लेबनान में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर नया कानून लागू किया गया है। इसके बावजूद देश में घरेलू हिंसा के मामले दोगुने हो गए हैं। हेल्पलाइन नंबर पर सहायता के लिए आने वाले कॉलों की संख्या 3 गुना बढ़ गई है।
दुनिया के कई अन्य देशों की तरह लेबनान में भी महिलाओं की स्थिति काफी खराब है। यह खुलासा एक आधिकारिक रिपोर्ट में हुआ है। हाल ही में 3 महिलाओं की हत्या के बाद देश में आक्रोश का माहौल पैदा हो गया है। सबसे हाईप्रोफाइल मामला मॉडल जीना कांजो की हत्या का है। उनकी हत्या घर पर ही गला घोंटकर कर दी गई थी। देश की सरकारी समाचार एजेंसी (एनएनए) के अनुसार हत्या के इस मामले में मॉडल के पति इब्राहीम गजल को आरोपी बनाया गया है। पति के तुर्की भाग जाने के बाद उसकी गिरफ्तारी के लिए वॉरंट जारी किया गया।
इस मामले में एक स्थानीय समाचार चैनल ने मॉडल के पति इब्राहीम को पूरी घटना को शेयर करने और अपना पक्ष रखने के लिए बुलाया था। इसके बाद लोग भड़क गए और सोशल मीडिया पर अपने गुस्से का इजहार किया। लोगों ने कहा कि ऐसा करना पीड़िता को दोषी मानने की संस्कृति को बढ़ावा देना है। स्थानीय नारीवादी समूह फी-मेल की सह-निदेशक हयात मीरशाद ने कहा कि लेबनान की मीडिया अक्सर ऐसे विचारों को मजबूत करने में मदद करती है कि पुरुष ऐसे अपराध करके बच सकते हैं। स्थानीय टीवी चैनल के शो में इब्राहीम ने कहा कि जब तक वह नहीं चाहेगा, गिरफ्तार नहीं होगा।
कोरोना की वजह से हिंसा में वृद्धि
पिछले साल दिसंबर महीने में लेबनान में यौन उत्पीड़न को गैरकानूनी घोषित किया गया और घरेलू हिंसा कानून में सुधार किए गए। हालांकि इस कानून के तहत यहां वैवाहिक बलात्कार और धार्मिक न्यायालयों द्वारा प्रशासित निजी कानून तलाक और बाल हिरासत जैसे मामलों में महिलाओं के खिलाफ भेदभाव को अपराध नहीं माना गया है। महिला अधिकार समूहों के अनुसार संयुक्त राष्ट्र ने कोरोना लॉकडाउन के दौरान पूरी दुनिया में घरेलू शोषण में वृद्धि को 'शैडो पैन्डेमिक' माना है। इसमें बताया गया है कि आर्थिक संकट की वजह से लेबनान में घरेलू हिंसा की स्थिति खराब हो रही है।
इंटरनेशनल सिक्योरिटी फोर्स (आईएसएफ) ने थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन के साथ नया आंकड़ा साझा किया है। इसमें कहा गया है कि पिछले 12 महीनों में लेबनान में घरेलू हिंसा के मामले दोगुने हो गए हैं। पिछले साल जहां यह संख्या 747 थी, जो अब बढ़कर 1,468 हो गई। आईएसएफ के एक अधिकारी ने बताया कि घरेलू हिंसा के दौरान महिलाओं की हत्या के मामले भी काफी बढ़ गए हैं, हालांकि अभी इसका पूरा आंकड़ा सामने नहीं आया है।
आधिकारिक आंकड़े और एबीएएडी के पास आने वाले सहायता कॉल- दोनों से पता चलता है कि घरेलू हिंसा के मामले काफी बढ़ गए हैं। एबीएएडी महिला अधिकार संगठन है। इस संगठन के हेल्पलाइन नंबर पर आने वाले कॉल 3 गुना तक बढ़ गए हैं। 2019 में 1375 कॉल आए थे, जो 2020 में बढ़कर 4,127 पर पहुंच गया। आईएसएफ ने एक बयान में जानकारी दी कि इस महीने की दूसरी हत्या जो सुर्खियों में थी, वह करीब 50 साल की महिला की थी। इस महिला की हत्या करने वाले ने उसके साथ यौन उत्पीड़न की कोशिश की थी। हत्या करने वाला महिला का एक किशोर रिश्तेदार था। गिरफ्तारी के बाद इस व्यक्ति ने हत्या की बात कबूल भी की थी।
अपराध को सही ठहराने की मानसिकता
फी-मेल की नारीवादी वेबसाइट शारिका वा लाकेन के अनुसार अधेड़ उम्र की महिला विदाद हसून की गला घोंटकर हत्या कर दी गई थी। वह उत्तरी लेबनान में मृत पाई गई थी। इस मामले पर फी-मेल की सह-निदेशक मीरशाद कहती हैं कि इन घटनाओं को अलग मामलों के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए। ये अपराध महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हर दिन होने वाले अपराध का हिस्सा हैं। इन अपराधों की वजह पितृसत्तात्मक व्यवस्था और अपराध को सही ठहराने वाली मानसिकता है।
लेबनान में दिसंबर में हुए कानूनी संशोधन में 2014 के घरेलू हिंसा कानून में 'विवाह' से होने वाली हिंसा को शामिल किया गया है। महिला अधिकार कार्यकर्ताओं ने इस संशोधन का स्वागत किया है। हालांकि स्थानीय वकीलों का कहना है कि यह साफ नहीं है कि यह कानून तलाकशुदा महिलाओं पर लागू होता है या नहीं? यह इस संशोधन की कानूनी खामी है। महिलाओं के अधिकार के लिए काम करने वाले समूह लेबनानी महिला डेमोक्रेटिक गैदरिंग से जुड़े वकील मनल माजिद कहते हैं कि सिविल कोर्ट में हमने कई ऐसे मामले देखे हैं, जहां उत्पीड़न का आरोप लगने के बाद पुरुष महिलाओं को तलाक दे देते हैं ताकि मुकदमे से बच सकें। महिलाओं के पास अभी भी बचाव के कम रास्ते हैं।
आरआर/एमजे (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन)