Hanuman Chalisa

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

4 सप्ताह में लाखों रुपए कहां से लौटाएंगे हजारों शिक्षक?

Advertiesment
हमें फॉलो करें teachers protest in bengal

DW

, गुरुवार, 25 अप्रैल 2024 (08:41 IST)
प्रभाकर मणि तिवारी
कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले से एक झटके में बेरोजगार होने वाले करीब 26 हजार शिक्षक और गैर-शिक्षण कर्मचारियों पर दोहरी मार पड़ने का जोखिम है। अब पास-पड़ोस और गांव के लोग उनको संदेह की निगाहों से देख रहे हैं। ज्यादातर लोगों ने घर या गाड़ी के लिए बैंक से कर्ज ले रखा है। उनकी सबसे बड़ी चिंता यह है कि आखिर अब अगले महीने से वो कर्ज की किस्त कहां से चुकाएंगे।
 
इनमें से पांच से छह हजार ऐसे लोग हैं जिनकी नियुक्ति पैनल की मियाद खत्म होने के बाद हुई थी। अदालत ने उनसे 12 फीसदी सालाना सूद समेत चार सप्ताह के भीतर वेतन की पूरी रकम लौटाने को कहा है। उनमें से हाईस्कूल यानी नौवीं-दसवीं के शिक्षकों को औसतन 22 लाख और हायर सेकेंडरी (11-12) के शिक्षकों को औसतन 28 से 30 लाख तक की रकम लौटानी पड़ सकती है।
 
धरने पर बैठे शिक्षक
इस बीच, राज्य के स्कूल सेवा आयोग ने हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है। इसी हफ्ते सोमवार को हाईकोर्ट का फैसला आने के बाद ही मंगलवार सुबह राज्य के विभिन्न हिस्सों से ऐसे सैकड़ों शिक्षक कोलकाता के शहीद मीनार मैदान में पहुंच कर धरने पर बैठ गए।
 
मुर्शिदाबाद से यहां पहुंची अदिती कुंडू बताती है, "मैंने हाल में ही मकान के लिए बैंक से दस लाख रुपए का कर्ज लिया था। अब समझ में नहीं आ रहा है वह कहां से लौटाउंगी? अदालत के एक फैसले ने मेरे पूरे परिवार का भविष्य अंधकारमय बना दिया है। मुझे आगे की राह ही नहीं सूझ रही है।"
 
पश्चिम मेदिनीपुर जिले के एक गांव से कोलकाता पहुंचे प्रदीप्त चंदा कहते हैं, "अदालत के फैसले से पहले तक जो लोग सम्मान की निगाहों से देखते थे अब वही लोग संदेह की निगाहों से देखने लगे हैं। उनको लगता है कि मैंने भी रिश्वत देकर नौकरी हासिल की है। उनका सवाल था कि आखिर कुछ लोगों की गलती की सजा सबको क्यों मिली है? सीबीआई उन लोगों का पता लगाती जिनको घोटाले के जरिए नौकरी मिली थी। लेकिन हमने तो अपनी मेरिट के बल पर नौकरी हासिल की थी।"
 
चंदा का कहना है कि हर महीने मिलने वाला वेतन तो घर-परिवार चलाने में खर्च हो गया। अब समझ में नहीं आ रहा है कि इतने कम समय में लाखों रुपए कहां से जुगाड़ करूंगा। वह परिवार के अकेले कमाऊ सदस्य हैं। उनके कंधों पर बूढ़े और बीमार मां-बाप के अलावा तीन भाई-बहनों की भी जिम्मेदारी है।
 
26 हजार शिक्षकों की नियुक्ति रद्द
कलकत्ता हाईकोर्ट ने करीब 26 हजार शिक्षकों की नियुक्ति रद्द करते हुए उनको वेतन के तौर पर मिले पैसों को सूद समेत चार सप्ताह के भीतर लौटाने का निर्देश दिया है। इन लोगों पर राज्य के बहुचर्चित शिक्षक भर्ती घोटाले के जरिए नौकरी हासिल करने का आरोप था। सीबीआई इस घोटाले की जांच कर रही है।
 
लोकसभा चुनाव के बीच अदालत के इस फैसले को ममता बनर्जी व उनकी सरकार के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस फैसले को गैरकानूनी करार देते हुए इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की बात कही है। हालांकि विपक्षी राजनीतिक दलों ने इस मामले में तृणमूल कांग्रेस सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया है।
 
क्या है शिक्षक भर्ती घोटाला
यह मामला स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) की ओर से नौंवी से बारहवीं तक शिक्षक और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की भर्ती के लिए वर्ष 2016 में आयोजित परीक्षा से जुड़ा है। उस परीक्षा का नतीजा आया नवंबर, 2017 में। पहले आयोग की ओर से एक मेरिट लिस्ट जारी की गई थी। बाद में संशोधन के नाम पर जब दूसरी मेरिट लिस्ट जारी की गई तो उसमें पहली सूची के कई नाम गायब थे। उनकी जगह कई ऐसे उम्मीदवारों के नाम इस सूची में थे जिनको दूसरों के मुकाबले कम नंबर मिले थे।
 
इन उम्मीदवारों में तत्कालीन शिक्षा राज्य मंत्री परेश अधिकारी की पुत्री अंकिता अधिकारी भी शामिल थीं। पहली लिस्ट में शीर्ष 20 उम्मीदवारों में शामिल एक महिला उम्मीदवार बबिता सरकार का नाम दूसरी सूची में प्रतीक्षा सूची में चला गया। हालांकि मंत्री की पुत्री अंकिता, बबिता से कम नंबर पाने के बावजूद, दूसरी लिस्ट में शीर्ष पर आ गईं।
 
बबिता ने इसके खिलाफ हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की। उस पर लंबे समय तक चली सुनवाई के बाद अदालत ने मंत्री की पुत्री को नौकरी से हटाने और उससे पूरा वेतन वापस लेने का निर्देश दिया। उसकी जगह बबिता सरकार को नौकरी पर रखने का निर्देश दिया गया। उसके बाद इस कथित घोटाले के खिलाफ कई दूसरे उम्मीदवारों ने भी अदालत का दरवाजा खटखटाया था।
 
बाग समिति की रिपोर्ट
अदालत ने इस मामले की जांच के लिए रंजीत कुमार बाग की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया। बाग समिति की रिपोर्ट से सामने आया कि इस भर्ती परीक्षा में बड़े पैमाने पर घोटाला हुआ है। समिति ने घोटाले में शामिल पांच अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज करने की सिफारिश की थी। उसी रिपोर्ट के आधार पर हाईकोर्ट के तत्कालीन न्यायाधीश अभिजीत गांगुली ने नवंबर, 2021 में इस घोटाले की जांच सीबीआई को सौंपी थी। बाद में इससे जुड़े सात अन्य मामलों की जांच भी सीबीआई को सौंपी गई।
 
न्यायमूर्ति गांगुली के निर्देश पर ही सीबीआई ने पूर्व शिक्षा मंत्री और ममता बनर्जी सरकार में नंबर दो रहे पार्थ चटर्जी को पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया था। यह इस घोटाले में पहली हाई प्रोफाइल गिरफ्तारी थी। उसके बाद स्कूल सेवा आयोग के कई अधिकारियों के अलावा तृणमूल कांग्रेस के कई नेता भी इस मामले में गिरफ्तार किए जा चुके हैं।
 
उस समय भी अदालत ने पांच हजार से ज्यादा लोगों को बर्खास्त करने का निर्देश दिया था। उस फैसले को खंडपीठ में चुनौती दी गई। हालांकि फैसला बरकरार रहा। बाद में सरकार ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। सुप्रीम कोर्ट ने इसे हाईकोर्ट की विशेष खंडपीठ के पास भेजकर शीघ्र फैसला करने का निर्देश दिया था। तीन महीने से ज्यादा चली सुनवाई के बाद अब यह फैसला आया है।
 
तृणमूल कांग्रेस पर विपक्ष हमलावर
इस फैसले के बाद ममता बनर्जी ने पीड़ितों के साथ खड़े रहने की बात कही है। उनका सवाल था कि आखिर यह लोग चार सप्ताह के भीतर इतना पैसा कहां से चुकाएंगे। उन्होंने कहा कि सरकार नौकरियां दे रही है और वो इसे छीन रहे हैं। तृणमूल कांग्रेस ने कहा है कि हो सकता है कि कुछ गलतियां हुई हों। लेकिन कुछ लोगों की गलती की सजा सारे लोगों को देना उचित नहीं है। उनका कहना था कि कुछ उम्मीदवारों के खिलाफ शिकायत थी, लेकिन दो-तिहाई उम्मीदवारों के खिलाफ किसी ने कोई शिकायत नहीं की थी। बावजूद इसके सबकी नौकरियां छीन ली गई हैं। इससे करीब डेढ़ लाख लोगों के सामने अनिश्चितता की स्थिति पैदा हो गई है।
 
अदालती फैसले के बाद विपक्ष ममता बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस पर हमलावर हो गया है। बीजेपी ने इसे बंगाल का सबसे बड़ा घोटाला बताते हुए ममता बनर्जी के इस्तीफे की मांग उठाई है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने कहा है कि तृणमूल कांग्रेस नेताओं के भ्रष्टाचार का खामियाजा आम लोगों को भरना पड़ रहा है। चुनाव के सीजन में लोग इसका जवाब देंगे। उनका कहना था कि यह घोटाला शिक्षक के सम्मानित पेशे पर कलंक है।
 
सीपीएम नेता विकास रंजन भट्टाचार्य ने भी कहा है कि यह एक बड़ा घोटाला है जिसमें तृणमूल के तमाम नेता शामिल हैं। सीबीआई की जांच पूरी होने पर सबका असली चेहरा सामने आएगा। इस घोटाले का बेहद प्रतिकूल सामाजिक असर पड़ा है। इससे हजारों लोगों का भविष्य अधर में लटक गया है।
 
अदालत ने करीब तीन सौ पेज के अपने फैसले में सीबीआई को राज्य सरकार से जुड़े उन लोगों से पूछताछ करने और जरूरी होने पर हिरासत में लेने का निर्देश दिया है जो अतिरिक्त पदों की मंजूरी में शामिल थे। आरोप है कि अवैध नियुक्तियों के तहत लोगो को खपाने के लिए कई हजार अतिरिक्त पद बनाए गए थे।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

सेक्युलर शब्द भारत में धर्म की अवधारणा से मेल नहीं खाता