70 सालों से ताइवान की खाड़ी में एक काल्पनिक रेखा ताइवान और चीन के बीच खिंची हुई है जिसने वहां शांति बनाए रखने में मदद दी है। अब यह कथित मध्य रेखा चीन की आधुनिक नौसेना के वहां ताकत दिखाने के कारण अर्थहीन होती जा रही है। चीन ने आधिकारिक तौर पर कभी इस रेखा को मान्यता नहीं दी।
एक अमेरिकी जनरल ने 1954 में शीतयुद्ध के दौर में साम्यवादी चीन और अमेरिका समर्थित ताइवान के बीच यह रेखा खींची थी, पर इतना जरूर था कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने इसका हमेशा सम्मान किया। अब ताइवान आए दिन चीन के भारी नौसैनिक जहाजों को इस रेखा पर दबाव बनाते देख रहा है। 3 हफ्ते पहले अमेरिकी संसद की स्पीकर नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा के बाद भड़के चीन के युद्धाभ्यास रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं।
इलाके की सुरक्षा व्यवस्था से वाकिफ एक ताइवानी अधिकारी ने कहा कि वे हम पर दबाव बढ़ाना चाहते हैं जिसका आखिरी मकसद मध्य रेखा पर हमारा समर्पण है। सुरक्षा कारणों से नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर इस अधिकारी ने कहा कि वे इसे सच्चाई बनाना चाहते हैं।
कुछ ताइवानी अधिकारियों का कहना है कि इस द्वीप के लिए रेखा से बनने वाले उस बफर के विचार को त्यागना असंभव है। ताइवान के विदेश मंत्री जोसेफ वू ने इसी महीने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि यथास्थिति में बदलाव को सहन नहीं किया जाएगा। वू ने कहा कि हमें समान विचारों वाले सहयोगियों से हाथ मिलाना होगा ताकि मध्य रेखा की मौजूदगी सुनिश्चित की जा सके और साथ ही शांति और स्थिरता को ताइवान की खाड़ी में सुरक्षित किया जा सके। दूसरे अधिकारी और सुरक्षा विश्लेषक चेतावनी दे रहे हैं कि ताइवान के लिए बिना खतरनाक विस्तार का जोखिम लिए इस रेखा की रक्षा नहीं हो सकेगी।
ताकत का प्रदर्शन
ताइवानी अधिकारी का कहना है कि अगर चीनी सेनाएं 12 नॉटिकल मील के क्षेत्रीय पानी में प्रवेश करती हैं तो ताइवान को सैन्य प्रतिक्रिया देना होगी, लेकिन इसके अलावा सेना या तटरक्षक बल को दवाब देने के लिए और अधिक अधिकार देने की कोई तत्काल योजना नहीं है। राष्ट्रपति त्साइ इंग वेन लगातार कह रहे हैं कि ताइवान न तो उकसावा देगा न ही विवाद को विस्तार। यह सवाल बार-बार उठ रहा है कि क्या ताइवान के पास इतना अंतरराष्ट्रीय समर्थन है कि वह चीन को अपने इलाके का गश्त लगाने से रोक सके? यह दुनिया के सबसे व्यस्त जलमार्गों में एक है लेकिन क्या ताइवान के साथी उस लाइन को बनाए रखने में मदद देंगे?
अमेरिका और दूसरे पश्चिमी देशों की नौसेनाएं इस खाड़ी से होकर गुजरती हैं ताकि यह जता सकें कि इसका दर्जा अंतरराष्ट्रीय है। वो काल्पनिक रेखा को कड़ाई से लागू कराने के लिए कुछ नहीं कर रहे हैं, क्योंकि वैसे भी उसकी कोई कानूनी मान्यता भी नहीं है।
ताइवान की खाड़ी करीब 180 किलोमीटर चौड़ी है और इसका सबसे पतला हिस्सा और मध्य रेखा ताइवान के पानी से करीब 25 किलोमीटर दूर है। ताइवानी अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि ताइवान की जलसीमा के पास चीन की मौजूदगी ताइवान की सेना पर दबाव डालेगी और चीनी घेराबंदी या आक्रमण को बहुत आसान बना देगी। आखिरकार एक मध्य रेखा चीन के नजदीकी सागरों में अमेरिका के लंबे समय से दबदबे की वजह से और चुनौतियां बढ़ाएगा और चीन को प्रशांत क्षेत्र में अपनी ताकत और बढ़ाने में मदद करेगा।
मध्य रेखा में ऐसी कोई खूबी नहीं है जिससे इसके निशान पता चलते हों। सालों तक चीन रणनीतिक रूप से इसे मानता रहा लेकिन 2020 में विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा कि इसका कोई अस्तित्व नहीं है। चीन के रक्षा मंत्रालय और ताइवान अफेयर्स काउंसिल में भी इसकी गूंज सुनाई देती रही। हाल के दिनों में दोनों पक्षों के लड़ाकू जहाज और विध्वंसक इलाके में चूहे-बिल्ली का खेल खेल रहे हैं। चीन, ताइवानी गश्त के इर्द-गिर्द पहुंचकर रेखा को पार करने की कोशिश में है। इसी महीने चीनी लड़ाकू विमानों ने भी रेखा पार की है हालांकि वो थोड़ी दूर ही गए लेकिन चीन की वायुसेना ने पहले शायद ही कभी ऐसा कुछ किया है। चीन के रक्षा मंत्रालय ने इस मामले पर प्रतिक्रिया देने के अनुरोध का जवाब नहीं दिया।
राजनीतिक शिल्प
चीह चुंग ताइपे के नेशनल पॉलिसी थिंक टैंक में सुरक्षा विश्लेषक हैं। उनका कहना है मध्य रेखा पर बनी सहमति के समाप्त होने से दुर्घटनावश विवाद छिड़ जाने का जोखिम बढ़ गया है। चुंग का कहना है कि ताइवान के तटरक्षक बल और सेना को ज्यादा अधिकार और कानूनी संरक्षण मिलना चाहिए जिससे कि वो चीनी सेना की बढ़ती जटिल चुनौतियों पर प्रतिक्रिया दे सकें।
कुछ ही हफ्तों में अमेरिकी जंगी जहाजों के ताइवान की खाड़ी से गुजरने की उम्मीद है। इसके जरिए वो यह दिखाना चाहते हैं कि यह अंतरराष्ट्रीय जलमार्ग है और जाहिर है कि इससे चीन की नाराजगी और बढ़ेगी। चीन इस खाड़ी पर अपनी सम्प्रभुता और अधिकार जताता है। हालांकि अमेरिकी जहाज चीनी जहाजों को इस मध्य रेखा के दोनों ओर कोई चुनौती देंगे ऐसी उम्मीद नहीं है।
अमेरिका के 3 अधिकारियों ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर कहा कि मध्यरेखा के पार जाने का ज्यादा रणनीतिक महत्व नहीं है। एक अधिकारी ने कहा कि यह एक काल्पनिक रेखा है, जो सांकेतिक है और यह कुछ कुछ ताइवान की नजरों में चुभने जैसा है। यूएस नेवल पोस्ट ग्रेजुएट स्कूल में स्कॉलर क्रिस्टोफर ट्वोमी का कहना है कि अमेरिकी नौसेना इस रेखा को कानूनी मानने की बजाय एक राजनीतिक शिल्प मानती है। ट्वोमी ने निजी तौर पर कहा कि खतरों को बढ़ा-चढ़ाकर नहीं दिखाना चाहिए और इस खाड़ी की अंतरराष्ट्रीय जलमार्ग के रूप में पहचान बनी रहेगी। उन्होंने चीन की गतिविधियों को भी राजनीतिक बयान कहा।