Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

चीन के खिलाफ दक्षिण एशिया में भारत की 'वैक्सीन कूटनीति'

हमें फॉलो करें चीन के खिलाफ दक्षिण एशिया में भारत की 'वैक्सीन कूटनीति'

DW

, शुक्रवार, 22 जनवरी 2021 (10:31 IST)
भारत अगले कुछ हफ्तों में दक्षिण एशियाई देशों को कोरोना वैक्सीन की लाखों खुराकें भेजने वाला है। जहां पड़ोसी देश से भारत को सराहना मिल रही है तो वहीं क्षेत्र में चीन की वर्चस्व वाली उपस्थिति को यह पीछे धकेल रहा है।सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन की आपूर्ति भारत द्वारा मालदीव, भूटान, बांग्लादेश और नेपाल को शुरू हो गई है। इसके बाद म्यांमार और सेशल्स की मुफ्त वैक्सीन की खेप लेने की बारी आएगी।

भारत जेनेरिक दवा का सबसे बड़ा निर्माता है और पड़ोसी देशों को वैक्सीन देकर दोस्ती को मजबूत करना चाहता है। नेपाल के स्वास्थ्य मंत्री हृदयेश त्रिपाठी के मुताबिक भारत सरकार ने वैक्सीन अनुदान करके सद्भावना दिखाई है। यह लोगों के स्तर पर हो रहा है, जनता ही है, जो कोविड-19 के कारण सबसे अधिक प्रभावित हुई।
 
भारत ऐसे समय में यह उदार रवैया अपना रहा है, जब उसके संबंध नेपाल के साथ क्षेत्रीय विवाद के कारण तनावपूर्ण हुए, उसकी चिंता चीन की विस्तारवादी नीति को लेकर भी है। चीन, नेपाल पर आर्थिक प्रभाव भी डालने की कोशिश में जुटा हुआ है। चीन ने नेपाल को कोरोना महामारी से निपटने के लिए मदद का वादा किया है। वह नेपाल द्वारा सिनोफार्म की मंजूरी के इंतजार में है। नेपाल के औषधि प्रशासन विभाग के प्रवक्ता संतोष केसी के मुताबिक हमने उनसे मंजूरी के पहले और दस्तावेज और जानकारी मुहैया कराने के लिए कहा है।
 
बांग्लादेश को सिनोवैक बायोटेक से कोविड के टीके की 1,10,000 खुराकें मिलने वाली थीं, लेकिन बांग्लादेश ने वैक्सीन की लागत मूल्य देने से इंकार कर दिया जिससे गतिरोध बन गया। इसके बदले बांग्लादेश ने भारत की ओर रुख किया और तत्काल आपूर्ति की मांग की। इसी के तहत बांग्लादेश को उसे एस्ट्राजेनेका की कोविशील्ड की 20 लाख खुराकें बतौर उपहार मिलीं।
 
बांग्लादेश के एक स्वास्थ्य अधिकारी ने कहा कि भारत एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन बना रहा है, जो बाकियों से अलग है। इसे सामान्य रूप से रखा जा सकता है और तय तापमान में ट्रांसपोर्ट किया जा सकता है, जो बांग्लादेश जैसे देश के लिए सुविधाजनक है।
 
सालों से भारत, चीन की गति से मेल करने के लिए संघर्ष कर रहा है। श्रीलंका, नेपाल और मालदीव जैसे देशों में चीन बंदरगाहों, सड़कों और बिजली स्टेशनों के निर्माण के लिए निवेश कर रहा है। पर्यटन पर निर्भर ये देश टीकों के लिए बेताब हैं जिससे कि इनकी अर्थव्यवस्था दोबारा उठ सके।
 
सरकारी सूत्रों का कहना है कि भारत आने वाले 3 से 4 हफ्तों में 1.2 करोड़ से लेकर 2 करोड़ टीके की खेप पड़ोसी देशों को मदद के तौर पर पहले चरण में देने की योजना बना रहा है। सूत्र ने बताया कि भारत इनमें से कुछ देशों में स्वास्थ्य कर्मचारियों के प्रशिक्षण और टीकाकरण अभियान के लिए बुनियादी ढांचे को तैयार करने में भी मदद कर रहा है।
 
एए/सीके (रॉयटर्स)

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

पर्यावरण पर भारी पड़ रहे हैं अमीरों के ठाठबाट