जापान की बूढ़ी होती आबादी को यातायात की सुविधा की जरूरत है जिसे देश स्वचालित गाड़ियों से पूरी करना चाह रहा है। हालांकि हाल ही में हुए एक हादसे ने इस राह में आने वाली चुनौतियों को रेखांकित कर दिया है।
जापान के अलावा और भी कई देशों की सड़कों पर सेल्फ ड्राइविंग गाड़ियां दौड़ रही हैं, लेकिन जापान की सरकार ने टेक्नोलॉजी को तेजी से विकसित करने को एक अहम प्राथमिकता बनाया है। पिछले साल जापान कुछ स्थितियों में पूरा नियंत्रण ले लेने वाली गाड़ियों को सार्वजनिक रास्तों पर चलने की अनुमति देने वाला पहला देश बन गया।
इस हॉन्डा कार को 'लेवल थ्री' की स्वायत्ता दी गई है, यानी ये कुछ निर्णय खुद ही ले सकती है। हां, आपात स्थिति में कार का नियंत्रण अपने हाथ में ले लेने के लिए एक चालक का तैयार रहना जरूरी है।
बूढ़ी आबादी की चुनौतियां
सरकार ने और ज्यादा विकसित होते स्वचालित वाहनों को प्रोत्साहन देने के लिए कानून को भी बदल दिया है। अर्थव्यवस्था, व्यापार और उद्योग मंत्रालय (एमईटीआई) की 2025 तक पूरे देश में 40 स्थानों पर स्वचालित टैक्सियों पर परीक्षण करनी की व्यवस्था बनाने की योजना है।
इस नीति के पीछे एक गंभीर समस्या को सुलझाने की चाह है। जापान की आबादी दुनिया में सबसे ज्यादा बूढ़ी आबादी है और देश में निरंतर कामगारों की कमी रहती है। हाल ही में आई एमईटीआई की एक रिपोर्ट कहती है कि कार्गो और यातायात क्षेत्रों में चालकों की उम्र बढ़ गई है और मानव संसाधनों की कमी एक गंभीर समस्या बन गई है।
रिपोर्ट ने 'बुजुर्ग चालकों की गलतियों की वजह से होने वाले काफी बुरे ट्रैफिक हादसों' की चेतावनी भी दी। अब जब मांग स्पष्ट है, तो गाड़ियां बनाने वाली स्थानीय कंपनियां तकनीक को विकसित करने के लिए तैयार हो रही हैं।
सबसे ज्यादा गाड़ियां बेचने वाली कंपनी टोयोटा माउंट फूजी की तराई में एक स्मार्ट शहर बना रही है और वहां कुछ चुनी हुई सड़कों पर उसकी 'ई-पायलट' स्वचालित बसों को चलाने की योजना है। ये बसें टोकियो 2020 खेलों के दौरान खिलाड़ियों के रहने के लिए लिए बनाए गए विलेज में चलाई गई थीं लेकिन एक हादसे के बाद के इस परियोजना को कुछ समय के लिए रोक दिया गया था।
स्वचालित तकनीक की सीमा
एक स्वचालित बस ने एक नेत्र-बाधित पैरालंपिक खिलाड़ी को ठोकर मार दी थी और हल्का जख्मी कर दिया था। बस की स्वचालित प्रणाली को खिलाड़ी के सामने होने का पता चल गया था और बस रुक गई थी, लेकिन बस में बैठे एक चालाक ने स्वचालित प्रक्रिया को रद्द कर अपने नियंत्रण में ले लिया था।
ब्रोकरेज कंपनी सीएलएसए में जापान रिसर्च के प्रमुख और एक ऑटोमोटिव विशेषज्ञ क्रिस्टोफर रिक्टर का मानना है कि यह हादसा यह दर्शाता है कि अभी इस क्षेत्र को और कितना आगे जाना है। उन्होंने बताया कि लोगों ने कहा था कि स्वचालित तकनीक इस तरह के नियंत्रित स्थानों के लिए तैयार है लेकिन वहां भी वो फेल हो गई। उन्होंने यह भी कहा कि ग्रामीण जापान के लिए स्वचालित गाड़ियां 'एक जरूरत बन जाएंगी।
रिक्टर ने कहा कि मैं समझ रहा हूं कि क्यों ये सरकार और गाड़ियां बनाने वाली कंपनियों के लिए एक प्राथमिकता है लेकिन मुझे स्वचालित तकनीक के बड़े स्तर पर कम से कम हमारे दशक में आने के तो आसार नजर नहीं आ रहे हैं।
जापानी कंपनियां मानती हैं कि इसमें कितना समय लगेगा यह इस समय कह पाना मुश्किल है। निसान ने जब 2018 में अपनी 'ईजी राइड' स्वचालित टैक्सी पर ट्रॉयल शुरू किया था तब कंपनी ने कहा था वो उम्मीद कर रही है कि 2020 के दशक की शुरुआत से ही ये टैक्सियां व्यावसायिक रूप से उपलब्ध हो जाएंगी।
लेकिन कंपनी में रिसर्च के वैश्विक उपाध्यक्ष काजुहीरो दोई अब ज्यादा सावधान हैं। उन्होंने बताया कि स्वचालित गाड़ियों की 'सामजिक स्वीकृति ज्यादा नहीं है। बहुत कम लोगों को स्वचालित ड्राइविंग का तजुर्बा है। मुझे लगता है कि बिना तजुर्बे के इसे स्वीकार करना बहुत मुश्किल है, क्योंकि यह बहुत ही नया है।