाख लोगों को सिगरेट के बदले वेपिंग के लिए राजी करेगा। गर्भवती महिलाओं को ऐसा करने के लिए वित्तीय प्रोत्साहन दिया जाएगा। ब्रिटिश सरकार का कहना है कि इस तरह की पहल दुनिया में पहली है। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक इस योजना के तहत धूम्रपान करने वाले हर 5 में से लगभग एक को वेप (ई-सिगरेट) स्टार्टर किट दी जाएंगी जिससे कि उन्हें सिगरेट की लत से छुटकारा पाने में मदद मिल सके।
धूम्रपान करने वाली 13 प्रतिशत की मौजूदा आबादी को घटाकर 5 प्रतिशत या उससे कम पर लाने के लिए योजना के तहत गर्भवती महिलाओं को वाउचर्स भी दिए जाएंगे जिससे वे इस बुरी आदत को छोड़ सकें।
कितना असर डालती है वेपिंग?
पर एक सवाल अब भी अनसुलझा है कि क्या वेपिंग से सिगरेट छोड़ने में मदद मिलती है। बहुत से लोग वेपिंग करने के लिए सिगरेट छोड़ने की कोशिश को वजह बताते हैं। सिडनी यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर साइमन चैपमैन ने इस सवाल का जवाब खोजने की दिशा में नए कदम उठाए हैं।
ई सिगरेट ने मौत की कगार पर पहुंचाया!
'द कनवर्सेशन' पत्रिका में छपे एक लेख में प्रोफेसर चैपमैन लिखते हैं कि प्रमाण बताते हैं कि वेपिंग से सिगरेट छोड़ने की गुंजाइश कम ही है। वे लिखते हैं कि इस बात के कोई सबूत नहीं हैं कि वेपिंग के जरिये लोग पहले से कम मात्रा में सिगरेट पीते हैं। कई शोधों में यह बात सामने आई है कि जो लोग सिगरेट कम करने के लिए वेपिंग कर रहे हैं, दरअसल उनका रोजाना की औसत बराबर ही रही है।
2019 में युनाइटेड किंग्डम सरकार ने अपने सालाना जीवन-शैली सर्वेक्षण में कहा था कि जो लोग वेपिंग करते हैं उनका दिन का सिगरेट का औसत 8 है जबकि जो कभी वेपिंग नहीं करते, उनका 8।1।
इससे पहले 2018 में हुए एक शोध में इंग्लैंड में ई-सिगरेट के सेवन की मात्रा बढ़ने पर अध्ययन किया गया था। इस शोध में यह जानने की कोशिश की गई कि ई-सिगरेट से दिन में सिगरेट पीने की तादाद घटी या नहीं। शोध का निष्कर्ष कहता है कि रोजाना के सिगरेट पीने के औसत और ई-सिगरेट के सेवन में कोई मजबूत संबंध नहीं मिला। ना ही हमें ऐसा कोई सबूत मिला कि ई सिगरेट पीने से सामान्य सिगरेट पीने की आदत या संख्या में कोई अंतर पड़ा हो।"
क्या थेरेपी काम करती है?
ऑस्ट्रेलिया समेत कई देशों में वेप या ई-सिगरेट को डॉक्टर की सलाह पर खरीदने के लिए दवा की दुकानों में उपलब्ध कराया जा रहा है। इसके पीछे सोच यही है कि लोग सिगरेट छोड़कर वेपिंग करें ताकि उन्हें सिगरेट छोड़ने में मदद मिल सके। लेकिन एक अध्ययन के मुताबिक जिन लोगों ने सिगरेट छोड़ने के लिए वेपिंग शुरू की, उनमें से 82 फीसदी लोग 6 महीने बाद भी सिगरेट का सेवन कर रहे थे। हालांकि यह उन लोगों से बेहतर रहा जिन्होंने ने सिगरेट छोड़ने के लिए निकोटीन रिप्लेसमेंट थेरेपी ली। थेरेपी लेने वालों में से 90 फीसदी सिगरेट नहीं छोड़ पाए।
प्रोफेसर चैपमैन लिखते हैं कि निकोटीन रिप्लेसमेंट थेरेपी या वेपिंग, दोनों ही धूम्रपान रोकने में बहुत ज्यादा सहायक नहीं हैं। आप ऐसी दवा तो लेना नहीं चाहेंगे जिसकी विफलता दर 82-90 प्रतिशत हो।
वेपिंग के असर को समझने के लिए उन्होंने अमेरिका के पॉप्युलेशन असेसमेंट ऑफ टोबैको एंड हेल्थ (PATH) प्रोजेक्ट का उदाहरण दिया है जिसमें 46 हजार लोगों का 2013 से अध्ययन किया जा रहा है। इस अध्ययन में पाया गया कि जो लोग शोध की शुरुआत में वेपिंग और स्मोकिंग कर रहे थे, 12 महीने बाद भी उनके व्यवहार में कोई बदलाव नहीं आया।