Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

नगालैंड-मणिपुर सीमा पर जोकू घाटी में लगी आग अब तक बेकाबू

हमें फॉलो करें नगालैंड-मणिपुर सीमा पर जोकू घाटी में लगी आग अब तक बेकाबू

DW

, मंगलवार, 5 जनवरी 2021 (15:52 IST)
रिपोर्ट प्रभाकर मणि तिवारी
 
पूर्वोत्तर में नगालैंड और मणिपुर सीमा पर स्थित जोकू घाटी में 1 सप्ताह से लगी भयावह आग पर सेना, वायुसेना, एनडीआरएफ और राज्य सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद अब तक काबू नहीं पाया जा सका है। सरकार ने अगले 2 दिनों में आग पर काबू पाने की उम्मीद जताई है। आग लगने की वजह का भी पता नहीं लग सका है।
 
पर्यावरणविदों ने ऑस्ट्रेलिया के जंगलों में लगी आग की तर्ज पर इस इलाके में आग से प्राकृतिक संसाधनों और पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचने का अंदेशा जताया है लेकिन आग नहीं बुझने तक नुकसान के बारे में ठोस आकलन करना संभव नहीं है। आग पर काबू पाने के लिए वायुसेना के हेलीकॉप्टरों की भी सहायता ली जा रही है। लेकिन इलाके में चलने वाली तेज हवाओं ने समस्या को गंभीर बना दिया है। यह आग 200 एकड़ में फैल चुकी है।
 
नगालैंड के कोहिमा जिले और मणिपुर के सेनापति जिले के बीच फैली बेहद सुंदर जोकू घाटी देश-विदेश के सैलानियों के लिए ट्रैकिंग का पसंदीदा ठिकाना रही है। यह आग बीते 29 दिसंबर को नगालैंड की सीमा में शुरू हुई थी और धीरे-धीरे मणिपुर तक पहुंच गई। नगालैंड में राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अधिकारी जानी रुआंगमी बताते हैं कि नगालैंड सीमा में आग पर कुछ हद तक काबू पा लिया गया है लेकिन मणिपुर सीमा में यह अब भी धधक रही है।
 
मणिपुर की राजधानी इंफाल में वन विभाग के एक अधिकारी बताते हैं कि पहाड़ी के पश्चिमी सिरे पर तो आग पर कुछ हद तक काबू पा लिया गया है लेकिन दुर्गम दक्षिणी इलाके में यह अब भी धधक रही है। वायुसेना के हेलीकॉप्टर वहां आग बुझाने का प्रयास कर रहे हैं। इलाके में एनडीआरएफ और पुलिस के 20 से ज्यादा कैंप लगाए गए हैं ताकि इस अभियान में बेहतर तालमेल बनाया जा सके। इलाके में कोई मोबाइल नेटवर्क नहीं होने की वजह से दिक्कत और बढ़ गई है।
 
नगालैंड की राजधानी कोहिमा से महज 30 किलोमीटर दूर जोकू घाटी में पक्षियों व जानवरों की हजारों प्रजातियां रहती हैं। इनमें से कई तो दुर्लभ प्रजाति के हैं। समुद्र तल से लगभग 2,500 मीटर की ऊंचाई पर बसा यह इलाका पर्यटकों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र तो है ही, अपनी जैवविविधता के लिए भी मशहूर है। यहां जाड़ों में कई किस्म के फूल उगते हैं। इस घाटी के मालिकाना हक पर अकसर नगालैंड और मणिपुर के बीच विवाद हो चुका है। इलाके में पहले भी आग लगती रही है लेकिन वह इतनी भयावह कभी नहीं रही। वर्ष 2006 में घाटी के दक्षिणी हिस्से में 20 किलोमीटर क्षेत्रफल में आग लगी थी। वर्ष 2018 में भी यहां भयावह आग लगी थी। उससे घाटी को काफी नुकसान हुआ था।
 
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री जितेंद्र सिंह ने नगालैंड और मणिपुर सरकारों को आग पर काबू पाने के लिए हरसंभव सहायता देने का भरोसा दिया है। 3 जनवरी से वायुसेना के 4 हेलीकॉप्टर प्रभावित इलाकों पर लगातार पानी की बौछार कर रहे हैं।
 
रक्षा विभाग के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल पी. खोंगसाई ने बताया कि जोकू घाटी में लगी आग पर काबू पाने में सेना भी केंद्रीय और राज्य सरकारी संगठनों की सहायता कर रही है। भारतीय सेना और असम राइफल्स के जवान आग बुझाने में एनडीआरएफ को हरसंभव मदद प्रदान कर रहे हैं। सेना राहत कार्यों में शामिल विभिन्न एजेंसियों को आवास, तंबू और रसद मुहैया कर रही है। इसके अलावा सेना ने बांबी बाल्टी ऑपरेशन के लिए एक एयरबेस प्रदान किया है। वह इलाका दुर्गम होने की वजह से प्रभावित इलाकों के 3 किलोमीटर के दायरे में कई कैंप लगाए गए हैं। उन्होंने बताया कि सेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने रविवार को राज्य प्रशासन के साथ बैठक भी की ताकि आग बुझाने के अभियान को बेहतर बनाया जा सके।
 
मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने आग की भयावहता का जायजा लेने के लिए इलाके का हवाई सर्वेक्षण किया है। उन्होंने बताया कि आग से पहाड़ों, जंगल और पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचा है। यह आग मणिपुर की सबसे ऊंची चोटी माउंट ईसो को पार कर चुकी है। मुख्यमंत्री ने अंदेशा जताया कि अगर हवाएं दक्षिण की ओर बही तो इस आग के मणिपुर के सबसे घने जंगल कोजिरी तक पहुंचने का अंदेशा है। वहां नजदीक ही एक वाइल्डलाइफ पार्क भी है। मुख्यमंत्री ने आग लगने के अगले दिन ही अमित शाह को फोन कर इस पर काबू पाने में केंद्रीय सहायता मांगी थी।
 
नगालैंड के राज्यपाल एन. रवि ने भी प्रभावित इलाके का दौरा करने के बाद राज्य सरकार से सैटेलाइट आधारित रीयल टाइम अर्ली वॉर्निंग सिस्टम समेत कई अन्य उपाय अपनाने की अपील की है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकी जा सके।
 
दरअसल, आग पर काबू पाने में मुश्किल इसलिए हो रही है कि यह इलाका बेहद दुर्गम है। कोई सड़क नहीं होने की वजह से फायर ब्रिगेड की गाड़ियां इलाके में नहीं पहुंच सकतीं। इलाके में एक ट्रैकिंग ट्रैक बना हुआ है। उसके जरिए कई घंटे पैदल चलकर ही वहां पहुंचा जा सकता है। इसी वजह से हेलीकॉप्टरों की मदद ली जा रही है।
 
नगालैंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनएसडीएमए) के अधिकारियों ने राजधानी कोहिमा में बताया है कि अज्ञात कारण से बड़े पैमाने पर आग लग गई। इससे होने वाले नुकसान का फिलहाल पता नहीं चला है। घाटी में लगी यह आग इतनी भयावह है कि इसकी लपटें और रोशनी कोहिमा से दिखाई दे रही हैं।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

किस देश में बढ़ने की जगह घट रही है आबादी