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दुनिया के सबसे प्रदूषित शहर की सेहत सुधारने की कवायद

दुनिया के 'सबसे प्रदूषित शहर' का तमगा पाने वाले असम-मेघालय सीमा के अनाम-से बर्नीहाट की सेहत सुधारने की कवायद शुरू हो गई है।

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, बुधवार, 26 मार्च 2025 (07:44 IST)
प्रभाकर मणि तिवारी
पूर्वोत्तर भारत का एक छोटा-सा शहर बर्नीहाट बीते दिनों अचानक सुर्खियों में आ गया। वायु गुणवत्ता की निगरानी करने वाली स्विट्जरलैंड की कंपनी ‘आईक्यू एयर' की वर्ल्ड एयर क्वालिटी रिपोर्ट 2024 में 'पूरब का स्कॉटलैंड' कहे जाने वाले मेघालय के इस शहर का नाम दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में शीर्ष पर था।
 
इससे पहले केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने वर्ष 2023 में पहली बार बर्नीहाट को देश का सबसे प्रदूषित शहर घोषित किया था। उसके बाद वायु गुणवत्ता को सुधारने की दिशा में पहल जरूर की गई थी। लेकिन वह नाकाफी साबित हुई है। अब बीते सप्ताह आई ताजा रिपोर्ट के बाद राज्य सरकार फिर से सक्रिय हुई है। मेघालय के साथ ही असम सरकार भी अब डैमेज कंट्रोल की मुद्रा में नजर आ रही है।
 
स्विस कंपनी आईक्यू एयर की रिपोर्ट क्या कहती है
स्विस कंपनी आईक्यू एयर की रिपोर्ट के मुताबिक बर्नीहाट में वायु की गुणवत्ता दुनिया में सबसे खराब है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस शहर में औसतन सालाना पार्टिकुलेट मैटर यानी पीएम 2।5 है जो दुनिया में सबसे ज्यादा है। इलाके में शराब निर्माण, लोहा, कोक और इस्पात संयंत्र से निकलने वाले उत्सर्जन के साथ ही नेशनल हाइवे से गुजरने वाले वाहनों से निकलने वाले धुएं ने इलाके में प्रदूषण को खतरनाक स्तर तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई है।
 
इस ताजा रिपोर्ट ने नीति निर्धारकों, प्रदूषण नियंत्रण के लिए जिम्मेदार संस्थाओं और पर्यावरणविदों को गहरी चिंता में डाल दिया है। वायु गुणवत्ता लगातार खराब होने का असर सार्वजनिक स्वास्थ्य और पारिस्थितिकी संतुलन पर भी नजर आने लगा है। इलाके में रहने वाले लोगों में सांस संबंधी शिकायतें तेजी से बढ़ रही हैं।
 
स्वास्थ्य विशेषज्ञ सी लांगराई डीडब्ल्यू को बताती हैं, "लंबे समय से खराब हवा में रहने की वजह से इलाके के लोगों में सांस संबंधी परेशानियों के अलावा दिल की बीमारी और कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं। सीमेंट फैक्ट्रियों से निकलने वाले सूक्ष्म कणों और प्लास्टिक के जलने से निकलने वाली जहरीली गैस के सांस के जरिए शरीर के भीतर जाने की वजह से लोगों में एलर्जी बढ़ रही है। इससे आगे चल कर फेफड़ों और प्रतिरोधक क्षमता को गंभीर नुकसान हो सकता है।"
 
इलाके में तेजी से बढ़ते प्रदूषण और स्वास्थ्य पर इसके प्रतिकूल असर के विरोध में स्थानीय लोगों ने बीती जनवरी में विरोध प्रदर्शन भी किया था। उसके बाद सात सबसे प्रदूषित इकाइयों को बंद करने का फैसला किया गया।
 
प्रदूषण के कारण दुनिया के नक्शे पर आया बर्नीहाट
बर्नीहाट असम और मेघालय की सीमा पर नेशनल हाइवे के किनारे बसा है। यह असम की राजधानी गुवाहाटी से 20 और मेघालय की राजधानी शिलांग से 65 किमी दूर है।
 
हाल के वर्षों में यह शहर तेजी से एक औद्योगिक केंद्र के तौर पर विकसित हुआ है। शहर का रिहायशी इलाका तो मेघालय के री-भोई जिले में है। लेकिन यहां औद्योगिक इकाइयां दोनों राज्यों में फैली हैं। यहां सीमेंट से लेकर स्टील प्लांट तक सैकड़ों यूनिट्स हैं। मेघालय में तो यह इकाइयां बर्नीहाट एक्पोर्ट प्रमोशन कौंसिल इंडस्ट्रियल पार्क में हैं जबकि सीमा पार असम में यह कामरूप जिले के तामुलीकुची में हैं। यह इकाइयां नेशनल हाइवे के किनारे ही स्थित हैं।
 
पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि इस शहर की अनूठी बसावट की वजह दोनों राज्य प्रदूषण के लिए एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहराते रहे हैं। असम सरकार मेघालय में पहाड़ियों की कटाई को बढ़ते प्रदूषण के लिए जिम्मेदार ठहराती रही है। दूसरी ओर, मेघालय सरकार की दलील है कि 'रेड कैटेगरी' यानी सबसे ज्यादा प्रदूषण फैलाने वाली औद्योगिक इकाइयां असम में हैं।
 
ताजा रिपोर्ट के बाद मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा ने असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा को पत्र लिख कर बढ़ते प्रदूषण संकट पर काबू पाने के लिए साझा कार्रवाई का अनुरोध किया है। इसके बाद ही असम में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, जिला प्रशासन, नेशनल हाइवे और औद्योगिक इकाइयों के प्रतिनिधियों ने एक बैठक में ताजा संकट और इससे निपटने के उपायों पर विचार किया। इस बैठक में तमाम औद्योगिक इकाइयों की नए सिरे से जांच करने के साथ नेशनल हाइवे से गुजरने वाले वाहनों की जांच में सख्ती लाने का फैसला किया गया है।
 
असम प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष अरूप कुमार मिश्र ने बैठक के बाद पत्रकारों को बताया था, "पहले इलाके की सीमेंट फैक्ट्रियों से होने वाले प्रदूषण की जांच की जाएगी। इलाके में ऐसी आठ फैक्ट्रियां हैं। यह सबसे ज्यादा प्रदूषण फैलाने वाला उद्योग माना जाता है। हमने एक महीने के भीतर स्थिति को सुधारने का फैसला किया है।"
 
अतिरिक्त जिला उपायुक्त विश्वजीत सैकिया डीडब्ल्यू को बताते हैं, "वायु गुणवत्ता सुधारने के लिए कुछ अल्पकालिक और दीर्घकालिक योजनाएं बनाई गई हैं। उनमें से कुछ पर अगले छह महीने के दौरान अमल किया जाएगा और कुछ पर एक से दो साल के बीच। कुछ योजनाएं पांच साल तक जारी रहेंगी।"
 
मेघालय सरकार ने वायु प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए बीते साल दिसंबर में जारी एक कार्य योजना में कहा था कि बर्नीहाट इलाके में मेघालय की सीमा में 41 और असम की सीमा में 39 औद्योगिक इकाइयां हैं। इनमें से असम की 20 और मेघालय की पांच इकाइयां 'रेड कैटेगरी' यानी सबसे ज्यादा प्रदूषण फैलाने वाली इकाइयों में शामिल हैं।
 
मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा डीडब्ल्यू को बताते हैं, "वायु प्रदूषण किसी एक राज्य में सीमाबद्ध नहीं होता। इस पर काबू पाने के लिए असम और मेघालय को मिल कर काम करना होगा। हमारी सरकार परिस्थिति पर नियंत्रण के लिए हरसंभव कदम उठाने के लिए तैयार है। हमने इस दिशा में ठोस पहल भी कर दी है।"
 
ताजा रिपोर्ट के बाद मेघालय वन और पर्यावरण विभाग ने राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को तमाम औद्योगिक इकाइयों की सघन जांच का निर्देश दिया है। उसे एक सप्ताह के भीतर रिपोर्ट देने को कहा गया है। मेघालय राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष आर। नैनामलाई ने डीडब्ल्यू को बताया, "हमने एक टास्क फोर्स का गठन किया है। बीते महीने प्रदूषण से संबंधित नियमों के उल्लंघन के आरोप में सात इकाइयों को बंद कर दिया गया था।"
 
एक पर्यावरण संगठन की कार्यकर्ता सुमति बसुमतारी डीडब्ल्यू से कहती हैं, "इलाके में प्रदूषण पर काबू पाने के लिए असम और मेघालय सरकार को मजबूत इच्छाशक्ति का परिचय देना होगा। पहले भी बर्नीहाट में बढ़ता प्रदूषण खबरों में रहा है। लेकिन कुछ दिनों की सक्रियता के बाद सब कुछ जस का तस हो जाता है।
 
इसके लिए प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों की नियमित निगरानी के अलावा उनमें प्रदूषण-रोधी तकनीक का इस्तेमाल अनिवार्य किया जाना चाहिए। सरकार को वाहनों से होने वाले उत्सर्जन पर निगाह रखनी चाहिए। इसके लिए दोनों राज्यों को अल्पकालिक और दीर्घकालिक, दोनों तरह की योजनाएं बना कर उन पर गंभीरता से अमल करना होगा।" उनका कहना था कि इस समस्या पर काबू पाने की इस मुहिम सख्त नीतियों के साथ ही स्थानीय लोगों की भागीदारी भी जरूरी है।

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