यूरोपीय संघ ने चेतावनी दी है कि यदि तालिबान ने हिंसा से सत्ता हासिल की तो उसे अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अलग-थलग कर दिया जाएगा। तालिबान ने हेरात और कंधार भी जीत लिए हैं और वह काबुल से 130 किलोमीटर दूर है। गुरुवार को यूरोपीय संघ के विदेश नीति प्रमुख योसेप बोरेल ने एक बयान जारी कर कहा कि अगर ताकत से सत्ता हथियाई जाती है और एक इस्लामिक अमीरात स्थापित किया जाता है तो तालिबान को मान्यता नहीं मिलेगी और उसे अंतरराष्ट्रीय असहयोग का सामना करना होगा। लड़ाई जारी रहने की संभावना अफगानिस्तान की अस्थिरता भी उसके सामने होंगी।
बोरेल ने कहा कि यूरोपीय संघ अफगान लोगों के साथ साझीदारी और समर्थन जारी रखना चाहता है लेकिन यह समर्थन शांतिपूर्ण और समावेशी समझौते व महिलाओं, युवाओं और अल्पसंख्यकों समेत सभी अफगान लोगों के मूलभूत अधिकारों के सम्मान की शर्त पर होगा।
बोरेल ने जोर देकर कहा कि पिछले दो दशकों में महिलाओं और बालिकाओं की स्थिति में जो तरक्की हुई है, खासकर शिक्षा के क्षेत्र में, उसकी सुरक्षा की जाए। उन्होंने अफगानिस्तान में फौरन हिंसा रोकने और काबुल स्थित सरकार के साथ शांति वार्ता शुरू करने की अपील की। बोरेल ने अफगानिस्तान की सरकार से भी अपील की है कि वे अपने राजनीतिक मुतभेद सुलझाएं और सभी पक्षों का प्रतिनिधित्व बढ़ाएं तथा एक होकर तालिबान से बातचीत करें।
तालिबान की जीत जारी
यूरोपीय संघ का यह बयान तब आया है जबकि तालिबान तेजी से अफगानिस्तान में एक के बाद एक इलाकों पर कब्जा करता जा रहा है। गुरुवार को उसने देश के तीसरे सबसे बड़े शहर हेरात पर कब्जा कर लिया। इसके साथ ही 11 प्रांतों की राजधानियों पर उसका कब्जा हो गया है। गुरुवार को एक हथियारबंद दस्ते ने गजनी प्रांत की राजधानी गजनी पर नियंत्रण कर लिया था। गजनी देश की राजधानी काबुल से महज 130 किलोमीटर दूर है। इसके अलावा कंधार में भी तेज लड़ाई जारी है।
इतनी तेजी से मिल रही जीत को तालिबान ने अपने लिए लोगों का समर्थन बताया है। संगठन के एक प्रवक्ता ने समाचार चैनल अल जजीरा को बताया कि बड़े शहरों पर जल्दी नियंत्रण इस बात का संकेत है कि अफगान तालिबान का स्वागत कर रहे हैं। हालांकि प्रवक्ता ने कहा कि वह राजनीतिक रास्ते बंद नहीं कर रहे हैं। गुरुवार को ही ऐसी खबरें आई थीं कि अफगानिस्तान सरकार ने तालिबान के सामने सत्ता में हिस्सेदारी का प्रस्ताव रखा था। हालांकि तालिबान प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने कहा था कि उन्हें ऐसी किसी पेशकश के बारे में नहीं पता है।
जबीउल्लाह ने कहा कि हम ऐसी कोई पेशकश स्वीकार नहीं करेंगे, क्योंकि हम काबुल सरकार के साथ हिस्सेदारी नहीं करना चाहते। उसके साथ हम एक दिन भी ना रहेंगे और ना काम करेंगे।
अमेरिका, ब्रिटेन ने बुलाई सेना
अमेरिका और ब्रिटेन ने कहा है कि वे नागरिकों को निकालने के लिए हजारों सैनिकों को अफगानिस्तान भेजेंगे। गुरुवार को अमेरिकी रक्षा मंत्रालय ने कहा कि दूतावास के कर्मचारियों को निकालने के लिए 48 घंटे के अंदर 3,000 जवान भेजे जाएंगे। ब्रिटेन ने 600 जवान भेजने की बात कही है। यूं तो युद्ध क्षेत्र से अपने नागरिकों को निकालने के लिए अमेरिका सैनिक पहले भी भेजता रहा है लेकिन यह पहली बार होगा जबकि उसकी सेना की वापसी की समयसीमा अभी पूरी भी नहीं हुई है कि उसे अतिरिक्त सैनिक भेजने पड़े हैं।
संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी है कि तालिबान के राजधानी काबुल तक पहुंचने का आम नागरिकों पर बहुत भयानक असर होगा। पश्चिमी देशों जैसे अमेरिका और जर्मनी ने अपने नागरिकों को फौरन अफगानिस्तान छोड़ देने को कहा है। इसी हफ्ते अमेरिकी अखबार वॉशिंगटन पोस्ट ने देश की जासूसी एजेंसियों के हवाले से खबर छापी थी कि तालिबान को काबुल तक पहुंचने में 30 दिन लगेंगे और 90 दिन के भीतर काबुल उनके कब्जे में हो सकता है।