चीन इस सैन्य अभ्यास में मिसाइलें, पनडुब्बियां, लड़ाकू विमान और युद्धपोत भी इस्तेमाल कर रहा है। विशेषज्ञों को डर है कि कोई अनहोनी एशिया को युद्ध में झोंक सकती है।
चीन के अभियान के जवाब में अब ताइवान ने भी अपने सैन्य अभ्यास की घोषणा की है। ताइवान की सरकारी न्यूज एजेंसी के मुताबिक सैन्य अभ्यास मंगलवार और गुरुवार को होगा। दक्षिणी ताइवान के पिंगतुंग में होने वाले इस सैन्य अभ्यास के दौरान लाइव फायर आर्टिलरी ड्रिल होगी। साथ ही युद्धक वाहन, बख्तरबंद गाड़ियां और अटैक हेलिकॉप्टर भी इस्तेमाल किए जाएंगे।
ताइवान के रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, रविवार को उसने चीन के 66 एयरक्राफ्ट और 14 युद्धपोत डिटेक्ट किए। ये सभी चीन की वायु सेना और नौसेना के अभ्यास में शामिल थे। अमेरिकी संसद की स्पीकर नैंसी पेलोसी के ताइवान दौर से झल्लाया चीन, ताइवान के चारों ओर अब तक का सबसे बड़ा सैन्य अभ्यास कर रहा है। चीन ने पहले कहा था कि सैन्य अभ्यास रविवार तक चलेंगे लेकिन अब बीजिंग का कहना है कि यह आगे भी जारी रहेंगे। कब तक, इस बारे में चीन के रक्षा मंत्रालय ने कोई जानकारी नहीं दी है।
ताइवान का जवाब
गृहयुद्ध के बाद 1949 में ताइवान और चीन अलग हो गए थे, लेकिन तब से चीन लगातार ताइवान पर अपना दावा जताता है। बीजिंग धमकी भी दे चुका है कि अगर जरूरत पड़ी तो वह ताकत का इस्तेमाल कर ताइवान को खुद में मिला लेगा। वन चाइना पॉलिसी के तहत चीन दुनिया भर के देशों से ताइवान को चीन के हिस्से के रूप में स्वीकार करने का दबाव भी डालता है। यूएस हाउस स्पीकर पेलोसी के दौरे को चीन, ताइवान को अलग राष्ट्र के तौर पर मान्यता देने की कोशिश के तौर पर देखता है।
ताइवान की राष्ट्रपति साइंग वेन ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से लोकतांत्रिक ताइवान का समर्थन करने की अपील की है। सात औद्योगिक देशों के समूह जी 7 ने चीन के रुख की आलोचना की है। इस आलोचना के बाद चीन के विदेश मंत्री ने जापान के विदेश मंत्री से मुलाकात करने से इनकार कर दिया।
वॉशिंगटन में ताइवान की डिफैक्टो राजदूत बि-खिम हासिआयो ने कहा, "आप जानते हैं कि हम दशकों से इस चीनी खतरे के साथ जी रहे हैं।" सीबीएस न्यूज चैनल से बात करते हुए उन्होंने कहा, "अगर आपके बच्चे को स्कूल में परेशान किया जाए तो आप ये नहीं कहते कि स्कूल मत जाओ। आप बुली करने वाले से निपटने का तरीका खोजते हैं।"
चीन का अमेरिका पर निशाना
म्यांमार दौरे पर गए चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने वॉशिंगटन पर इलाके में सैन्य जमावड़ा लगाने का आरोप लगाया है। वांग ने कहा, "अमेरिका इस मौका का इस्तेमाल कर इलाके में अपनी सैन्य तैनाती बढ़ा रहा है, इस पर कड़ी नजर रखे जाने की जरूरत है और हर तरह से इसके दृढ़ बहिष्कार की जरूरत है।"
चीनी विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि उनका देश ताइवान की खाड़ी और पूरे इलाके में स्थिरता और शांति के लिए प्रतिबद्ध है।
इस बीच चीन के सरकारी टीवी चैनल ने सोमवार को एंटी सबमरीन और समुद्री हमले वाले ऑपरेशन दिखाए। कुछ टीवी चैनलों ने तो इस तरह का संदेश दिया गया जैसे, ये सैन्य अभ्यास अब रुटीन बन जाएंगे। चीनी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता वु किआन का कहना है कि ये अभ्यास अमेरिका और ताइवान के लिए एक जरूरी चेतावनी है। वु ने अमेरिका पर जबरन तनाव भड़काने का भी आरोप लगाया।
कितना बड़ा खतरा
एशिया में चीन का कई देशों के साथ सीमा विवाद चल रहा है। बीते दो साल से चीन और भारत डोकलाम विवाद में उलझे हैं। जापान के साथ समुद्री सीमा को लेकर विवाद है। इसके साथ ही दक्षिणपूर्वी एशिया के देशों के साथ भी समुद्री इकोनॉमिक जोन को लेकर चीन की खटपट है। साथ ही इलाके में उत्तर कोरिया की मौजूदगी और अमेरिका, जापान व दक्षिण कोरिया से उसका विवाद हालात को और गंभीर बनाता है।
जापान का दावा है कि 4 अगस्त को चीन की पांच मिसाइलें उसके एक्सक्लूसिव इकोनॉमिक जोन में गिरीं। इनकी सटीक लोकेशन ओकीनावा के पास बताई गई। ओकीनावा में ही अमेरिकी सैन्य अड्डा भी है। जर्मन मार्शल फंड के एशिया प्रोग्राम डायरेक्टर बोनी ग्लाजस कहते हैं कि चीन ताइवान के साथ साथ जापान को भी चेतावनी दे रहा है। सुरक्षा मामलों के जानकारों को लगता है कि ताइवान में जारी तनाव के दौरान अगर कोई हादसा या अनहोनी हुई तो बड़ा युद्ध भड़क सकता है।
इस तनाव का असर पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ रहा है। ताइवान विश्व में सबसे बड़ा चिप निर्माता है। विवाद के कारण अगर ताइवान से एक्सपोर्ट होने वाली प्रोससिंग चिप्स बंद हुई तो कई देशों में इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटो और मेडिकल उपकरणों की किल्लत महसूस होने लगेगी।
इलाके में बढ़ते तनाव के बीच दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों के संगठन आसियान ने हर पक्ष से "अधिकतम संयम" की अपील की है। ऑस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री पेनी वोग ने भी "तनाव को फौरन कम करने और पूरे इलाके की स्थिरता" के बारे में सोचने की अपील की है।
ओएसजे/एनआर (एपी, एएफपी, डीपीए)