Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

जर्मनी-इसराइल रिश्तेः 'एक स्थायी जिम्मेदारी'

हमें फॉलो करें जर्मनी-इसराइल रिश्तेः 'एक स्थायी जिम्मेदारी'

DW

, सोमवार, 1 मई 2023 (09:03 IST)
-क्रिस्टॉफ स्ट्राक
 
1948 में इसराइल (Israel) की स्थापना के बाद, होलोकॉस्ट का जिम्मेदार देश जर्मनी (Germany) जल्द ही उसका कूटनीतिक साझेदार बन गया। इस रिश्ते में तबसे कई उतार-चढ़ाव आते रहे हैं। जर्मनी ने यहूदियों का कत्लेआम किया था। जर्मनों ने उसकी योजना बनाई थी और उसे अंजाम दिया था। उन्होंने इसराइल के साथ जर्मनी की बुनियादी एकजुटता को दोहराया था।
 
परिणामस्वरूप प्रत्येक जर्मन सरकार इसराइली राज्य की सुरक्षा और यहूदियों की जिंदगी की हिफाजत की स्थायी जिम्मेदारी वहन करती है। लाखों पीड़ितों और उनकी यातनाओं को हम कभी नहीं भूलेंगे। 2 मार्च 2022 को इसराइल के अपने पहले दौरे में जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्त्स ने येरूशेलम में याद वाशेम होलोकॉस्ट म्यूजियम से लौटकर, उपरोक्त शब्द कहे थे। उन्होंने इसराइल के साथ जर्मनी की बुनियादी एकजुटता को दोहराया था।
 
ये रिश्ता खास है। शोहा से ये हमेशा रेखांकित होगा- नात्सी जर्मनी ने 60 लाख यहूदियों का कत्लेआम किया था। 1965 के बाद से दोनों देशों के बीच संबंधों में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। उस साल पश्चिम जर्मनी के साथ इसराइल के कूटनीतिक संबंधों की शुरुआत हुई थी।
 
'जर्मनी के अपवाद के साथ'
 
शुरुआती वर्षों में हर इसराइली पासपोर्ट पर ये बात दर्ज रहती थी कि ये पासपोर्ट, जर्मनी के अलावा, सभी देशों के लिए वैध है। नवोदित इसराइल हत्यारों के देश से खुद को अलग रखना चाहता था। पश्चिम जर्मनी में 1993 से 1997 तक इसराइल के राजदूत रहे अवी प्रिमोर ने 1997 में एक किताब भी लिखी थी, जिसका शीर्षक था- 'जर्मनी के अपवाद के साथ।
 
सितंबर 1952 में हुए लक्जमबर्ग समझौते ने दोस्ती की नींव रखी। उस समझौते में संघीय जर्मन गणतंत्र, इसराइल और ज्युश क्लेम्स कॉन्फ्रेंस ने दस्तखत किए थे। इस समझौते के तहत जर्मनी के क्षतिपूर्ति या प्रायश्चित भुगतान के अलावा संपत्तियों की वापसी सुनिश्चिश्त की गई थी। पहले जर्मन चांसलर कौनराड आदेनाउर ने पश्चिम जर्मनी की संसद, बुंदेश्टाग में इस समझौते को पुरजोर ढंग से पास कराया।
 
उनकी खुद की क्रिस्टियन डेमोक्रेटिक यूनियन पार्टी से कुछ वोट समझौते के विरोध में पड़े। अपनी इस कोशिश से जर्मनी में कई लोगों के बीच कोनराड प्रायश्चित का चेहरा बन गए।
 
इसराइल में डेविड बेन-गुरियोन सुलह और दोस्ती की शुरुआत के स्तंभ बने। इसराइल के पहले और प्रसिद्ध प्रधानमंत्री एक अन्य जर्मनी को देखने की दलील दे चुके थे। बेन-गुरियोन और आडेनाउर सिर्फ दो बार मिले थे- 1960 और 1966 में। लेकिन दोनों राजनेता, दूर बसे दोस्तों की तरह लगते थे।
 
1964 में इसराइल को जर्मन हथियारों की खेप मिलने का समाचार सामने आया, अंतरराष्ट्रीय सुर्खियां बनीं। ये डिलीवरी दोनों देशों के बीच 1965 में कूटनीतिक संबंधों को निर्णायक तौर पर पक्का कर गई। ये वो कदम था जिसे तत्कालीन इसराइल में कई लोग स्वीकार नहीं कर पाए थे। पहले जर्मन राजदूत की अगवानी विरोध प्रदर्शन के बीच हुई थी।
 
पहले अतिथि थे विली ब्रांड्ट
 
जर्मन सरकार के प्रतिनिधियों के इसराइली दौरों और साझा समारोहों के जरिए ये रिश्ता धीरे धीरे प्रगाढ़ होता गया। जून 1973 में विली ब्रांड्ट इसराइल की यात्रा करने वाले पहले चांसलर बने। उनका पांच दिन का राजकीय दौरा था।
 
उनके बाद चांसलर बने हेल्मुट श्मिडट अपने कार्यकाल में कभी इसराइल के दौरे पर नहीं गए लेकिन 1998 से 2005 तक जर्मनी के चांसलर रहे गेरहार्ड श्रोएडर ने 2000 में इसराइल की दो दिन की यात्रा की थी। उस समय उन्होंने कहा था कि वो इसराइल के दोस्त और उसके लोगों के दोस्त के रूप में आए हैं। हेल्मुट कोल ने 1982 से 1998 के दरमायन चांसलर पद पर 16 साल रहते हुए दो बार इसराइल का दौरा किया था।
 
2005 से 2021 तक जर्मनी की चांसलर रहीं अंगेला मैर्केल ने दूसरे चांसलरों की तुलना में कई बार इसराइल का दौरा कियाः आठ बार। उनकी सबसे हालिया यात्रा अक्टूबर 2021 में हुई थी, उसके कुछ ही सप्ताह बाद उन्होंने पद छोड़ दिया था। 1975 में पश्चिम जर्मनी का दौरा करने वाले यित्जाक राबिन पहले इसराइली प्रधानमंत्री थे। उन्होंने वेस्ट बर्लिन का भी दौरा किया।
 
जर्मन लोकतांत्रिक गणराज्य (जीडीआर) यानी पूर्वी जर्मनी से कोई भी शासनाध्यक्ष या मंत्री इसराइल के दौरे पर कभी नहीं गए। इसराइल और जीडीआर के बीच आधिकारिक कूटनीतिक रिश्ते भी कभी नहीं रहे। क्योंकि पूर्वी जर्मनी फिलस्तीनी अरब आंदोलन का समर्थन करता था।
 
जर्मन एकीकरण के बाद, जर्मन शासनाध्यक्षों ने हमेशा इसराइल के अस्तित्व के अधिकार पर जोर दिया है। फिलस्तीनी इलाकों में इसराइल की सेटलमेंट नीति को लेकर बेशक वे लगातार दो-राज्य समाधान के पक्ष में बोलते रहे। प्रत्येक नयी इसराइली बस्ती, जर्मन सरकार से याददिहानी का सबब बनती है कि पहले से तनावपूर्ण हालात को और खराब न किया जाए।
 
दोनों पक्षों के बीच रिश्तों की मजबूती का एक कारण नेसेट में मर्केल की मौजदूगी थी। मार्च 2008 में वो पहील विदेशी शासनाध्यक्ष थीं जिन्होंने वहां भाषण दिय़ा था- वो भी जर्मन में। उन्होने कहा कि मुझसे पहले प्रत्येक संघीय सरकार और प्रत्येक चांसलर, इसराइल की सुरक्षा के प्रति विशेष ऐतिहासिक जिम्मेदारी के लिए प्रतिबद्ध रहे हैं।
 
जर्मनी की ये ऐतिहासिक जिम्मेदारी मेरे देश की राजनीतिक कार्रवाई का हिस्सा है। इसका अर्थ ये है कि इसराइल की सुरक्षा पर कभी समझौता नहीं होगा। संयोगवश, इसराइल में उस समय बेन्यामिन नेतनयाहू विपक्षी नेता थे और मैर्केल के जर्मन में भाषण देने पर उन्हें एतराज था।
 
इसराइली-जर्मन सरकारों की मशविरा बैठकें
 
2022 में इसराइल दौरे पर गए चांसलर शोल्ज ने बर्लिन में जर्मन-इसराइली वार्ताओं या परामर्श-बैठकों का न्यौता भी लेकर गए थे। ये वार्ताएं या मशविरे अभी तक नहीं हो पाई हैं, तो तमाम ऐतिहासिक दायित्वों के बावजूद, शायद, ये हाल में रिश्तों की खटपट का सबसे साफ संकेत है।
 
2008 में, ऐसी पहली सरकारी बैठक येरूशेलम में हुई थी। तबसे, 2018 तक, छह और बैठकें हुई। तीन बर्लिन में और तीन येरूशेलम में। अब नयी इसराइली गठबंधन सरकार को देखते हुए, कई राजनैतिक प्रेक्षकों को लगता नहीं कि तमाम कैबिनट सदस्यों वाली कोई बैठक हो पाएगी।
 
शॉल्त्स ने 2022 में प्रधानमंत्री नेतनयाहू को चुनावी जीत पर बधाई दी थी और दोनों देशों के बीच एक बार फिर खास और करीबी दोस्ती पर जोर दिया था। लेकिन जर्मन सरकार, इसराइली सरकार में धुर दक्षिणपंथी दलों और राजनेताओं को शामिल करने की आलोचना करती है। खासतौर पर इसराइली सरकार के न्यायिक सुधारों, मृत्यु दंड को बहाल करने और फिलस्तीनी इलाकों में बस्तियों का विस्तार करने के मामलों की जर्मनी ने आलोचना की है।
 
फरवरी 2023 से, जर्मन सरकार के कुछ प्रतिनिधि इसराइल के नीतिगत फैसलों की आलोचना करते आ रहे हैं। जर्मनी के न्याय मंत्री और नवउदारवादी फ्री डेमोक्रेट्स (एफडीपी) के नेता मार्को बुशमान और ग्रीन्स पार्टी से ताल्लुक रखने वाली जर्मन विदेश मंत्री अनालेना बायरबोक ने इसराइल से एक स्वतंत्र न्यायपालिका और कानून का शासन बनाए रखने की अपील की थी।
 
जर्मन राष्ट्रपति फ्रांक-वाल्टर श्टायनमायर ने भी इसराइली सरकार के कानून के शासन में योजनाबद्ध ढांचागत सुधारों पर खासतौर पर चिंता जताई थी।
 
और आखिरकार, चांसलर शॉल्त्स ने भी मार्च में नेतनयाहू का स्वागत करते हुए अपने विचार जाहिर कर दिए थे। उन्होंने संयुक्त प्रेस कॉंफ्रेंस में कहा कि इसराइल के लोकतांत्रिक मूल्य वाले साझेदार और करीबी दोस्त के रूप में हम इस बहस को बहुत करीबी से देख रहे हैं और- मैं ये छिपाऊंगा नहीं- बड़ी चिंता के साथ देख रहे हैं। शॉल्त्स ने कहा, बुनियादी अधिकार अपनी प्रकृति में अल्पसंख्यक अधिकार ही होते हैं।
 
जर्मनी में खुद, यहूदियों के प्रति भेदभाव एक समस्या बना हुआ है और उन पर हमले भी होते रहते हैं। जिस समय शॉल्त्स ने इसराइल का दौरा किया तब तक द डिबेकल ऑफ द डॉक्युमेंटा इन कासेल (जर्मनी के कासेल शहर में डॉक्युमेंटा 15 नाम के नामीगिरामी आर्ट इवेंट में मचा हंगामा) नहीं फूटा था।
 
2022 में ये दुनिया की वो सबसे महत्वपूर्ण समकालीन कला प्रदर्शनियों में से एक थी जिसमें गैरयहूदी भावनाओं का खुला और निर्मम चित्रण किया गया था। और जिसकी वजह से बड़ा भारी स्कैंडल उठ खड़ा हुआ जिसने जर्मनी की कला दुनिया और समाज को हिलाकर रख दिया था।
 
जर्मनी में इसराइल के राजदूत रोन प्रोसोर यहूदियों के प्रति भेदभाव के मुद्दे पर अक्सर खुलकर बात करते हैं। और ऐसी घटनाओं पर जर्मनी को अपने पूर्ववर्तियों की अपेक्षा कहीं ज्यादा मुखर होकर फटकारने में नहीं हिचकिचाते।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

दक्षिण-पूर्व एशिया: मानव तस्करी से कैसे निपटा जाए?