भारत की राजधानी दिल्ली कुछ दिनों पहले तक तेज गर्मी से झुलस रही थी और अब अचानक भारी बारिश के बाद वह पानी में डूबी है। आखिर ये दिल्ली में हो क्या रहा है?
दिल्ली में औसतन जितनी बारिश जून के पूरे महीने में होनी चाहिए, उतना पानी सिर्फ 24 घंटों में बरस गया। इस बारिश की वजह से दिल्ली एयरपोर्ट पर एक छत गिर गई जिसमें एक व्यक्ति की मौत हुई और कई घायल हो गए, उड़ानों की आवाजाही में बाधा आई, एक मेट्रो स्टेशन बंद करना पड़ा, अंडरपास ब्लॉक हो गए और भयंकर ट्रैफिक जाम हुआ।
दिल्ली के मुख्य सफदरजंग मौसम केंद्र ने 24 घंटों के दौरान 9 इंच बारिश दर्ज की। भारतीय मौसम विभाग के अनुसार यह जून के महीने में बीते 88 सालों में दिल्ली में होने वाली सबसे ज्यादा बारिश है। दिल्ली एयरपोर्ट के आसपास के इलाकों में शुक्रवार को लगभग तीन घंटों के दौरान 5।85 इंच बारिश हुई, जबकि पिछले साल यहां जून के पूरे महीने में होने वाली बारिश सिर्फ 4 इंच थी।
मॉनसून की इस बारिश ने अफरा-तफरी फैलाने के साथ साथ दिल्ली को राहत भी दी है, जो हफ्तों से हीटवेव में तप रही थी। इस साल दिल्ली में तापमान 50 डिग्री सेल्सियस के नजदीक जा पहुंचा। भारतीय मौसम विभाग का डेटा बताता है कि 22 जून से पहले लगातार 40 दिन तक दिल्ली में अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेल्सियस या उससे ऊपर रहा।
जलवायु परिवर्तन का परिणाम
मौसम विभाग के एक अधिकारी का कहना है कि मॉनसून एक हफ्ते की देरी से आया है, इसीलिए कम बारिश हुई और उत्तर भारत में हीटवेव का असर रहा, लेकिन बीते हफ्ते अचानक बिजली और बादल गरजने से मॉनसून के बादल वापस पटरी पर लौट आए हैं। उन्होंने कि इसकी वजह से मॉनसून पूरे देश में निर्धारित समय पर या उससे भी पहले पहुंच जाएगा।
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने 2022 में प्रकाशित अपने एक लेख में कहा था कि पृथ्वी के तापमान में होने वाली हर एक डिग्री सेल्सियस की वृद्धि के साथ वातावरण में जल वाष्प की मात्रा लगभग सात फीसदी बढ़ जाती है। विशेषज्ञों का कहना है कि इसकी वजह से छोटी सी अवधि में भारी बारिश हो सकती है।
पर्यावरण और उससे जुड़े मुद्दों पर शोध करने वाली भारतीय संस्था सेंटर फॉर साइंस एंड एन्यवार्यनमेंट की निदेशक सुनीता नारायणन ने पिछले हफ्ते सोशल मीडिया पर पोस्ट एक वीडियो में कहा, "जलवायु परिवर्तन की वजह से तेज बारिश की घटनाएं देखने को मिलेंगी। इसका मतलब है कि कम दिनों, कम घंटों में अत्यधिक बारिश।"
उन्होंने कहा, "अगर आप भारत भर से जमा डेटा को देखें तो पाएंगे कि बहुत सारे मौसम केंद्र बता रहे हैं कि उनके यहां 24 घंटे के भीतर होने वाली बारिश का रिकॉर्ड टूट रहा है। इसका मतलब है कि एक शहर में, एक इलाके में जितनी बारिश पूरे साल में होती है, उतनी बारिश शायद कुछ दिनों में या सिर्फ एक ही दिन में हो जाए।"
मौसम की मार से कैसे निपटें
भारतीय थिंक टैंक काउंसिल ऑन एनर्जी, एन्वायर्नमेंट से जुड़े विश्वास चिताले कहते हैं कि दिल्ली में बीते 40 सालों के दौरान मॉनसून का पैटर्न बहुत अनियमित रहा है। इसकी वजह से कभी यहां बहुत कम बारिश होती है तो कभी बहुत ज्यादा। उनका मानना है, "इस तरह की अनियमित बारिश का असर बुनियादी ढांचे और लोगों पर बहुत ज्यादा होता है। इसीलिए हमें ऐसे इंफ्रास्ट्रक्चर और अर्थव्यवस्था की जरूरत है जिस पर जलवायु का ज्यादा असर ना हो।"
विशेषज्ञ कहते हैं कि भारत को ज्यादा झीलें और तालाब बनाने होंगे जिनमें बारिश का पानी जमा किया जा सके। इससे दिल्ली और बेंगलुरु जैसे महानगरों में होने वाली पानी की किल्लत से भी निटपा जा सकेगा। इसके अलावा नगरपालिकाओं को समय रहते नालों और नहरों को साफ करना चाहिए ताकि बारिश का पानी निकल सके और शहर में बाढ़ ना आए। जानकार भारत में अधिक से अधिक पेड़ लगाने और इस बारे में जागरूकता फैलाने की सलाह भी देते हैं।